अब नए तेवर और कलेवर में दिखेगा बिहार का फेमस ‘लौंडा नाच’, आदिवासी कला देख आप रह जाएंगे भौचक्के

आशीष कुमार/पश्चिम चम्पारण. पश्चिम चंपारण के लाल मनोज बाजपाई अभिनीत फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर अगर याद है, तो इस फिल्म के पुरुष नाच को भला कौन भूल सकता है. और फिर गाहे बगाहे कई मौके पर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव भी इस नाच का आयोजन करवाते रहते हैं.
हालांकि समय के साथ-साथ चीजें विलुप्त होती जा रही हैं, लेकिन आज भी इस लोक संस्कृति को चम्पारण के थारू जनजाति के कलाकारों ने जीवंत रखा है. दरअसल, बिहार का प्रचलित पुरुष नाच अब फिर नए रूप में लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है. थारू कलाकारों ने नई नाच पार्टी बनाई है. इसमें पुरुष नृत्य के नए रूप को दर्शकों के सामने पेश किया जा रहा है.
बिहार, यूपी, झारखंड और नेपाल तक है फेमस
दरअसल, त्योहार के सीजन में थरुहट इलाके में जगह-जगह कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं. इसमें कई नए पुरुष लोक कलाकार महिलाओं का वेष धारण कर नाच के माध्यम से विलुप्त हो रही लोक संस्कृति को एक बार फिर जीवंत कर रहे हैं. बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़ और नेपाल के कुछ हिस्सों में प्रचलित नाच का अपना एक अलग ही महत्व है. इस नृत्य में पुरुष कलाकार महिलाओं के कपड़े पहनकर उनकी तरह ही नृत्य करके लोगों का मनोरंजन करते हैं. राजा-महाराजाओं के दरबार में इस नृत्य को विशेष महत्व दिया जाता था.
कहे जाते हैं भोजपुरी के शेक्सपियर
भोजपुरी के शेक्सपियर कहे जाने वाले भिखारी ठाकुर एक महान लोक कलाकार हुआ करते थे. उन्होंने भोजपुरी में कई नाटक, गीत और कविताएं लिखी. भिखारी ठाकुर ने अपनी रचनाओं के माध्यम से सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों को भी उठाया. उन्होंने पुरुष नाच को लोक नृत्य से व्यवसायिक रूप में बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. खास बात यह कि भिखारी ठाकुर ने अपने नाटकों में पुरुष नाच को आकर्षक और मनोरंजक रूप में प्रस्तुत किया.
18 से 26 वर्ष तक के युवा करते हैं प्रदर्शन
नाच पार्टी के व्यवस्थापक संतोष कुमार भारती ने बताया कि एक बार फिर पुरुष नाच का डिमांड बढ़ रहा है. एक-एक लड़के को साल में एक से दो लाख रुपए देने पड़ते हैं. इसके अलावा रहना और खाना सब कुछ संयोजक की तरफ से ही होता है. नाच पार्टी में काम करने वाले गौनाहा निवासी सुनील ने बताया कि इसमें 18 से लेकर 26 वर्ष तक के युवा प्रदर्शन करते हैं. वर्ष में तीन से चार महीने तक काम चलता है, इसके लिए व्यवस्थापक द्वारा पूरे साल का पैसा दे दिया जाता है.
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FIRST PUBLISHED : November 14, 2023, 16:15 IST