उत्तर भारत में सबसे ज्यादा डायवर्जन जयपुर एयरपोर्ट पर, पिछले 3 महीने में 84 फ्लाइट डायवर्ट
जयपुर. राजस्थान के जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट ने फ्लाइट डायवर्जन के आंकड़े जारी किए हैं. इन आंकड़ों के मुताबिक पूरे उत्तर भारत के एयरपोर्ट्स में जयपुर एयरपोर्ट पर सबसे ज्यादा फ्लाइट डायवर्ट हुई हैं. जयपुर हवाई अड्डे पर सिर्फ एक रनवे है, ऐसे में कई तरह की ऑपरेटिंग समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है. इसके बावजूद डायवर्ट फ्लाइट और नियमित उड़ानों के बीच संतुलन बनाए रखना जयपुर एयरपोर्ट प्रबंधन के लिए एक चुनौती की तरह है. तमाम तरह की कठिनाइयों के बावजूद जयपुर एयरपोर्ट इसे बखूबी हैंडल कर रहा है.
जयपुर एयरपोर्ट उत्तर भारत के सभी एयरपोर्ट के लिए वरदान साबित हो रहा है. आस-पास के सभी एयरपोर्ट्स जिसमें यूपी, एमपी, पंजाब, दिल्ली, हिमाचल, कश्मीर और लद्दाख जैसे राज्यों की तरफ जाने वाली फ्लाइट्स मौसम खराब होने की वजह से, मेडिकल इमरजेंसी की वजह से या फिर तकनीकी खराबी जैसी इमरजेंसी की वजह से इमरजेंसी लैंडिंग के लिए जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के एटीसी को अप्रोच करती हैं. जयपुर एयरपोर्ट पर सिर्फ एक रनवे है और खुद जयपुर एयरपोर्ट से रोज 60 के करीब फ्लाइट्स का आवागमन होता है. ऐसे में जयपुर एयरपोर्ट के सामने सबसे बड़ी चुनौती ये रहती है कि नियमित फ्लाइट्स का संचालन भी करना है और डायवर्जन के लिए भी जगह बनानी है. यह काम जयपुर एयरपोर्ट पिछले कुछ सालों से बखूबी कर रहा है.
पिछले तीन महीनों के आंकड़ो पर गौर करें तो मार्च में इनबाउंड डायवर्जन 42, फरवरी में 19 और जनवरी में 23 डायवर्जन हुए. तीन महीने में कुल 84 फ्लाइट्स डायवर्ट होकर जयपुर पहुंची है. इन डायवर्जन में डोमेस्टिक और इंटरनेशनल दोनों तरह की फ्लाइट्स शामिल है. ज्यादातर फ्लाइट्स का डायवर्सन दिल्ली, चंडीगढ़, भोपाल, अमृतसर, कोलकाता, अहमदाबाद, आगरा, लखनऊ जैसे शहरों से हुआ है.
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जयपुर एयरपोर्ट सबसे सुरक्षित विकल्प
जयपुर एयरपोर्ट पर कैटेगरी 3 बी नेविगेशन प्रणाली विषम परिस्तियों में भी विमान को सुरक्षित लैंड करने में सहायक होती है. ये प्रणाली 300 मीटर से कम दृश्यता या दृश्यता के न होने की स्थिति में भी सुरक्षित लैंडिंग में सहायक होती हैं. कई बार सर्दी के मौसम में दूसरे एयरपोर्ट पर एयर ट्रैफिक कंजेशन के हालात होते हैं या फिर कोहरे की वजह से दृश्यता कम हो जाती है. ऐसे में सुरक्षित लैंडिंग के लिहाज से जयपुर एयरपोर्ट को सबसे सुरक्षित विकल्प माना जाता है.
एयरपोर्ट को एक और रन-वे की जरूरत
इसी तरह रनवे विसुअल रेंज (आरवीआर) एक और तकनीकी उपलब्धता है जो 50 मीटर की दृश्यता पर विमान को उतरने में मदद करता है. अभी तक एयरपोर्ट के रनवे पर 4 आरवीआर मशीने लगायी जा चुकी है. पिछले साल लगे सर्विलांस राडार भी विमानों की रियल टाइम सर्विलांस मॉनिटरिंग करते है, जो डायवर्जन के समय एयरपोर्ट पर एयर ट्रैफिक को सुचारु रखने के लिए बेहद खास है. रनवे की लंबाई 11500 फुट है, जिस पर कैटेगरी E के विमान भी आसानी से लैंड हो सकते हैं. कैटेगरी ई यानी 335 से लेकर 420 यात्री क्षमता के बड़े आकार के विमान भी यहां लैंड कर रहे है. बहरहार जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट को एक और रन-वे की आवश्यकता है क्योंकि ज्यादा डावर्जन की वजह से जयपुर एयरपोर्ट की अपनी फ्लाइट्स लैंडिग की अनुमति मिलने तक आसमान के चक्कर लगाती रहती है.
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Tags: Jaipur Airport, Jaipur news, Rajasthan news
FIRST PUBLISHED : April 17, 2023, 10:58 IST