अजीब शौक! पसंद नहीं आई तो दो बार ढहाई हवेली, तीसरी बार इस शैली मे करवाया निर्माण, आज जिले की है शान

नरेश पारीक/चूरू. थार के प्रवेश द्वार के नाम से मशहूर चूरू अपनी कला और अपनी गगनचुंबी हवेलियों के लिए काफी मशहूर है. पहली नजर में ही किसी को भी संमोहित करने वाली यहां की हवेलियां आज विदेशी पर्यटकों की पहली पसंद है. स्थापत्य कला व भित्ति चित्रों के लिए देशभर में प्रसिद्ध चूरू के मालजी के कमरे की खूबसूरती के बारे में तो सभी को जानकारी है लेकिन यह बात बहुत कम लोग जानते हैं कि यह कमरा इससे पहले दो बार बना, लेकिन पसंद नहीं आने पर शहर के धनाडय परिवार के मालचंद कोठारी ने अपने अभिरुचि के मुताबिक नहीं होने पर इस कमरे को दो बार तुड़वाया और तीसरी बार इटालियन शैली में इसका निर्माण सन 1930 में हुआ, तो देखने वाले इसे देखते ही रह गए.
ओमप्रकाश बताते हैं उस समय 27000 की लागत से बने इस कमरे के नीचे स्वर्ण मंडित हॉल में धनाढ्य वर्ग की शादियों में आमंत्रित नृत्यागनाओं के नृत्य हुआ करते थे. कमरे में बने तालाब में इत्र डलवाकर लोग स्नान किया करते थे. स्नान के बाद मालजी की ओर से लोगों को गरम जलेबी व दूध का नाश्ता करवाया जाता था.
नक्काशी सुंदरता में लगाती है चार चांद
ओमप्रकाश बताते हैं मालजी का कमरा जिसका निर्माण सेठ मालचंद कोठारी ने अपने मनोरंजन के लिए सन 1930 में करवाया था. करीब 100 साल पुरानी इस हवेली के निर्माण में चुने का उपयोग हुआ है इसकी छत ढोले की है इसमें इटालियन कलाकारी, भित्ति चित्र और नक्काशी इसकी सुंदरता में चार चांद लगाती है और आज देशी-विदेशी पर्यटकों की पहली पसंद है. वर्तमान में इस हवेली में जिले का पहला हैरिटेज होटल संचालित हो रहा है जहां देशी और विदेशी पर्यटक शाही के साथ लग्जरी सुविधाओ का लुत्फ उठा सकते हैं.
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FIRST PUBLISHED : December 8, 2023, 12:27 IST