इस बार बाहरी शहरो में भी गौकाष्ठ की डिमांड, इको फ्रेंडली पर शहरवासियों का जोर
पीयूष पाठक/अलवर. अलवर शहर में इस साल होली पर शहरवासी एक नया प्रयोग करने को आतुर है. गौ संरक्षण एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए होली पर इस साल अलवर के लोग इको फ्रेंडली होलिका दहन करेंगे. जिस से अलवर की गौशाला में गौ काष्ठ की डिमांड बढ़ गई है. अलवर की सार्वजनिक गौशाला में हर दिन मशीन से बड़ी संख्या में गौ काष्ठ तैयार किया जा रहा है. यहां से शहर वासियों को 10 रुपए प्रति किलो के अनुसार गौ काष्ठ दी जा रही है.
अलवर शहर की स्टेशन रोड स्थित सार्वजनिक गौशाला के संचालक अजय अग्रवाल ने बताया कि अलवर में 100 से ज्यादा जगह पर होलिका दहन किया जाएगा. इसके लिए इस बार शहरवासी गौकाष्ठ की डिमांड कर रहे हैं. इसके लिए पिछले एक माह से गौकाष्ठ तैयार किया जा रहा है. स्टेशन रोड स्थित सार्वजनिक गौशाला में करीब 700 गोवंश है. जहां पर गाय के गोबर का सदुपयोग करते हुए मशीन से प्रतिदिन बड़ी संख्या में गौकाष्ठ तैयार कर धूप में सुखाया जा रहा है. लोग यहां से गौकाष्ठ 10 रुपए प्रति किलो के हिसाब से खरीद रहे हैं.
दुसरे शहरों से भी आ रही डिमांड
इस बार लोग होलिका दहन को इको फ्रेंडली तरीके से मनाने को तैयार है. इसके चलते अलवर ही नहीं बल्कि दूसरे शहरों से भी गौकाष्ठ की डिमांड बड़ी संख्या में आ रही है. अग्रवाल ने कहा की शहर की विभिन्न गौशालाओं इस पहल से इस होली पर करीब 1000 से ज्यादा पेड़ बचाए जा सकेंगे. तिजारा में इसके लिए प्रचार प्रसार भी किया जा रहा है. जिससे प्रेरित होकर भी लोग होलिका दहन के लिए गौकाष्ठ का प्रयोग करेंगे.
बाजार में मिल रही रेडीमेड बिलुकडिया
अलवर शहर में बढ़ती गौ काष्ठ की डिमांड को देखते हुए होली से पहले ही बाजारों में गोबर से बनी हुई बिलुकड़िया बिक रहीं है. अलवर शहर के मुख्य बाजारों की सड़कों पर लोग इन्हें बेच रहे हैं. जहां पहले लोग अपने घरों पर ही यह सब बनाते थे. लेकिन आज के समय में कम ही लोग अपने घरों में इस परंपरा को निभाते हैं. इसी के चलते अब यह रेडीमेड बाजारों में मिलने लगी है. जिन्हे लोग खरीद कर अपने घर लेकर आते हैं और होलिका दहन के समय अर्पित करते हैं.
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FIRST PUBLISHED : March 25, 2024, 08:30 IST