अनोखा हुनर! यहां के लोग मिनटों में खोल देते हैं दुनिया का कोई भी ताला, इनकी कारीगरी देख दातों तले दबा लेंगे उंगली
अंकित राजपूत/ जयपुर. जयपुर अपनी ऐतिहासिक इमारतों के लिए जितना फेमस है. उतना ही यहां के हुनर के लिए फेमस है. यहां के लोगों के हाथों में गजब का हुनर बसता हैं और वह हुनर पीढ़ी दर पीढ़ी लगातार आगे बढ़ा है. ऐसा ही एक अनोखा हुनर जो जयपुर के चारदीवारी बाजार के रामगंज चौपड़ बाजार के लोगों में बसता हैं. यहां सड़क किनारे वर्षों से ताला चाबी बनाने का काम करने वाले लोगों का हुनर जो उन्हें अपने पूर्वजों से विरासत में मिला. जिसे उन्होंने आज भी बरकरार रखा हैं और आगे भी अपनी आने वाली पीढ़ी को इस ताला चाबी बनाने के हुनर को सिखाते हैं. यहां सड़क किनारे 4 से 5 दुकान लगाकर यहां ये लोग रोजाना बैठते हैं और हर प्रकार का ताला खोलने से लेकर हर प्रकार की चाबी बनाने का काम करते हैं.
यहां सालों से दुकान लगाकर बैठे रशीद खान बताते हैं की हमारे दादाजी वजीर खान ने इस काम को 100 साल पहले शुरू किया था. और आज 5वीं पीढ़ी इसी काम को आगे बढ़ा रही हैं. उन्होंने ने ही हमे चाबी बनाने का हुनर सीखाया है. उन्होंने कहा कि हमारे पास चाबी बनाने का ऐसा हुनर है कि एक बार हमे कोई ताला दिखा दे तो हम मिनटों में उसकी चाबी बना देते हैं. और दुनिया का ऐसा कोई ताला नहीं जिसे हम नहीं खोल सकतें.
पुश्तैनी चला आ रहा है ये घंघा
ताले का आकार बड़ा हो या छोटा हम कुछ ही मिनटों में उसकी चाबी बनाकर उसे खोल देते हैं. रशीद खान बताते हैं कि हमारे दादाजी वजीर खान और पिताजी लल्लू खा बड़े बड़े किलों महलों में लगे तालों की चाबियां बनाने जाते थें और हम भी आज दूर-दूर तक ताला खोलने के लिए जाते हैं.
ताला चाबी बनाने के हुनर से चलता है परिवार का खर्च
रशीद खान बताते हैं कि अब किले महलों का काम तो ज्यादा रहा नहीं तो हम सामान्य रूप से घरों, दुकानों और शोरूमों के ताला चाबी बनाते हैं. अगर कहीं किसी ताले की चाबी खो गई है तो लोग हमारे पास आते हैं और हम वहां जाकर उस ताले को देखकर मिनटों में उसकी चाबी बनाकर खोल देते हैं. साथ ही चाबियों में डिजाइन देना, बाइक या कार की चाबी गुम होने पर हम उसकी चाबी भी बनाते हैं.
अगली पीढ़ी को भी सीखा रहे है ये हुनर
रशीद खान बताते हैं कि इसी काम को मेरे बेटे समीर खान को भी सिखाया ताकी यह हुनर लगातार पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहे. और इसी काम से हमारे परिवार का नाम भी जुड़ा हुआ हैं. इसलिए यह काम हमारे लिए एक विशेष महत्व रखता हैं. हुनर के साथ साथ इस कला को हमेशा जीवित रखना चाहते हैं. लेकिन समय के साथ साथ तकनीकी विकास से डिजिटल ताले बनने लगे हैं. जिससे हमारे काम में लगातार गिरावट आई हैं पर सामान घरों में आज भी हमारे हुनर की खूब डिमांड रहती हैं.
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FIRST PUBLISHED : January 2, 2024, 12:48 IST