एक लोक देवी जिसने ली थी भाई के लिए जीवित समाधि, प्रसाद के रूप में दिया जाता है नारियल और झाडू

कृष्ण कुमार/नागौर. नागौर में देवी देवताओं को लेकर हर वर्ग में अपनी मान्यता बनी हुई है. हर वर्ग के लोग अपने रिती रिवाज व श्रद्धानुसार पूजा पाठ करते है क्योंकि हर वर्ग के लोग देवी देवताओं को इच्छानुसार व अपनी मान्यता के अनुसार पूजा करते है. ऐसे ही नागौर में वीर तेजाजी महराज की बहन बुंगरी माता की पूजा की जाती है. जिसका कारण है कि यहां पर आन वाले भक्तों को शारिरिक समस्या व त्वचा से संबंधित रोग से आराम मिलता है. यहां पर जगह-जगह से लोग पूजा करने आते हैं.
जानिए कौन है बुंगरी माता, क्या है इतिहास
मंदिर के पुजारी राधेश्याम ने बताया कि बुंगरी माता को बांगल बाई के नाम से जाना जाता है. बुगरी माता ने अपने भाई के लिए जीवित समाथि ले ली. दरअसल, तेजाजी महराज अपने वचन को निभाते हुऐ वीरगति को प्राप्त हो गए तो यह समाचार तेजाजी महराज की घोड़ी लीलण के द्वारा गाय चराते वक्त बहन बुंगरी माता को समाचार दिया तब धरती मां से प्रार्थना करके धरती माता आंचल मे जीवित समाधि ले ली. जब जीवित समाधि ली तब बुंगरी माता की उम्र मात्र 11 वर्ष थी.
पुजारी के अनुसार तेजाजी के वीरगति प्राप्त होने के चार दिन बाद लीलण जब सुरसुरा से यहां पर तेजाजी महराज के समाचार यहां लेकर आई तब सबसे पहले बुंगरी माता को समाचार दिया तो तुरंत ही माता ने समाचार सुनते ही धरती मां से प्रार्थना करके उनके आंचल मे समाधि ले ली. पुजारी राधेश्याम बताते है कि पच्छूडियो खेत मे समाधि ली उसके बाद थोड़ी दूरी मे जाकर माताजी की मूर्ति पक्रट हो गई. जिसके बाद यह माताजी का स्थल बन गया है.
नारियल व झाड़ू चढ़ाया जाता है प्रसाद में
मंदिर पुजारी राधेश्याम बताते है कि यहां पर भक्तों के द्वारा माता के परिक्रमा देते वक्त झाड़ू व नारियल तथा मखाने प्रसाद के रुप मे चढ़ाया जाता है. जिसका कारण यह है कि देवी के यहां पर मुंशो, मस्सा, एलर्जी, दाद तथा खुजली वाले व्यक्ति यहां पर परिक्रमा देते है. वहीं यदि किसी के मस्स है तो व्यक्ति तालाब से मिट्टी खोदकर मस्स पर सात दिन लगता है तो वह ठीक हो जाता है. न्यूज 18 इसकी पुष्टि नही करता है क्योंकि यह धार्मिक मान्यताओ से जुड़ा हुआ है मुद्दा है यह जानकारी मंदिर पुजारी से ली गई है.
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FIRST PUBLISHED : October 3, 2023, 16:33 IST