इंजीनियर बेटे-फौजी पिता ने बसाया मॉर्डन गांव, झोपड़ी में फाइव स्टार सुविधाएं, दूर-दूर से आते हैं पर्यटक
IMTIYAZ ALI
झुंझुनूं. झुंझुनूं जिला मुख्यालय से 11 किलोमीटर दूर स्थित बुडाना गांव इन दिनों चर्चा में है. चर्चा का कारण गांव का एक मॉर्डन खेत है, जिसमें बने झौपड़ों में फाइव स्टार होटल जैसी सुविधाएं हैं. इस लग्जरी झोपड़ी में ऐशोआराम के तमाम बंदोबस्त हैं. यहां गांव और शहर की मिक्स कल्चर से आप रूबरू होंगे. इसे आप एग्रो टयूरिज्म भी कह सकते है. अगर आप एकांत में एक या दो दिन सुकून से बिताना चाहें तो सीधे बुडाना चले आइए. यहां खेत में गांव के माहौल के बीच बाग-बगीचों में झोपड़ियों में एशोआराम की तमाम सुविधाएं मिलेंगी. भीड़ भाड़ से दूर पूरी तरह से शांत माहौल में आकर आप वापस जाना ही नहीं चाहेंगे. हैरिटेज हवेलियों के लिए पहचाने जाने वाले झुंझुनूं जिले में एग्रो टयूरिज्म भी पांव पसारने लगा है. बुडाना गांव के जमीन पठान का फार्म हाउस एग्रो टयूरिज्म का उदाहरण है. खेत के बीचों बीच लग्जरी झौंपड़ों में फाइव स्टार होटल जैसी सुविधाएं और झोपड़ों के चारों तरफ फलों का बगीचा है.
यहां पर इन दिनों पर्यटकों के आने का सिलसिला भी शुरू हो गया है. एक साल पहले 2021 में सेना से रिटायर्ड जमील पठान और उसके इंजीनियर बेटे जुनैद पठान ने इसकी शुरुआत की. अब तक करीब 10 से ज्यादा टूरिस्ट ग्रुप यहां आ चुके हैं. सभी इसकी सराहना कर चुके हैं और हर कोई इस व्यवसाय को बढ़ावा देने की बात कहकर गया है.
मौसंबी और किन्नू की फसल ने सेना से रिटायर जमील पाठान की बदली किस्मत
सेना से रिटायर जमील पठान कहते हैं कि उन्होंने 2004 में खेत में ट्यूबवैल लगवाया था. खेती बाड़ी शुरू की थी. 2008 में आंवला, जामुन, लेसवा के पेड़ लगाए. इनसे फायदा हुआ तो बाग बगीचे की तरफ रूझान बढ़ा. 2016 में 15 से 20 हजार पौधे किन्नू, मौसमी, नींबू, बील आदि के लगाए यानी 60 बीघा खेत में मौसंबी और किन्नू का बगीचा लगाया. 2020 में पहली फसल ली थी. इससे 15 लाख रुपये की इनकम हुई. पठान कहते हैं कि मौसंबी और किन्नू ने उसकी किस्मत ही बदल दी. इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा. जेतून के 700 से अधिक पेड़ हैं.

हैरिटेज हवेलियों के लिए पहचाने जाने वाले झुंझुनूं जिले में एग्रो टयूरिज्म भी पांव पसारने लगा है. बुडाना गांव के जमीन पठान का फार्म हाउस एग्रो टयूरिज्म का उदाहरण है.
पिछले दो साल से किन्नू और मौसंबी से लाखों रुपये कमाने वाले जमीन पठान जिले के किसानों को सलाह देते हैं कि वह हर कहीं से किन्नू व मौसंबी की पौध लाकर नहीं लगाएं. इससे नुकसान हो सकता है. सर्वाधिक फायदे और सफलता के लिए उन्होंने पंजाब के अबोहर में स्थित सफा वाली नर्सरी से ही पौधे लाकर लगाने की सलाह दी है. वे कहते हैं कि वहां से लाई गई पौधे सफल होती है और ज्यादा उत्पादन होता है. जो भी किसान बागवानी में रूझान रखता है, उसे सफावाली पौध लाकर ही लगानी चाहिए.
30 लाख रुपये खर्च कर खेत में बना दिए मॉर्डन 10 झोपड़ी
जमील पठान कहते हैं कि खेत में बागवानी से जब फायदा होने लगा तो उसने रहने के लिए खेत में यूं ही एक झौपड़ा बना लिया था. एक बार दिल्ली से मित्रों की एक टोली आई और वह यहां रुकी. वे एक सप्ताह तक रुके थे. गांव के माहौल में खेत में एकांत जगह में वे इतने खुश हुए कि मैं शब्दों में बता नहीं सकता. उन्होंने ही जाते समय कहा था-जमील तुम्हारा खेत किसी जन्नत से कम नहीं है. आज भागदौड़ भरी जिंदगी में ऐसी एकांत और सुकून देनी वाली जगह कहीं नहीं मिलती है. बस उसी दिन सोच लिया था, लोगों को सुकूनभरी जिंदगी देने के लिए खेत को मॉर्डन खेत बनाना है. 30 लाख रुपए खर्च कर 10 झोपड़े बना दिए. इनमें सभी लग्जरी सुविधाएं हैं. जैसे-जैसे लोगों को इसके बारे में पता चला रहा है, लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है.
चूल्हे में बनता है खाना
जुनैद ने अपने पिता के साथ मिलकर फलों के बगीचों में ही एक छोटा गांव तैयार कर लिया है. टूरिस्ट को यहां गांव जैसा फील हो इसके लिए झोपड़ें बना रखे हैं, खाना भी चूल्हे पर पकता है. मेन्यू में भी केवल ट्रेडिशनल फूड शामिल हैं. जमील पठान बताते हैं कि यहां पर चूल्हे पर पका हुआ खाना परोसा जाता है. देशी गाय के दूध से बनी लस्सी औ दही और घी से खाना तैयार होता है. अनाज भी ऑर्गेनिक. इसके अलावा हॉर्स राइडिंग के लिए घोड़े भी पाल रखे हैं. गांव की शुद्ध हवा और वातावरण यहां आने वाले टूरिस्ट को काफी पसंद आ रहा है. भीड़-भाड़ से दूर आकर यहां लोग काफी शांति महसूस करते हैं.
खेत के ही अनाज से खाना, बगीचे के फ्रूट से जूस
इसकी खास बात यह है कि खेत में ही टूरिस्ट के लिए बाजरा, मक्का और गेहूं की खेती भी करते हैं. इन्हीं फसलों से बने आटे की रोटी खिलाई जाती है. हरी सब्जी और जूस भी बगीचे में लगे फ्रूट का जूस पिलाया जाता है. पिछले एक साल में 10 से ज्यादा ग्रुप यहां आ चुके है. एग्रो टूरिज्म के अलावा यहां की हवेलियां भी दुनियाभर में अपनी पहचान बना चुकी है. हर साल यहां हजारों टूरिस्ट आते है. जिले में सबसे ज्यादा विदेशी पर्यटक फ्रांस और जर्मनी से आते हैं. इनके अलावा इंग्लैंड, इटली, कनाडा, अमेरीका, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, स्विट्जरलैंड और जापान से भी बड़ी संख्या में पर्यटक आते रहते है.
शेखावाटी में तैयार किया फ्रूट का सबसे बड़ा मार्केट
रिटायर्ड फौजी ने फ्रूट की खेती से शेखावाटी में सबसे बड़ा मार्केट तैयार किया है. फ्रूट की सप्लाई झुंझुनूं के अलावा, सीकर, चिड़ावा और नवलगढ़ की मंडियों में भी कर रहे है. इसके अलावा व्यापारियों द्वारा उनके फ्रूट जयपुर मंडी में भी भेजे जाते है. इतना ही नहीं फोन पर भी उन्हें ऑर्डर मिल रहे हैं.
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60 बीघा में लगाए हैं 15 से 20 हजार पौधे
जमील ने 60 बीघा खेत में फलों की बगीचा तैयार किया है. इसमें करीब 15 से 20 हजार पौधे लगाए हैं. इनमें 10 हजार पौधे किन्नू के हैं. 5000 पौधे मौसंबी और 1 हजार से ज्यादा पौधे नींबू के लगाए हैं. फसलों के लिए वह पेस्टीसाइड भी गौमूत्र और नीम से तैयार करते हैं यानी इनमें रासायनिक खाद की जगह देशी खाद ही डाली जाती है.
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Tags: Jhunjhunu news, Rajasthan news
FIRST PUBLISHED : September 02, 2022, 20:45 IST