Rajasthan

अलवर में कपास का बंपर उत्पाद… बांग्लादेश तक डिमांड,  फिर भी किसानों को नहीं मिले दाम

पीयूष पाठक/अलवर. जिले के किसान अब बाजरा, गेहूं व सरसों के साथ कपास की खेती भी अधिक मात्रा में करने लगे हैं. इसका कारण है कि इसका दाम भी उन्हें बाजार से अच्छा मिलता है. अलवर जिले का कपास भी विदेशों तक पिछले कुछ साल से जा रहा था. लेकिन इस बार किसानों को कपास के उतने दम नहीं मिले, जितना किसानों को उम्मीद थी. बात की जाए पिछले साल के दामों की तो किसानों को पिछली बार 10,500 रूपये प्रति क्विंटल कपास की फसल के भाव मिले. लेकिन इस साल यह घर घटकर मात्र 6 हज़ार पर आ गए. इसका कारण है कि इस बार पड़ोसी देश चीन से कपास की मांग नहीं हो रही. साथ ही बांग्लादेश में जाने वाले कपास की खरीद भी बहुत ही कम रही. इसी के चलते किसानों को इस साल कपास का भाव नहीं मिला.

किसान भुवनेश ने बताया कि शुरुआती समय में  किसानों को कपास की फसल का भाव 6 हज़ार मिलने शुरू हुआ, जो 9 हज़ार तक एक बार पहुंचा. लेकिन इसके बाद भाव लगातार गिरते गए और लास्ट में करीब 6500 से 7 हज़ार रूपये प्रति क्विंटल कपास के भाव किसान को मिले. निर्यातकों के अनुसार इस बार पड़ोसी देश चीन भारत से कॉटन ना खरीद कर अन्य देश से खरीद रहा है. इस कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी कपास के भाव काम चल रहे है. बांग्लादेश में भी डॉलर कोष पिछले साथ कई साल से न्यूनतम स्तर तक पहुंच गया. इसके चलते भारत से कपास का निर्यात कम हो गया.

अलवर के कपास की रहती है मांग
लीलाराम जाट ने बताया कि अलवर की कपास अच्छी क्वालिटी की होने के कारण इसकी मांग विदेशों तक रहती है. बांग्लादेश तक इसकी डिमांड रहती है. अलवर का कपास कपड़ा फैक्ट्री में भी जाता है. जबकि कपास की इस बार अच्छी डिमांड होने के बाद भी किसानों को कपास के दाम नहीं मिले. लीलाराम जाट ने बताया कि अलवर के कपास की अच्छी क्वालिटी के चलते इसकी डिमांड अधिक रहती है. अलवर का कपास चीन, बांग्लादेश, भीलवाडा, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उतरांचल, कोलकाता, गुजरात साहित अन्य कपड़ा मील तक जाता है.

Tags: Agriculture, Alwar News, Local18, Rajasthan news

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