कर्तव्य का पथ निराला है चले तो पांव जलते हैं रूकें तो आत्मघाती है।

जननायक अशोक गहलोत ने स्पष्ट कर दिया कि कर्तव्य का पथ निराला है चले तो पांव जलते है रूके तो आत्मघाती है। लम्बी जद्दोजहद के बाद आखिर अशोक गहलोत ने राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस के लिए जवाबदेह बनना स्वीकार ही लिया,हालाकि अभी भी उनका फोकस राहुल गांधी के उपर ही है और वे चाहते है कि एक बार फिर उन्हे मनाया जाए कि वे बालहठ छोड़कर कांग्रेस पार्टी की कमान बकायदा हाथ में ले,बाजीगर ही नहीं बल्कि करिश्माई व्यक्तित्व के धनी भी है गहलोत,राहुल से मिलने के बाद कुछ भी परिणाम ला सकते हैं। उनकी जादुई छड़ी कारगर साबित नहीं हुई और राहुल ने भी गहलोत पर भरोसा जताया तो लाजमी है गहलोत भी दौहरी भुमिका प्रादेशिक एवं राष्ट्रीय स्तर की निभाने को तैयार है।
इस साल गुजरात और हिमाचल में चुनाव है तो अगले साल राजस्थान सहित अन्य राज्यों में आम चुनाव है और 2014 में आम लोकसभा चुनाव है। ऐसे में इस साल व अगले साल के विधानसभा चुनावों के मद्देनजर कांग्रेस की रणनीति तभी कारगर हो सकती है जब गहलोत दो नावों पर सवार होकर शंखनाद करते हुए ही मोदी एण्ड कंपनी के लिए चुनौती साबित हो सकते हैं,क्योंकि 2014 में भाजपा ने मोदी की प्रधानमंत्री पद की दावेदारी मुख्यमंत्री रहते हुए ही रखी थी और मोदी मुख्यमंत्री से सीधे प्रधानमंत्री बनने में कामयाब ही नहीं हुए बल्कि अपने दूसरे कार्यकाल में पहले से ज्यादा सीट लोकसभा चुनावों में बटोर ले गए।
अब दौहरी भुमिका में गहलोत कितने सफल होते है यह तो उनकी बाजीगरी पर ही स्पष्ट होगा लेकिन यह तय है कि उनके लिए भी राह आसान नहीं होगी, हालाकि भीतरघात का दंश झेलते हुए राजस्थान में कांग्रेस सरकार गिराने वाले भाजपा के मंसूबों को भी कामयाब नहीं होने दिया। कोरोना काल में गहलोत सरकार बेहतर प्रदर्शन के लिए देश ही नहीं विदेश में भी नम्बर ले गई। प्रदेश की आवाम का हर तरह से ध्यान रखते हुए गहलोत ने ग्रामीण ओलम्पिक के जरिए एक ऐसी मिसाल देश भर को सौप दी जिसका तोड़ किसी के पास नहीं है।
राजस्थान में 20 साल के अंतराल में ऐसा पहली बार देखने को मिल रहा है कि प्रदेश की आवाम के बीच सरकार विरोधी लहर किसी कोने में नजर नहीं आ रही है,जबकि हर बार सत्ता के दो साल निकलने के बाद से ही सत्ता विरोधी लहर ऐसी आती रही है कि 5 साल में सरकार का सूपड़ा साफ हो जाता और तू चल मैं आया का खेला हो जाया करता था लेकिन अबकी बार कांग्रेस की गहलोत सरकार को लेकर ऐसा माहौल नहीं दिख रहा जिसके आधार पर कहा जा सकता है कि राजस्थान में आज चुनाव करवा लिए जाए तो कांग्रेस 20 साल की आवाजाही का रिकार्ड तोड़ सकती है।
राहुल अब अगर राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद नहीं स्वीकारते हैं तो गहलोत के समक्ष दो नावों की सवारी के साथ सबसे बड़ी चुनौती होगी प्रदेश में सरकार की बहाली के साथ मोदी सरकार के खिलाफ व्यापक स्तर पर राष्ट्रीय स्तर पर मंहगाई बेरोजगरी आदि मुद्दो पर माहौल तैयार कर कांग्रेस को वर्तमान स्थिति से बेहतर कल की ओर ले जाने की,क्योंकि 2014 के बाद से देश की जनता पल-पल पर अच्छे दिनों का सुख किस तरह से भोगती आई है यह उनके दिलों से ही पूछा जा सकता है,अच्छे दिन धरातल पर कैसे आए यह आईना देश को दिखाने का कार्य होगा अशोक गहलोत का और यह कार्य किसी अग्रिपरीक्षा से कम नहीं हैं।
- प्रेम शर्मा