इस कचौड़ी, दही फाफड़े के लिए लोग करते हैं… शाम होने का इंतजार, रोज की सेल जानकर चौंक जाएंगे!

Barmer Street Food: शहर हो, कस्बा हो या गांव, जायके के दीवाने हर जगह होते हैं. लोग अपने पसंदीदा व्यंजनों का स्वाद लेने कोसों दूर तक चले जाते हैं. कुछ ऐसा ही आलम रहता है बाड़मेर के नरेश कुमार के ठेले पर, जहां 28 साल से स्वाद परोसा जा रहा है. इनकी कचौड़ी और दही फाफड़े के लोग दीवाने हैं. रिपोर्ट: मनमोहन सेजू
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बाड़मेर में मोगर की कचौड़ी और दही फाफड़े की धूम है. इस पकवान को खाने के लिए लोग शाम होने का इंतजार करते हैं. इंतजार का यह सिलसिला करीब 28 साल पुराना है. यहां नरेश कुमार व्यास शहर की तंग गलियों में स्वाद का खजाना परोसते हैं, जिसका स्वाद लेने दूर-दूर से लोग आते हैं.
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नरेश कुमार व्यास बाड़मेर जिला मुख्यालय पर माणक अस्पताल के ठीक सामने मोगर की कचौड़ी और दही फाफड़े का ठेला लगाते हैं. वह अपना ठेला शाम को ही लगाते हैं. उनके हाथों से बने इस पकवान को खाने के लिए लोगों की कतार लगती है और बारी आने पर लोग स्वाद लेने में जुट जाते हैं.
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कभी बांस की लकड़ी से बनी छबड़ी में नरेश गली-गली स्वाद परोसा करते थे. फिर 15 साल से वह एक ही जगह ठेला लगाते हैं. वह पिता मिश्री लाल व्यास के हाथों के हुनर को अब तीसरी पीढ़ी तक पहुंचा चुके हैं.
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नरेश के काम में उनकी पत्नी संतोष श्रीमाली और 3 बच्चे भी हाथ बंटाते हैं. इनके पिताजी पहले मूंग दाल का हलवा और नमकीन बेचा करते थे. अब नरेश ठेले पर मोगर की कचौड़ी, दही फाफड़े, पानी पूरी और दही पूरी बेचते हैं.
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दिन में 5 हजार के करीब पानी पूरी, 400 के करीब कचौड़ी और 5 किलो बेसन से बने फाफड़े हाथोंहाथ बिक जाते हैं. नरेश बताते हैं कि उनके हाथ के बने दही फाफड़े, दही कचौड़ी और मोगर कचौड़ी खाने लोग दूर-दूर से आते हैं.