अलवर मंदिर केस पहुंचा हाईकोर्ट: सीएम गहलोत, विधायक और कलेक्टर को बनाया पार्टी, पढ़ें ताजा अपडेट
हाइलाइट्स
अलवर की राजगढ़ नगरपालिका ने 17 अप्रेल को की थी कार्रवाई
अतिक्रमण हटाने के दौरान 300 साल पुरान मंदिर भी ढहा दिया था
जयपुर. अलवर की राजगढ़ नगरपालिका की ओर से गई अतिक्रमण हटाने और मंदिर ढहाने की कार्रवाई (Alwar Temple Case) का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है. अधिवक्ता प्रकाश ठाकुरिया ने हाईकोर्ट में याचिका दायर करते हुए सीएम अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) सहित विधायक जौहरी लाल मीणा को मामले में पार्टी बनाया है. याचिका में कहा गया है कि पूरी कार्रवाई राजनीतिक द्वेषता के चलते की गई है. ऐसे में पूरे मामले की न्यायिक जांच करवाई जाए. वहीं हाईकोर्ट दोषी अधिकारियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई के आदेश दें.
राजगढ़ नगरपालिका ने 17 अप्रेल को अतिक्रमण हटाने के नाम पर करीब 300 साल पुराने मंदिर सहित धर्मशाला और लोगों के मकान ध्वस्त कर दिए थे. उसके तीन दिन बाद इस मुद्दे पर राजनीति गरमाने लगी. देखते ही देखते यह मुद्दा राजस्थान की सरहदें पार करता हुआ राष्ट्रीय स्तर पर छा गया. उसके बाद बीजेपी इस मामले को लेकर गहलोत सरकार पर हमलावर हो गई. वर्तमान में यह मुद्दा राजनीति का केन्द्र बिन्दु बना हुआ है.
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विधायक का वीडियो हो रहा वायरल
याचिकाकर्ता प्रकाश ठाकुरिया की ओर से याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता अमितोष पारीक ने बताया कि मामले में विधायक जौहरीलाल मीणा का एक वीडियो वायरल हो रहा है. इसमें वे कह रहे हैं कि नगरपालिका के 34 पार्षद मेरे समर्थन में ले आओ तो मैं प्रशासन को कार्रवाई करने से रोक दूंगा. उन्होंने कहा कि यह वीडियो साबित करता है कि पूरी कार्रवाई राजनीतिक द्वेषता से की गई है. क्योंकि राजगढ़ नगरपालिका में बीजेपी का बोर्ड है और कांग्रेस विधायक उस बोर्ड को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. वहीं जो कार्रवाई की गई वह गौरव पथ और मास्टर प्लान के तहत करना बताई गई है. लेकिन अगर मास्टर प्लान के तहत कार्रवाई की गई है तो फिर इसे पीडब्ल्यूडी को करना चाहिये था.
बीजेपी हो रही हमलावर
घटना के बाद से ही बीजेपी लगातार कांग्रेस पर हमलावर हो रही है. बीजेपी ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस शुरू से ही मंदिरों को निशाना बना रही है. यही वजह है कि अतिक्रमण के नाम पर 300 साल पुराने मंदिर को तोड़ा गया. मूर्तियों को खंडित किया गया. वहीं राजनीतिक द्वेषता के चलते ऐसे लोगों के मकान तोड़े गए जिनके पास बरसों से नगरपालिका के ही पट्टे थे. कार्रवाई से पहले लोगों को मकान खाली करने का भी समय नहीं दिया गया. कार्रवाई के बाद लोगों को मुआवजा नहीं दिया गया.
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