कांग्रेस और विपक्ष ने डिजिटल डेटा कानून की धारा 44.3 हटाने की मांग की

Last Updated:April 10, 2025, 23:13 IST
कांग्रेस और विपक्षी नेताओं ने डिजिटल डेटा प्रोटेक्शन कानून की धारा 44.3 को हटाने की मांग की है, जो RTI कानून को कमजोर करती है. ज्ञापन पर राहुल गांधी समेत 130 नेताओं के हस्ताक्षर हैं.
विपक्ष ने आरटीआई एक्ट को लेकर सरकार को घेरने की तैयारी की है. (Image:PTI)
नई दिल्ली. कांग्रेस समेत विपक्ष के नेताओं ने सूचना का अधिकार (RTI) कानून को कमजोर करने वाले डिजिटल डेटा प्रोटेक्शन कानून की एक धारा को कानून से हटाने की मांग की है. विपक्ष का आरोप है कि इस धारा से आरटीआई कानून की धज्जियां उड़ गई हैं. विपक्ष ने इस मामले सरकार का ध्यान दिलाने के लिए एक ज्ञापन सौंपने की तैयारी की है. कांग्रेस समेत ‘INDI’ गठबंधन के नेताओं ने डिजिटल डेटा प्रटेक्शन कानून से सेक्शन 44.3 को हटाने की मांग की है. बताया गया है कि सरकार को सौंपे जाने वाले ज्ञापन पर राहुल गांधी समेत विपक्ष के 130 बड़े नेताओं ने साइन किया है.
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने आरोप लगाया कि डिजिटल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट ने RTI कानून की धज्जियां उड़ा दी हैं. RTI कानून में एक सेक्शन 8.1 है. जिसमें कहा गया है कि अगर कोई ऐसी जानकारी मांगी गई है जिसका पब्लिक हित के साथ कोई संबंध नहीं है तो सूचना देना अनिवार्य नहीं है. लेकिन पब्लिक हित में है तो निजी जानकारी भी देना होगा. लेकिन डिजिटल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट में सेक्शन 44.3 ने RTI के सेक्शन 8.1 को संशोधित कर दिया है. इस संशोधन से नागरिकों के अधिकार को छीना गया है. कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि हम लोग केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव से मांग करते है कि सेक्शन 44.3 को डिजिटल डेटा प्रोटेक्शन कानून से हटाया जाए. मंत्री अश्विनी वैष्णव की सौंपे जानेवाले ज्ञापन में राहुल गांधी, अखिलेश यादव और विपक्ष के बड़े नेताओं का हस्ताक्षर है. ज्ञापन पर विपक्ष के करीब नेताओं का 130 हस्ताक्षर है.
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि डिजिटल डेटा प्रोटेक्शन कानून से सेक्शन 44.3 को हटाने से RTI कानून की मूला आत्मा को हम बचा पाएंगे. साल 2023 में गठबंधन का डिजिटल डेटा प्रोटेक्शन कानून जब पारित हुआ, तब ‘INDI’ गठबंधन का अविश्वास प्रस्ताव चल रहा था. उन्होंने कहा कि डिजिटल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट में संशोधन का असर नागरिकों के अधिकार और प्रेस के लोगो पर होगा. गोगोई ने कहा कि हमने तय किया कि साझा ज्ञापन के जरिए इस बात को सूचना तकनीक के मंत्री अश्विनी वैष्णव को बताएंगे.
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बहरहाल इसके बारे में कांग्रेस के जयराम रमेश ने पहले भी अश्विनी वैष्णव को एक लेटर लिखा था. इसके जवाब में मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 पुट्टस्वामी निर्णय में निहित गोपनीयता सिद्धांतों और सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम में दिए गए सार्वजनिक जीवन में पारदर्शिता के सिद्धांतों के अनुरूप है. यदि आपको इस पर कोई और चर्चा करनी हो, तो मैं आपसे मिलने के लिए उपलब्ध हूं.
2023 में सुप्रीम कोर्ट का पुट्टस्वामी निर्णय2023 में सुप्रीम कोर्ट के ‘पुट्टस्वामी फैसले’ को आमतौर पर राइट टू प्राइवेसी मामले के रूप में जाना जाता है. ये एक महत्वपूर्ण फैसला था जो भारत में व्यक्तिगत गोपनीयता के संवैधानिक अधिकार को और मजबूत करता है. यह फैसला जस्टिस के. एस. पुट्टस्वामी (रिटायर) द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर आधारित था. जिसमें आधार (Aadhaar) जैसी biometric पहचान प्रणाली के माध्यम से डेटा संग्रह और उसकी गोपनीयता से संबंधित चिंताओं को उठाया गया था. अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गोपनीयता एक मौलिक अधिकार है. किसी भी डेटा संग्रह प्रक्रिया को कानूनी, पारदर्शी और निष्पक्ष होना चाहिए. नागरिकों के डेटा को उनकी सहमति के बिना नहीं साझा किया जा सकता और न ही इसका दुरुपयोग किया जा सकता है.
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
April 10, 2025, 17:27 IST
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