इस राजघराने में अब भी कोड़े से होती है पिटाई, कपड़े में पत्थर बांधकर पीठ पर दे दना दन

रिपोर्ट-शक्ति सिंह
कोटा. रंगों का त्योहार होली -कई तरह की लोक परंपराओं का भी त्योहार है. इस उत्सव के भी रंग भांति-भांति के हैं. हाड़ौति में भी होली की एक खास लोक सांस्कृतिक परंपरा है-कोड़ामार होली. चंबल की गोद में बसे इस शहर की रियासतकालीन परंपरा है. दशकों बाद आज भी ये परंपरा पुराने और आधुनिक युग के मेल के साथ निभायी जा रही है. हालांकि समय के साथ अब ये पूर्व राजघरानों और उनसे जुड़े परिवारों तक सिमट कर रह गयी है.
कंकड़ बंधे कपड़े के कोड़े को रंग-गुलाल में रंगकर बरसाया जाता है. कोड़े बरसाने के लिए पुरुषों के पीछे भागती महिलाएं और उनसे बचते बचाते हाथ में रंग की डोलची लिए पुरुष, ये कोटा की कोड़ामार होली की पहचान है. कोटा के इतिहास और हेरिटेज परंपराओं के जानकार चंदन सिंह शक्तावत बताते हैं रियासतकाल में पूरे कोटा में कोड़ामार होली घर-घर, गली-गली से लेकर गांव-कस्बों तक में खेली जाती थी. लेकिन आधुनिकता के बोलबाले के बीच भी कोड़ामार होली का क्रेज सिमट गया है.
आगे आगे पुरुष-पीछे भागती महिलाएं
कोटा शहर में पूर्व राजपरिवार में धुलण्डी के दिन सभी मेहमान होली खेलने इकट्ठा होते हैं. दो टोली बन जाती हैं. कोड़ों के साथ महिला वर्ग और पानी की डोलची के साथ पुरुष दल. यहां महिलाएं पुरूषों को कपड़े का बना हुआ कोड़ा मारती हैं और पुरूष बचते हुए महिलाओं पर पानी फेंकते हैं. एक बार होली का खेल परवान चढ़ जाता है तो ये नजारा बहुत दिलचस्प बन जाता है. आगे आगे पुरुष उनके पीछे कोड़े लेकर भागती महिलाएं. पुरुष मौका ढूंढ़ते हैं महिलाओं पर पानी से भरी डोलची से तेज चांटे जैसे तेवर वाला छपाक मारने का. लेकिन उन्हें महिलाओ के कोड़े भी सहने पड़ते हैं.
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रियायत काल की होली
टूरिज्म प्रमोटर ए एच जैदी ने बताया रियासतकाल में तो शहर के कई इलाकों में कोड़ामार होली की रंगत बिखरती थी. लोग इसके लिए एक-दो दिन पहले ही तैयारी कर लेते थे. महिलाएं कपड़े में चुभने वाले कंकर रखकर गांठ बांधकर कोड़े तैयार करती थीं. जगह-जगह केसुला के फूलों का पानी भरा जाता था. एक दो दिन पहले फूलों को पानी में गला दिया जाता है. इससे तैयार रंगों को पानी में घोलकर फिर डोलची में भरा जाता है. कोटा के पूर्व महाराज और पूर्व सांसद इज्यराज सिंह अपनी विधायक पत्नी कल्पना देवी के साथ कोड़ामार होली बड़े चाव से खेलते हैं. कोड़ामार होली के इस सेलीब्रेशन में विदेशी मेहमान भी शरीक होते हैं.
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FIRST PUBLISHED : March 19, 2024, 15:55 IST