अष्टानिका महापर्व: सिद्ध चक्र महामंडल विधान पूजा में चढ़ाए 256 अर्घ्य
जैन धर्म के आठ दिवसीय शाश्वत पर्व अष्टानिका महापर्व में श्री1008 सिद्ध चक्र महामंडल विधान पूजा में रविवार को मंत्रोच्चार के साथ 256 अर्घ्य चढ़ाए गए। इस मौके पर कई मंदिरों में दिगम्बर जैन संतों ने अष्टानिका महापर्व का महत्व बताया।
राजस्थान जैन युवा महासभा जयपुर के प्रदेश महामंत्री विनोद जैन कोटखावदा के अनुसार मंगलवार से दिगम्बर जैन मंदिरों में प्रतिदिन विशेष पूजा अर्चना, मंडल विधान, सायंकाल महाआरती, भक्ति संध्या, सांस्कृतिक कार्यक्रम सहित धार्मिक आजोजन किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि जैन धर्म के इस दूसरे बडे पर्व अष्टानिका महापर्व के मौके पर शहर के दिगम्बर जैन मंदिरों में आठ दिनों तक सिद्ध चक्र महामंडल विधान पूजा एवं विश्व शांति महायज्ञ, नन्दीश्वर महामंडल विधान पूजा सहित सांस्कृतिक कार्यक्रम किए जा रहे हैं। दुर्गापुरा के दिगम्बर जैन मंदिर चन्द्र प्रभु में गणिनी आर्यिका भरतेश्वरमति माताजी ससंघ के सान्निध्य में, आगरा रोड के पाश्र्वनाथ दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र चूलगिरी में विधानाचार्य विमल कुमार जैन बनेठा वालों के निर्देशन में, तारों की कूंट स्थित शांतिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर, सूर्य नगर में अभिषेक, शांति धारा के बाद सिद्ध चक्र महामण्डल विधान पूजा की। सोमवार को पूजा में अष्ट द्रव्य के 512 अर्घ्य मंत्रोच्चार के साथ चढ़ाए गए। अष्टानिका महापर्व का मंगलवार को विश्व शांति महायज्ञ एवं पूर्णाहुति के साथ समापन होगा। इस दौरान शहर के दिगम्बर जैन मंदिरों में धर्म की गंगा बह रही है।
जैन धर्म ग्रंथों में भी उल्लेख
जानकारी के अनुसार वर्ष में तीन बार कार्तिक, फाल्गुन एवं आषाढ़ में मनाए जाने वाले इस पर्व की शुरुआत महासती मैना सुन्दरी की ओर से की गई। उन्होंने पति श्रीपाल के कुष्ठ रोग निवारण के लिए इसकी शुरुआत की। इसका जैन ग्रन्थों में भी उल्लेख मिलता है।