Rajasthan

कड़ाके की ठंड में पाले से अपने फसलों को ऐसे बचाएं, अपना लीजिए ये सलाह नहीं होगा नुकसान

मनमोहन सेजू/ बाड़मेर. जाड़े का मौसम चल रहा है और आने वाले समय में ठंड का प्रकोप और बढ़ने वाला है. ऐसे में ठंड का असर इंसानों, जानवरों के साथ ही फसलों पर भी पड़ता है. अधिक सर्दी से फसलों की उत्पादकता पर विपरीत असर पड़ता है और परिणामस्वरूप कम उत्पादन प्राप्त होता है. इसलिए सर्दी के मौसम में फसलों को विशेष देखभाल की ज़रूरत होती है.पश्चिम राजस्थान सहित प्रदेशभर में सर्दी अपना सितम ढहा रही है.

सर्दी के कारण फसलों पर पाला पड़ने की आंशका बढ़ जाती है, जिससे रबी की फसलों को काफी नुकसान पहुंचता है. किसान चाहते हैं कि वे पाले से किसी भी तरह अपनी आलू, अरहर, चना, सरसों, तोरिया, जीरा, गेहूं, जौ आदि को बचाए. ऐसे में पाला पड़ने से अपनी फ़सलों को बचाने के लिए कृषि अधिकारी ड़ॉ बाबूराम राणावत की इन बातों का ध्यान रखना चाहिए.

पाले के वजह फसलों की कम पैदावार होती है
पाले की वजह से अधिकतर पौधों के फूलों के गिरने से पैदावार में कमी आती है. पत्ते, टहनियाँ और तने के नष्ट होने से पौधों को अधिक बीमारियां लगने का खतरा रहता है. सब्जियों, पपीता, आम, अमरूद पर पाले का प्रभाव अधिक रहता है. टमाटर, मिर्च, बैंगन, पपीता, मटर, चना, अलसी, सरसों, जीरा, धनिया, सौंफ आदि फसलों पर पाला पड़ने के दिन में ज्यादा नुकसान की आशंका रहती है, जबकि अरहर, गन्ना, गेहूं व जौ पर पाले का असर कम असर रहता है.

कृषि अधिकारी से जानें कैसे करें फसलों का बचाव
पाला पड़ने की संभावना को देखते हुए खेत में हल्की सिंचाई करते रहना चाहिए. इससे मिट्टी का तापमान कम नहीं होता है. सरसों, गेहूं, चावल, आलू, मटर जैसी फसलों को पाले से बचाने के लिए सल्फर का छिडक़ाव करने से रासायनिक सक्रियता बढ़ जाती है और पाले से बचाव के अलावा पौधे को सल्फर तत्व भी मिल जाता है. कृषि अधिकारी बाबूराम राणावत के मुताबिक जनवरी माह में रबी की फसलों में पाला पड़ने की संभावना अधिक रहती है. इसके लिए किसानों को सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है. दिनभर तेज हवा चलती चलती शाम होते होते बंद हो जाए तो पाला पड़ने की संभावना अधिक रहती है.

चौड़ी पतियों वाली फसलों और सब्जियों में इसका असर कम रहता है जबकि जीरे में इसका असर ज्यादा रहता है. किसानों को पाला पड़ने से पहले ही फव्वारे से हल्की सिंचाई करनी चाहिए. जिस तरफ से हवा चल रही है उस तरफ धुंआ करना चाहिए. इसके अलावा सल्फ्यूरिक एसिड का घोल करके छिड़काव करना चाहिए जिससे पाला पड़ने का असर कम रहता है.

Tags: Barmer news, Local18, Rajasthan news

Source link

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Uh oh. Looks like you're using an ad blocker.

We charge advertisers instead of our audience. Please whitelist our site to show your support for Nirala Samaj