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कन्नूर सीट पर कांग्रेस-सीपीआई में कड़ी टक्कर, बीजेपी को नए वोटरों से आस

उत्तरी केरल की कन्नूर लोकसभा सीट पर कांग्रेस और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी-माकपा के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है. उधर, भारतीय जनता पार्टी-बीजेपी अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराने के लिए नए युवा मतदाताओं पर ध्यान केंद्रित कर रही है.

कन्नूर लोकसभा सीट में मुस्लिम और ईसाई सहित 39 प्रतिशत अल्पसंख्यक आबादी है. खासबात ये है कि यहां की राजनीति में विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में अलग-अलग समीकरण ही देखने को मिलता है. विधानसभा चुनाव में इस लोकसभा क्षेत्र में आने वाली अधिकांश सीटों पर मतदाताओं का झुकाव अमूमन माकपा- वाम लोकतान्त्रिक मोर्चा (एलडीएफ) की ओर देखा जाता है, लेकिन लोकसभा चुनाव में यह झुकाव कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) की ओर से चला जाता है.

अल्पसंख्यक मतदाताओं के मजबूत आधार के कारण यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट- यूडीएफ के लिए कन्नूर सीट पर जीत हासिल करना आसान रहता है. इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग- आईयूएमएल भी यूडीएफ का प्रमुख घटक दल है.

इरिक्कुर और पेरावूर जैसे क्षेत्रों में रबड़ किसान भी कांग्रेस के लिए एक मजबूत वोट बैंक रहे हैं। इन क्षेत्रों के किसान मुख्य रूप से ईसाई धर्म से ताल्लुक रखते हैं.

कन्नूर लोकसभा सीट पर जीत को बरकरार रखने की उम्मीद में कांग्रेस ने इस बार भी यहां केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख के. सुधाकरन को मैदान में उतारा है. इस सीट पर अपनी उम्मीदवारी देखते हुए सुधाकरन ने हाल ही में अस्थायी रूप से संगठनात्मक जिम्मेदारी अपने पार्टी सहयोगी एम.एम. हसन को सौंप दी थी.

के. सुधाकरन इस बार चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे, लेकिन पार्टी नेतृत्व का मानना था कि इस सीट से कांग्रेस की जीत को बरकरार रखने के लिए और कोई मजबूत स्थानीय उम्मीदवार नहीं है. मौजूदा सांसद सुधाकरन ने पय्यावूर के पास कंदाकसेरी में प्रचार अभियान के दौरान ने कहा कि उन्हें अपनी जीत पर भरोसा है और केवल अपने बहुमत के अंतर को बढ़ाने ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. सुधाकरन ने कहा कि केरल में कांग्रेस की लड़ाई मुख्य रूप से वामपंथी पार्टी से है.

कांग्रेसी नेता के. सुधाकरन ने कहा, ‘वे केरल में हमारे विरोधी नंबर एक हैं और भाजपा दूसरे नंबर पर है. केरल में भाजपा शक्तिहीन है और हमारी लड़ाई एलडीएफ के खिलाफ है, उनकी हिंसा की राजनीति के खिलाफ है.’

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने कांग्रेस के खिलाफ कन्नूर से जिला सचिव एम.वी. जयराजन को मैदान में उतारा है.
इरिक्कुर में चुनाव प्रचार के दौरान जयराजन ने कहा कि देश जिस खतरे में है उसके प्रति सचेत रहें.

वडकरा लोकसभा सीट से कांग्रेस की उम्मीदवार के. के. शैलजा के खिलाफ सोशल मीडिया पर कथित तौर पर दुष्प्रचार करने के आरोपों का जिक्र करते हुए जयराजन ने कहा, ‘कांग्रेस के पास बोलने के लिए कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है और अब वह एलडीएफ उम्मीदवारों के खिलाफ मानहानि अभियान में लगी हुई है.’

जयराजन ने कहा कि एलडीएफ इस बार कन्नूर सीट पर जीत हासिल करने जा रहा है. कांग्रेस, भाजपा का समर्थन करने का रुख अपना रही है. वे प्रमुख मुद्दों के बारे में बात नहीं करना चाहते हैं और केवल हारने के डर के कारण एलडीएफ उम्मीदवारों के खिलाफ मानहानि अभियान में शामिल हैं.

कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के उम्मीदवार सी.रघुनाथन ने कहा कि पास लगभग 35 प्रतिशत नए पंजीकृत मतदाता हैं और हमारा ध्यान उन वोटों पर है. उन्होंने आरोप लगाया कि माकपा और कांग्रेस नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के बारे में झूठ फैला रही हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें पूरा भरोसा है कि इस बार कन्नूर से एनडीए की जीत होने जा रही है.

2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेसी नेता के. सुधाकरन को 5.29 लाख वोट मिले थे. उन्होंने सीपीआई की पी.के. श्रीमति को 94,559 वोटों से हराया था. बीजेपी उम्मीदवार सी.के. पद्मनाभन को महज 68,509 वोट मिले थे. 2014 के चुनाव में सीपीआई की पी.के. श्रीमति ने के. सुधाकरन को हराकर जीत हासिल की थी. उस समय बीजेपी के पी.सी. मोहनन मास्टर को कुल 51,636 वोट मिले थे.

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