असम और कर्नाटक से बीकानेर में सूखने आती है सुपारी, फिर होती है देश-विदेश में सप्लाई
निखिल स्वामी/बीकानेर. बीकानेर की पहचान भुजिया, रसगुल्ला के अलावा सुपारी से भी है. यहां सुपारी का कारोबार भुजिया और रसगुल्ला से कम नहीं है. भुजिया और रसगुल्ले के बाद अगर किसी खाद्य पदार्थ की खपत सबसे ज्यादा होती है तो वह है सुपारी. बीकानेर की आबोहवा ही ऐसी है कि यहां भुजिया और रसगुल्ले इतना स्वादिष्ट बनता है कि दूसरे राज्यों में ऐसा स्वाद नहीं बन सकता है.
वहीं सुपारी भी यहां आती है और सुपारी में बीकानेर की हवा लगते ही इसका स्वाद और तासीर बदल जाती है. सुपारी व्यापारी नवीन ने बताया कि मजे की बात तो यह है कि असम और कर्नाटक से सुपारी बीकानेर में सिर्फ सूखने के लिए आती है. वहां से यह सुपारी कच्ची आती है और बीकानेर में कई जगह इसे धूप में कुछ दिनों तक सुखाया जाता है. इसके बाद यहां से सुपारी देश और विदेश में सप्लाई की जाती है.
सिर्फ सूखने आती है सुपारी
बताते हैं कि बीकानेर में तेज धूप पड़ने से सुपारी जल्द सुख जाती है. जब यह सुपारी कर्नाटक और असम से आती है तो इसकी तासीर गर्म होती है, लेकिन बीकानेर में सूखने के बाद इसकी तासीर ठंडी हो जाती है, जिससे यह लोगों के लिए फायदेमंद साबित होती है. नवीन ने बताया कि यहां सुपारी सूखने के बाद लोग इसको मारवाड़ी सुपारी या बीकानेरी सुपारी कहते हैं. हालांकि ये सुपारी कर्नाटक और आसाम से आती है फिर भी देश विदेश में इसे मारवाड़ी या बीकानेरी सुपारी कहते हैं. इसकी कीमत 400 से 500 रुपए किलो है.
इस सीजन में आती है सुपारी
सुपारी यहां अलग अलग सीजन में आती है. इनमें आसाम से आने वाली चिकनी सुपारी जनवरी से अप्रैल के मध्य आती है. इस सीजन में इसकी खपत 200 से 300 टन के करीब रहती है. वहीं, कर्नाटक से आने वाली मुम्बई की सुपारी के नाम से प्रसिद्ध है. इस सुपारी का सीजन जून, जुलाई, दिसंबर एवं जनवरी में रहता है.
चिकनी की सबसे ज्यादा डिमांड
यहां पर बिकने वाली सुपारी को आयातीत इंडो सुपारी, इंडियन आसामी, असम की सुपारी, मुम्बई की सुपारी एवं सुपारी पाक के नाम से जाना जाता है. शहर में वैसे तो हर तरह की सुपारी बिकती है, लेकिन चिकनी सुपारी का मार्केट सबसे ज्यादा है. हर माह करीब 300 टन बिकने वाली यह सुपारी असम से आती है. इसका उपयोग चबाने के लिए बनाई जाने वाली मीठी सुपारी के रूप में किया जाता है.
व्यापक स्तर पर फैला है कारोबार
बीकानेर में व्यापक स्तर पर सुपारी कारोबार फैला है. शहर के परकोटे के भीतर सुपारी की सबसे ज्यादा दुकानें हैं. ये दुकानें मोहता चौक, बड़ा बाजार, सुपारी बाजार, सट्टा गली, पुराना सट्टा बाजार, कोटगेट, फड़ बाजार, रेल्वे स्टेशन, हर्षों का चौक, दाऊजी मंदिर, जस्सूसर गेट आदि स्थानों पर हैं. यहां पर सुपारी का व्यवसाय पीढ़ी दर पीढ़ी चल रहा है.
सुपारी से सैकड़ों लोगों का चल रहा घर
व्यापारी बताते हैं कि सुपारी से कई परिवार अपनी रोजी-रोटी कमा रहे हैं. कर्नाटक, मुंबई आदि राज्यों से आने वाली सुपारी को सुखाना, पॉलिश करना एवं उन्हें कटिंग करके सप्लाई करने के काम में सैकड़ों परिवारों के करीब 600 से 700 लोग अपनी जीविका चला रहे हैं.
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FIRST PUBLISHED : July 19, 2023, 21:03 IST