कांग्रेस ने ढूंढ निकाली अपनी कमजोर कड़ियां, डिजिटल सदस्यता अभियान ने कराया हकीकत से सामना
हाइलाइट्स
30-40 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जो बहुत ज्यादा फिसड्डी हैं
कई कांग्रेस विधायकों के क्षेत्र में भी स्थिति बदतर रही है
जयपुर. कांग्रेस ने अपना कुनबा बढ़ाने के लिए हाल ही में डिजिटल सदस्यता अभियान (Digital membership campaign) चलाया था. राजस्थान में हालांकि अभियान का टारगेट तो पूरा नहीं हो पाया लेकिन मिशन-2023 के मद्देनजर कांग्रेस को (Congress) अपनी जमीनी हकीकत का अंदाजा जरुर हो गया. इस अभियान की बदौलत कांग्रेस को अपनी कमजोर कड़ी पता चल गई है. प्रदेश के कुल 200 में से 108 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां कांग्रेस 5 हजार से कम सदस्य बना पाई है. यानि प्रदेश की आधी से ज्यादा विधानसभा सीटों पर विधायकों और संगठन की निष्क्रियता सामने आई है.
हैरत की बात यह है कि इनमें से भी 30-40 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जो बहुत ज्यादा फिसड्डी हैं. इनमें सदस्यता का आंकड़ा 2000 से भी कम रहा है. कई क्षेत्रों में तो 500 से भी कम सदस्य बने हैं. इन सीटों पर कांग्रेस को बहुत ज्यादा मेहनत करने की जरुरत है. संगठन इसके लिए तैयारी में जुट गया है. इन सीटों का लेखा-जोखा तैयार किया जा रहा है और कम सदस्य बनने की वजहें तलाशी जा रही है.
इन क्षेत्रों में कांग्रेस का कमजोर प्रदर्शन
राजस्थान के जिन क्षेत्रों में निर्दलीय विधायक हैं वहां कांग्रेस पार्टी के सदस्य कम बने हैं. बहरोड़, मारवाड़ जंक्शन, कुशलगढ़, गंगापुर सिटी और सिरोही में सदस्यता का आंकड़ा कम रहा है. सिरोही, थानागाजी, खण्डेला, किशनगढ़ और शाहपुरा क्षेत्र में भी कम ही सदस्य बने हैं. बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों के क्षेत्र में भी सदस्यता अभियान का प्रदर्शन लचर रहा है. वहीं करौली, नगर, उदयपुरवाटी, नदबई और तिजारा क्षेत्र में भी यह अभियान कोई चमत्कार नहीं दिखा पाया है. दूसरी तरफ कई कांग्रेस विधायकों के क्षेत्र में भी स्थिति बदतर रही है. सांगोद, किशनगंज, अटरु, सवाईमाधोपुर, बाड़ी और शेरगढ़ क्षेत्र भी कम सदस्यता वाले इलाकों में शुमार हैं. खंडार, कठूमर, पीपल्दा और डीग-कुम्हेर क्षेत्र में भी यह अभियान पिछड़ गया.
अब पिलाई जाएगी खास घुट्टी
सदस्यता अभियान में विधायकों और संगठन की निष्क्रियता से पार्टी चिन्तित है. अब पार्टी इस निष्क्रियता की वजहें टटोलने में जुटी है. कांग्रेस की जिन क्षेत्रों में स्थिति कमजोर है वहां प्रदेश स्तर से खास फोकस किया जाएगा और मजबूत टीम खड़ी करने की कवायद होगी. इसके लिए वर्कआउट शुरू कर दिया गया है. पार्टी के सदस्यता अभियान की जिम्मेदारी खास तौर से विधायकों को सौंपी गई थी. सूत्र बताते हैं कि जिन क्षेत्रों में सदस्यता अभियान का प्रदर्शन लचर रहा है उनमें कई विधायक कहने को तो कांग्रेस के करीब हैं लेकिन उनकी पार्टी के प्रति निष्ठा नहीं है.
निर्दलीय विधायकों के क्षेत्र में पार्टी के कार्यकर्ता ही निराश हैं
खास तौर से निर्दलीय विधायक भले ही सरकार का साथ देते हों लेकिन उनकी पार्टी के प्रति ना तो कोई जवाबदेही है और न ही पार्टी का सहयोग करने से उन्हें कोई फायदा नजर आता है. जबकि सरकार में इन निर्दलीय विधायकों को तवज्जो मिलने से इन क्षेत्रों के कांग्रेस कार्यकर्ता निराश और निष्क्रिय हो गये हैं. वहीं बसपा से कांग्रेस में आए विधायक भी पार्टी में पूरे तन-मन से नहीं रम पाए हैं. ऐसे में मिशन-2023 से पहले इन क्षेत्रों में अब पार्टी संगठन की मजबूती पर खास तौर से फोकस करेगी. वहीं कई कांग्रेस विधायकों के क्षेत्रों में भी निष्क्रियता की वजह से पार्टी की चिन्तित है. अब इन क्षेत्रों में संगठन को सक्रिय करने के लिए पार्टी खास प्लान तैयार कर रही है. इस प्लान को अभी गुप्त ही रखा जा रहा है.
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