Rajasthan

इन तीन मोर्चों पर होगी गहलोत सरकार की ‘अग्निपरीक्षा’, क्या कांग्रेस की घोषणाओं से कमजोर पड़ रहे बीजेपी के मुद्दे?

हाइलाइट्स

महंगाई राहत शिविरों से नहीं मिली राहत, राजस्थान सबसे ज्यादा महंगाई वाले टॉप-5 राज्यों में शामिल
कई लुभावनी योजनाओं के बावजूद महिलाओं के खिलाफ अपराध/दुराचार को कम करने में सरकार नाकाम
सत्ता, संगठन और विपक्ष को साधने में मुख्यमंत्री गहलोत का राजनीतिक चातुर्य और अनुभव आ रहा है काम

एच. मलिक

जयपुर. अपने तीसरे कार्यकाल के पहले चार साल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) अंदरूनी सियासी संग्राम से जूझते रहे. लेकिन इस चुनावी साल (Assembly Election year) को उन्होंने पूरी तरह से घोषणाएं करने और उन्हें अमली जामा पहनाने का साल बना दिया है. वे लगातार नित-नई घोषणाओं (New Announcements) से बीजेपी के मुद्दों को कमजोर करने में लगे हैं, लेकिन तीन बड़े मुद्दे (Big Issues) उनके लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं.

इस साल के बजट और इसके बाद की घोषणाओं से सीएम गहलोत ने चुनाव से पहले पूरी कांग्रेस में जान फूंकने का प्रयास किया है. चुनाव में ये घोषणाएं विपक्ष को जवाब देने के काम आ सकती हैं, लेकिन उन्हें विशेष वर्गों की नाराजगी को भी साधना होगा.

सत्ता: गहलोत सरकार की योजनाएं अन्य राज्यों में लागू
पिछले साल सितंबर में कांग्रेस हाईकमान ने सीएम गहलोत को हटाने तक के लिए दो आब्जर्वर भेज दिए थे. लेकिन अब हालात बिल्कुल बदल चुके हैं. हाल ही में नौ अगस्त को बांसवाड़ा में राहुल गांधी ने जनसभा में गहलोत सरकार की योजनाओं मुक्त कंठ से प्रसंशा की. दरअसल, कांग्रेस हाईकमान ने कर्नाटक-हिमाचल सहित अन्य राज्यों के विधानसभा चुनावों में गहलोत सरकार की योजनाओं को जमकर भुनाया. इन योजनाओं की तर्ज पर मैनिफेस्टो तैयार हुआ, जिसमें ओपीएस, चिरंजीवी, फ्री बिजली और महिलाओं को लुभाने वाली घोषणाएं शामिल की गईं. कांग्रेस को इसके बेहतर परिणाम भी मिले. इससे उत्साहित गहलोत अगले चुनाव के लिए ही नहीं, बल्कि 2028 के लिए भी टाल ठोंक रहे हैं और वे 2030 का विजन डाक्युमेंट पर फोकस कर रहे हैं.

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संगठन: पायलट की उम्मीदें फुस्स होने से दबदबा कायम
कांग्रेस संगठन की बात करें तो चार साल तक गहलोत वर्सेज पायलट की लड़ाई पुरजोर अंदाज में जनता देखती रही. गहलोत ने अपने राजनीतिक चातुर्य से पायलट की उम्मीदों को कभी परवान चढ़ने नहीं दिया. यहां तक कि पायलट को ऐसे मोड़ पर खड़ा कर दिया है, जहां से न तो वे नई पार्टी बना सकते हैं और न ही बीजेपी में जाने के बेहतर मौके हैं. ऐसे में कांग्रेस में ‘चुपचाप’ बने रहने में ही वे भलाई समझ रहे हैं. पिछले कुछ महीनों से सचिन और उनके समर्थकों के बागी तेवर लगभग दम तोड़ चुके हैं. पायलट अब बस इसी तिकड़म में हैं कि कैसे वे अपने समर्थकों को ज्यादा से ज्यादा टिकटें दिलवा सकें. ताकि यदि सरकार रिपीट हो तो उनके चांस बन सकें.

विपक्ष: बीजेपी के मुद्दों को लोक-लुभावन योजनाओं से जवाब
मुख्य विपक्षी दल बीजेपी के साथ रालोपा और बसपा लगातार गहलोत सरकार के खिलाफ मुद्दे उठा रही है, लेकिन गहलोत अपनी घोषणाओं को तेजी से अमलीजामा पहनाकर विपक्ष के मुद्दों जनता का मुद्दा नहीं बनने दे रहे. बीजेपी ने प्रदेश में 50 जिलों पर कहा था कि नए जिले बन ही नहीं सकते, लेकिन सीएम ने इनका नोटिफिकेशन तक जारी करा दिया. बीजेपी ने स्मार्ट फोन योजना को छलावा करार दिया, लेकिन वो भी बंटने शुरू हो गए और एक करोड़ महिलाओं को 20 अगस्त से फ्री स्मार्ट फोन गारंटी कार्ड बांटने का भी ऐलान हो गया. बीजेपी नेता कोई बड़ा मुद्दा लाते हैं तो गहलोत अपनी नई घोषणाओं के जरिए उसे गौण कर देते हैं. ताजा उदाहरण देश भर में चर्चित हुई लाल डायरी का है. लाल डायरी जिस तेजी से सियासत की सुर्खियों में आई, वैसे ही अब लुप्त हो गई है. जयपुर बम ब्लास्ट के दोषियों के बरी होने का मुद्दा भी अब सुर्खियों में नहीं है.

1.महंगाई से राहत नहीं, राजस्थान टॉप-5 स्टेट में शामिल
ऐसा भी नहीं है कि गहलोत सरकार के हर मोर्चे पर जंग जीत ली है. कई ऐसे बड़े मुद्दे हैं जो अनसुलझे हैं. कई मोर्चों पर सरकार पिछले पांव पर है और एक बड़े वोट बैंक नाराजगी भी है. सरकार ने महंगाई राहत शिविर लगाकर जनता के रोष को थामने की कोशिश की. शिविरों में जनता आई भी, लेकिन हकीकत में महंगाई से राहत नहीं मिली है. खुदरा महंगाई दर के ताजा आंकड़ों के मुताबिक यह 7.44 प्रतिशत है, लेकिन राजस्थान में देशभर में सबसे ज्यादा 9.66 प्रतिशत पर जा पहुंची है. राजस्थान सबसे ज्यादा महंगाई वाले टॉप फाइव स्टेट में शामिल है.

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2.महिलाओं से अपराध और दुष्कर्म में है शर्मनाक स्थिति
गहलोत सरकार महिलाओं को लुभाने के लिए कई योजनाएं ला जा रही है. स्मार्ट फोन, स्कूटी, राशन किट जैसी कई योजनाओं के बावजूद महिलाओं के खिलाफ अपराधों को नियंत्रित कर पाने में सरकार नाकाम रही है.महिलाओं से दुष्कर्म के मामले में तो राजस्थान कुछ साल से शर्मनाक स्थिति से गुजर रहा है. सरकार यह कहकर बच नहीं सकती है कि ‘हम हर केस दर्ज करते हैं.’ इसलिए राजस्थान में ज्यादा अपराध हैं.

3.सबसे बड़े युवा वोट बैंक में बेरोजगारी के चलते रोष
प्रदेश में हर जाति-वर्ग में सबसे बड़ा वोट बैंक युवाओं का है. बेरोजगारी के चलते युवाओं में सरकार के खिलाफ रोष है. नकल माफिया के खिलाफ सरकार कड़ा कानून लेकर आई, तब तक काफी देर हो चुकी थी और 15 से ज्यादा भर्ती परीक्षाओं के पेपर लीक होने से वे अधर में लटक गईं. हालात यह है कि राजस्थान लोकसेवा आयोग तक नकल माफिया के गिरफ्त में है. सरकारी नौकरियां न मिलने और स्वरोजगार से ज्यादा साधन मुहैया कराने का खामियाजा सरकार को भुगतना पड़ सकता है.

Tags: Ashok Gehlot Government, Assembly election, Rajasthan news

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