Rajasthan

आदित्य एल 1 की सफलता में उदयपुर का अहम योगदान, यहां के वैज्ञानिकों ने तैयार किया है ये पार्ट

निशा राठौड़/उदयपुर. भारत चंद्रयान 3 की सफलता के बाद अब सूरज की तरफ कदम बढ़ा रहा है. सौर मिशन आदित्य एल-1 वन की श्रीहरिकोटा से लॉन्चिंग है. खास बात यह है कि उदयपुर का भी इसमें योगदान है. आदित्य एल-1 में कुल 7 पेलोड लगाए गए हैं. इनमें से एक पेलोड उदयपुर-अहमदाबाद के वैज्ञानिकों ने तैयार किया है. इसे लेकर फतहसागर झील के बीचों बीच स्थित 48 साल पुरानी एशिया की पहली हाईटेक सौर वेधशाला के वैज्ञानिकों में उत्साह का माहौल है.

भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला अहमदाबाद के निदेशक डॉ. अनिल भारद्वाज बताते हैं कि उदयपुर सौर वेधशाला अहमदाबाद भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला के ही अधीन संचालित हैं. अब इस वेधशाला का नाम में आदित्य एल-1 सौर मिशन के साथ स्वर्ण अक्षरों में दर्ज होगा. उदयपुर की वेधशाला में अभी रोज 10 घंटे ही सूर्य का अध्ययन हो पाता है और मौसम संबंधित बाधाओं के कारण कई बार आब्जर्वेशन बंद करना पड़ता है. आदित्य एल-1 सैटेलाइट की लॉन्चिंग के बाद इन बाधाओं से मुक्ति मिलेगी, शोध अनवरत होगा.

5 दशक से रिसर्च कर रहे हैं वैज्ञानिक 
उदयपुर सौर वेधशाला के अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त (HELIOS) वैज्ञानिक प्रो. षिबू के. मैथ्यू, रमित भट्टाचार्य, भुवन जोशी व कुशाग्र उपाध्याय बताते हैं कि सामान्यतः सूर्य आग के गोले की तरह चमकीला दिखाई देता है, लेकिन उच्च विभेदन क्षमता की विशेष दूरबीनों से देखने पर सौर ज्वाला, द्रव्यमान उत्सर्जन भी देखने को मिलते हैं. सूर्य की इन्हीं गतिविधियों के अध्ययन के लिए इस वेधशाला के वैज्ञानिकों की टीम पिछले 5 दशक से शोध कर रही है. सूरज के रहस्यों पर अध्ययन करने वाली यह वेधशाला दुनिया के शीर्ष संस्थानों में शामिल है.

आदित्य एल-1 के बाद 24 घंटे कर सकेंगे रिसर्च

डॉ. अनिल भारद्वाज बताते हैं कि उदयपुर के वैज्ञानिकों द्वारा तैयार किए गए इस पेलोड का नाम आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट (ASPEX) है. दूसरी खास बात यह है कि 127 दिन बाद आदित्य एल-1 के प्रक्षेपण के बाद उदयपुर सौर वेधशाला के वैज्ञानिक सूर्य की हर गतिविधि का 24 घंटे अध्ययन कर सकेंगे. अभी 10 घंटे ही शोध कर पाते हैं. आदित्य एल-1 सूर्य पर होनी वाली गतिविधियों की जो जानकारियां भेजेगा उनका अध्ययन-शोध सुपर कम्प्यूटर से किया जाएगा. उदयपुर वेधशाला मास्ट (MAST), स्पार (SPAR), कैलिस्टो ( CALLISTO), और गोंग (GONG) जैसी चार एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर दुनिया की हाईटेक दूरबीनों से लैस है. वैज्ञानिक इनसे जुटाए आंकड़ों और चित्रों से सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र में होने वाले परिवर्तन, विस्फोट और अंतरिक्ष मौसम पर पड़ने वाले असर के कारणों को समझते हैं.

Tags: Aditya L1, Local18, Rajasthan news, Udaipur news

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