इस मंदिर में परिक्रमा देने से कोढ़ रोग हो जाता है ठीक! कई रहस्य आज भी हैं छुपे

कृष्ण कुमार/नागौर. बाबा रामदेव राजस्थान के एक ऐसे लोकदेवता हैं जिसकी हिन्दू , मुस्लिम, सिख और ईसाई धर्मों के सभी लोग पूजा पाठ करते है. ऐसा ही बाबा रामदेव का मंदिर नागौर जिले मे बना हुआ है. जिसका निर्माण जोधपुर के राजा विजय सिंह द्वारा विक्रम सवंत 1757 को वैशाख शुक्ल तृतीया के दिन सवा पोहर में करवाया. यहां पर राजा को एक रात मे चमत्कार देखने को मिला जिसके कारण राजा ने सवा पोहर मे मंदिर का निर्माण करवा दिया.
नारायण परिहार बताते है कि जोधपुर के राजा विजय सिंह द्वारा चांदबुर्ज (कांकरिया विद्यालय के पास) पर सेना का डेरा डाला हुआ था. बाबा रामदेव मंदिर के पास स्थित खेजड़ी के नीचे मेघवाल समाज के व्यक्तियों के द्वारा पूजा की जा रही थी. ऐसे में राजा ने कहा यदि मेरे शरीर से कोढ़ रोग दूर हो जाऐ तो मैं यहां पर मंदिर बनवा दूंगा. राजा ने यहां पर भक्तों के कहने पर परिक्रमा दी और राजा विजय सिंह के एक रात में कोढ़ रोग दूर गया तो विजय सिंह ने विक्रम संवंत 1757 को इस मंदिर का निर्माण सवा पोहर में करवा दिया. यह मंदिर प्राचीन समय में किले के परोकोटे मे आता था. इसी के सीधे मे नया दरवाजा व नकाश गेट बना हुआ है जो शहर के किले के परोकोटे के रुप में जाना जाता था.
भक्तों की मनोकामना होती हैं पूरी
पुजारी नारायण परिहार बताते है कि मंदिर में बाबा रामदेव के दर्शन व परिक्रमा देने वाले भक्तों की मनोकामना पूरी होती है. यह मंदिर कोढ़ रोग निवारण के लिए यहां पर भक्त सबसेे ज्यादा आते है और यहां पर परिक्रमा देते है और भभूती लगाते है. वही, पुजारी ने बताया कि बाबा रामदेव को पीरबाबा के नाम से भी जाना जाता है. यहां पर सर्व धर्म के लोग परिक्रमा देते है. यहां पर हिन्दु व मुस्लिम दोनो संप्रदायों का आस्था का केन्द्र बना हुआ है. मंदिर के बारे मे कई प्रकार की दंतकथाएं प्रचलित है. इनमें लोकदेवता बाबा रामदेव के जीवन से जुड़े प्रसंगो के साथ ही कई दंतकथाऐ बड़े बुजुर्ग सुनाते है. मंदिर की सेवा करने वाले पुजारी को तत्कालिक राजा ने जमीन दी थी. इसमें आज तक पुजा करने वाले पुजारी द्वारा ही खेती की जाती है.
नोट-यह धार्मिक मान्यताओ से जुड़ा हुआ मामला है न्यूज 18 इसकी पुष्टि नही करता है साथ ही यह जानकारी मंदिर के पुजारी से ली गई है.
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FIRST PUBLISHED : September 20, 2023, 13:55 IST