आपकी बात…मणिपुर में अब भी शांति क्यों नहीं हो पा रही ? | Why is there still no peace in Manipur ?

राजनीतिक दल कर रहे उपेक्षा
पूर्वोत्तर के इस राज्य को नजर अंदाज किया जा रहा है। राजननीति दॄष्टि से इसे खोने या पाने को पार्टियाँ इतना महत्त्वपूर्ण नहीं समझती हैं। राजनीतिक दलों को लगता है कि इस राज्य के हालात का देश की राजनीति पर प्रभाव नहीं पड़ेगा। इसलिये केवल खाना पूर्ति हो रही है। पक्ष एवं विपक्ष मेँ बयान देने की इच्छा शक्ति की कमी भी एक कारण है।
डॉ कमल थधानी, कोटा
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कुकी और मेतई सध्य विवाद
मणिपुर के कुछ भागों में कुकी और मेतई समुदाय के मध्य स्थानीय विषयों को लेकर विवाद की स्थिति बनी हुई है। इससे बार बार हिंसा भडक रही है। केंद्र सरकार और सेना दोनों पक्षों में शांति के प्रयासमुदाय के म कर रही है।
विनायक गोयल, रतलाम, मध्यप्रदेश
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केंद्र सरकार नहीं है गंभीर
मणिपुर में मैतेई और कुकी जनजातियों में स्थानीय संसाधनों और वर्चस्व को लेकर विवाद है । केंद्र सरकार भी मसले को गंभीरता से नहीं ले रही है। उदाहरण के लिए हालत सुधारने के लिए जिस शांति समिति का गठन किया, उस पर दोनों पक्षों का विश्वास नहीं है।
अरविंदर सिंह, कोटपूतली राजस्थान
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नौकरयों का अभाव व आर्थिक असमानता
मणिपुर में शांति की स्थिति कई मामलों पर आधारित होती है। इनमें नौकरियों का अभाव, आर्थिक असमानता, और राजनीतिक विवाद शामिल हैं। इन मुद्दों के समाधान करने के लिए सरकार और समुदाय के बीच संवाद हो और जल्द ही कोई समझौता बने।
संजय माकोड़े, बैतूल
……………………………………………………… हिंसा न थमने का कारण राजनीतिक संरक्षण
मणिपुर में हिंसा का इतिहास बहुत पुराना है। यहां मुख्य संघर्ष मैतेई (घाटी बहुल समुदाय) और कुकी जनजाति (पहाड़ी बहुल समुदाय) के बीच है। मणिपुर में मैतेई समाज की मांग है कि उसको कुकी की तरह राज्य में शेड्यूल ट्राइब (ST) का दर्जा दिया जाए। पिछले वर्ष आए न्यायालय के फैसले के बाद यह संघर्ष और गहरा गया है।
दोनो पक्षों को मिल रहा राजनीतिक संरक्षण भी हिंसा न थमने का मुख्य कारण है।
राजेश पिंगले, जयपुर
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हथियारों पर लगे पाबंदी
मणिपुर में अलग अलग समुदायों की बीच बहुत तनाव है। दोनों के पास हथियार हैं। इन हथियारों पर पाबंदी लगानी चाहिए। दोनों के बीच तनाव कम करने के उपाय नहीं हो रहे। सर्वजातीय महिला पुरुष शांति दल निर्मित नहीं हो रहे। मणिपुर की सारी जातियों का आरक्षण रद्द कर देना चाहिए।
मुकेश भटनागर, भिलाई, छत्तीसगढ़
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सरकार नहीं उठा रही कठोर कदम
भारत का सबसे शांत और खूबसूरत राज्य मणि की धरती अशांत है। केंद्र और राज्य सरकार शांति करने के लिए कठोर कदम नहीं उठा रही है। कुकी और मैतई दोनों ही समुदाय के लोगों को लग रहा है कि उन्हें अपनी सुरक्षा खुद ही करनी पड़ेगी। इसी वजह से हालात दिन पर दिन खराब होते जा रहे हैं। मणिपुर के लोग हिंसा से निपटने के लिए खुद ही हिंसा का सहारा ले रहे हैं। केंद्र और राज्य सरकार मजबूती से आम लोगों की सुरक्षा का बंदोबस्त नहीं करेगी तब तक शांति स्थापित नहीं होगी।
मोदिता सनाढ्य, उदयपुर
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केंद्र व राज्य सरकारों की ढिलाई
मणिपुर में पिछले काफी समय से जातीय विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा। विवाद को हल करने में केंद्र और राज्य सरकार दोनों की ढिलाई है। दोनों समुदायों लगता है कि सरकारें उनकी रक्षा कर पाने में असमर्थ हैं। इसलिए उन्हें स्वयं ही अपनी रक्षा करनी होगी। इसलिए वे बचाव में भी हिंसक हो जाते हैं। इस हिंसा की मार वहां रहने वाले आम आदमी झेल रहे हैं। दंगो की वजह से रोजमर्रा के खाद्यान्न भी महंगे हो गए हैं। बड़ी मुश्किल से दवाएं उपलब्ध हो रही हैं। प्रशासन को जल्द ही अमन चैन के प्रयास करने चाहिए।
निर्मला देवी वशिष्ठ , राजगढ़ अलवर