अब ‘हाईटेक’ तरीके से हो रहा अंतिम संस्कार, सिर्फ ढाई घंटे बाद ही मिल जाती हैं अस्थियां | Adarsh Nagar Muktidham Ashes To Relatives Funeral Modern Technology Save Environment Campaign Lpg Gas
आदर्श सहयोग समिति की ओर से मुक्तिधाम में दाह संस्कार के लिए दो एलपीजी गैस भट्टी लगवाई गई। बड़े आकार की इन भट्टियों में 20-20 सिलेंडरों की दो यूनिट लगी है। वहीं एक बड़ी चिमनी लगी हुई है। पहली गैस भट्टी साल 2017 में लगवाई गई, जबकि दूसरी गैस भट्टी साल 2019 में लगवाई गई। इन गैस भट्टियों में सर्व हिंदू समाज के मृतकों का दाह संस्कार होता है। दाह संस्कार के दौरान अगर बिजली चली जाए तो उसके लिए यहां जनरेटर की व्यवस्था भी है।
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ऐसी है प्रक्रिया
आदर्श सहयोग समिति के सचिव सुनील मल्होत्रा ने बताया कि मृतक के शव को भट्टी में रखा जाता है। इसके बाद भट्टी को चालू कर दिया जाता है। दो से ढाई घंटे में दाह संस्कार हो जाता है। भट्टी बंद करने के ढाई घंटे बाद परिजनों को अस्थियां दे दी जाती है। मल्होत्रा बताते हैं कि गैस भट्टी में दाह संस्कार में लकड़ियों की तुलना में खर्चा भी कम आता है। इससे पेड़ बचाने के साथ पर्यावरण भी प्रदूषित नहीं होता है। समिति के कोषाध्यक्ष गिरीश छाबड़ा ने बताया एक गैस भट्टी राजस्थान राज्य विद्युत प्रसारण निगम ने दान की हैं। वहीं दूसरी गैस भट्टी दानदाताओं के सहयोग से लगवाई गई है। हमारा उद्देश्य पर्यावरण बचाओ और पेड़ बचाओ की मुहिम को आगे बढ़ाना है।