अभिभावक सावधान ! सोशल मीडिया पर किशोर-किशोरियों को जाल में फंसाकर बना रहे शिकार

स्मार्ट फोन की लत और उसमें स्नैपचैट, इंस्टाग्राम, फेसबुक का सिर चढ़ता शौक किशोर-किशोरियों पर भारी पड़ रहा है। जयपुर के मानसरोवर इलाके में ऐसा ही सनसनीखेज मामला सामने आया है। मामले के अनुसार जयपुर की नामी स्कूल की 15 वर्षीय छात्रा को स्नैपचैट (सोशल मीडिया) के जरिये जाल में फंसाकर पहले दोस्ती की गई। अब किशोरी को आरोपित ब्लैकमेल कर रहे हैं। मानसरोवर थाने में पीडि़त छात्रा के पिता ने गुरुवार को मामला दर्ज करवाया है।
पिता ने बताया कि उनकी बेटी मानसरोवर क्षेत्र के एक स्कूल में पढ़ती है। किसी छात्र या अनजान व्यक्ति ने स्नैपचैट के जरिए बेटी से दोस्ती कर ली। बेटी ने स्नैपचैट पर चैटिंग करना बंद कर दिया तो दोस्ती करने वाला अनजान व्यक्ति बेटी को मानसिक तौर पर प्रताडि़त कर रहा है। किशोरी को अश्लील चैट भेज रहा है। बेटी की फोटो को एडिट कर गंदी (अश्लील) वीडियो बना ली। चैट जारी नहीं रखने पर एडिट की गई फोटो व वीडियो को वायरल करने की धमकी दे रहा है। आशंका जताई जा रही है कि आरोपी छात्रा का परिचित हो सकता है। थानाधिकारी महावीर सिंह ने बताया कि स्नैपचैट व इंस्टाग्राम से बच्ची से चैट करने वाले के संबंध में तकनीकी जानकारी मांगी है।
लड़की बनकर दोस्ती, फिर बलात्कार
नोखा में स्नैपचैट पर एक युवक ने लड़की बनकर युवती से दोस्ती कर ली। फिर युवती का मोबाइल नंबर लेकर बातचीत करने लगा और उसे मिलने की कहकर बुला लिया। आरोपी ने युवती से बलात्कार किया।
50 लड़कियों की फोटो कर दी वायरल
चंडीगढ़ में एक नामी स्कूल की 50 छात्राओं की अश्लील फोटो सोशल मीडिया पर वायरल करने का मामला सामने आया। बाद में पुलिस ने आरोपी की पहचान एक नाबालिग के रूप में की।
ब्लैकमेलिंग पर यह करें
– अपराधी से उलझे नहीं
– फिरौती या अन्य मांग पूरी नही करें, कानूनी विशेषज्ञों से सुझाव लें- अपराधी की संदिग्ध गतिविधियां नजर आने लगे तो पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाएं
परिजनों के लिए सुझाव
– बच्चों को अनजान लोगों से चैट न करने के लिए जागरूक करें
– विशेष ध्यान दें कि बच्चा अकेले में बैठकर मोबाइल पर किससे चैट कर रहा है, किस तरह की चैट कर रहा है और सामने चैट करने वाला व्यक्ति कौन है- बच्चे के व्यवहार में परिवर्तन आए या गुमसुम रहने लगे तो उससे बातचीत कर जानने का प्रयास करें
पत्रिका व्यू
अधिकांश माता-पिता अपने बच्चों के पास स्मार्ट फोन होने से परेशान हैं, लेकिन आश्चर्य यह है कि उन्हें यह सुविधा उपलब्ध भी वही करवाते हैं। माना जा सकता है कि यह समय की जरूरत है। लेकिन इसकी आड़ में बच्चे में कोई परिवर्तन नजर आए या वह उसका दुरुपयोग कर रहा है तो उस पर नजर रखने की जिम्मेदारी भी अभिभावकों की है। इसलिए जरूरी है कि अभिभावक स्वयं अपने बच्चों को जागरुक करें। उनकी काउंसलिंग करें। जरूरत हो तो विशेषज्ञ की मदद लें। यथासंभव कोशिश करें कि बच्चे को स्मार्ट फोन के नुकसान बताकर उसे इससे दूर रहने के लिए प्रेरित करें। बच्चों के लिए थानेदार बनने के बजाय उनसे दोस्ती कर उनके मददगार बनें।
इनका कहना ऐसे बचें
सोशल मीडिया प्लैटफ़ॉर्म पर हैकिंग, ब्लैकमेलिंग, एक्सटोर्शन, सेक्सटोर्शन, डिजिटल अरेस्ट, डीप फ़ेक से बचने के लिए फ़ेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, गूगल का टू स्टेप वेरिफिकेशन और टू फैक्टर ऑथेंटिकेशन और प्रोफाइल प्राइवेसी लॉक रखें। स्नैपचैट हो या फिर अन्य सोशल मीडिया प्लेट फार्म, किसी पर भी अनजान व्यक्ति की फ्रेंड और चैट रिक्वेस्ट को स्वीकार न करें।
चन्द्र प्रकाश चौधरी, थानाधिकारी, स्पेशल ऑफ़ेंसेज एंड साइबर क्राइम पुलिस थाना कमिश्नरेट जयपुर