Rajasthan

अवैध मीट दुकानों और आवारा पशुओं ने छीनी कॉलोनी की शांति, तो कॉलोनीवासियों ने राज्य मानव अधिकार आयोग से लगाई ऐसी गुहार | Gulabi Nagari Colony Appeal To State Human Rights Commission To Protect Right To Dignified Life In Constitution

मास्टर प्लान के विपरीत चल रही फैक्ट्री सहित अन्य व्यावसायिक गतिविधियों से उत्पन्न शोर ने कॉलोनी की शांति छीन ली, अवैध मीट की दुकानों के कारण लोगों का घर से बाहर निकलना मुश्किल है और आवारा पशुओं के कारण सफाई चौपट है।

मास्टर प्लान के विपरीत चल रही फैक्ट्री सहित अन्य व्यावसायिक गतिविधियों से उत्पन्न शोर ने कॉलोनी की शांति छीन ली, अवैध मीट की दुकानों के कारण लोगों का घर से बाहर निकलना मुश्किल है और आवारा पशुओं के कारण सफाई चौपट है। इस स्थिति को संविधान में दिए सम्मान से जीने के अधिकार के विपरीत बताते हुए जयपुर की एक कॉलोनी में रहने वालों ने राज्य मानव अधिकार आयोग में गुहार लगाई है।

हाईकोर्ट वर्ष 2017 में पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी की पत्र याचिका पर मास्टर प्लान की सख्ती से पालना का निर्देश दे चुका। इसके बावजूद जयपुर के अनेक इलाकों में लोग इस कॉलोनी की तरह ही परेशान हैं। आयोग के कार्यवाहक अध्यक्ष रामचन्द्र सिंह झाला ने जयपुर के सोढाला क्षेत्र स्थित गुलाबी नगर की स्थिति को गंभीरता से लिया है। इस कॉलोनी को लेकर हैरिटेज नगर निगम की अधिकारी डॉ. नेहा गौड़ ने आयोग में स्वीकार किया कि कॉलोनी में मीट की 8 दुकान हैं, जिनमें से 5 बिना लाईसेंस हैं। उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों विधायक बालमुकुन्दाचार्य ने भी जयपुर शहर में मीट की अवैध दुकानों को लेकर नाराजगी जताई थी।

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उधर, गुलाबी नगर आवासीय कॉलोनी में अवैध और व्यावसायिक गतिविधियाें तथा आवारा पशुओं को लेकर निगम उपायुक्त संजू पारीक जवाब नहीं दे पाईं। उन्होंने कार्रवाई के लिए समय मांग लिया। कॉलोनीवासियों के अधिवक्ता राकेश कुमार रजवानियां ने बताया कि 12 आवासीय भूखण्डों पर वाणिज्यिक गतिविधियां चल रही हैं। इस स्थिति को लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय तक शिकायत की जा चुकी। सितम्बर 2022 से मामला आयोग में चल रहा है।

आयोग जता चुका हैरानी
इस मामले में आयोग ने मौका निरीक्षण रिपोर्ट मांगी, तो नगर निगम ने स्वीकार किया कि एक अवैध फैक्ट्री में आग भी लग चुकी। इस पर आयोग ने हैरानी जताते हुए कहा कि आग लगने के बावजूद अवैध फैक्ट्री को सीज नहीं किया और कारण पूछा तो व्यावसायिक गतिविधियों के खिलाफ नियमानुसार कार्यवाही करने का आश्वासन दे दिया।

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8 बार आयोग को नहीं मिला रेस्पॉन्स
आयोग ने 4 अक्टूबर 23 के बाद नगर निगम अधिकारियों को करीब आठ बार बुलाया, लेकिन कोई रेस्पॉन्स नहीं मिला तो आयोग को हर्जाने व अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी देनी पड़ी। इसके बाद अधिकारी जवाब देने आयोग पहुंचे, लेकिन कार्रवाई रिपोर्ट इस बार भी पेश नहीं हुई।

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