अनूठी परम्परा! यहां एक बार महामूर्ख बनना है हर किसी का सपना, होली पर निकलती है शोभायात्रा

मनीष पुरी/भरतपुर:- भरतपुर बृज में खेली जाने वाली होली भरतपुर ही नहीं, दुनियाभर में फेमस है. भरतपुर की होली का अनोखा खेलना लोगों को काफी लुभाता है. ऐसी ही होली के अवसर पर भरतपुर में एक ऐसी अनूठी परम्परा निभाई जाती है, जिसे महामूर्खाधिराज सम्मेलन के रूप में जाना जाता है. यह महामूर्ख सम्मेलन परंपरा करीब 50 साल से भरतपुर मे चली आ रही है.
लोग खुशी-खुशी पहनते हैं मूर्खाधिराज का ताज
इस महामूर्ख सम्मेलन परंपरा में भरतपुर शहर की सबसे बड़ी शख्सियत एक दिन खुशी-खुशी मूर्खाधिराज का ताज पहनती है. इसके बाद पूरे शहर में उसका जुलूस निकाला जाता है. मित्र मंडली तरुण समाज समिति ने करीब पांच दशक पहले होली पर यह अनूठी परम्परा शुरू की थी, जो आज तक निभाते चले आ रहे हैं. इस कार्यक्रम को करने का उद्देश्य यह है कि होली की मस्ती और स्वांग बृज में रचे-बसे हैं.
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गधे पर बिठाकर निकाला जाता है जुलूस
भरतपुर के लोग बताते हैं कि शुरुआत के दो-तीन साल तो महामूर्खाधिराज को गधे पर बिठाकर शहर से होते हुए जुसूस निकाला जाता था. फिर समय के साथ परिवर्तन भी किए गए और अब महामूर्खाधिराज बने व्यक्ति को बड़ी टोपी पहनाई जाती है और फिर अलग-अलग तरह से मूर्खता के काम जैसे की गोभी का फूल सूंघना, बच्चों के दूध की बोतल से दूध पीना महामूर्ख द्वारा किया जाता है. इस शोभायात्रा में भगवान की झांकी भी शामिल की जाती है. लोग इस महामूर्खराज सम्मेलन को देखने के लिए दूर-दूर से आते हैं और महामूर्खराज सम्मेलन का जमकर आनंद लेते हैं.
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FIRST PUBLISHED : March 24, 2024, 11:24 IST