काफी अनूठा है राजस्थान का ये मंदिर, भगवान वेंकटेश यहां पहनते हैं उतरी हुई झूठी माला! VIDEO

पीयूष पाठक/अलवर. राजस्थान की धरती और अलवर जिले में एकमात्र वेंकटेश बालाजी के नाम से पुकारे जाने वाला एक मंदिर ऐसा है, जो सभी मंदिरों से अपनी एक खास पहचान रखता है. वेंकटेश बालाजी का यह मंदिर अपनी एक विशेष पहचान इसलिए रखता है कि इस मंदिर में विराजमान चमत्कारी वेंकटेश बालाजी महाराज को उतरी हुई झूठी माला पहनाई जाती है. उतरी हुई झूठी माला पहनाने के पीछे वेंकटेश महाराज के इस मंदिर में एक पुरानी मान्यता वर्षो पुरानी है जिसके सीधे तार दक्षिण भारत से जुड़े हुए हैं. वेंकटेश बालाजी का यह मंदिर अलवर शहर की रामकिशन कॉलोनी काला कुआं जगह नामक स्थान पर स्थित है.
इस दिव्यधाम की विशेष बात यह है कि इसमें हर साल गोदंबा महोत्सव मनाया जाता है. जो 16 दिसंबर से आयोजित होकर 14 जनवरी तक चलने वाला है. इस महोत्सव के दौरान मंदिर में कई धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं और मंदिर में विराजमान वेंकटेश भगवान को गोदंबा की झूठी उतरी हुई माला पहनाई जाती है. जब तक इस मंदिर में यह महोत्सव चलता है तब तक इस मंदिर में मंगला आरती सुबह 5 बजे की जाती है और 16 वस्तुओं से बालाजी की पूजा की जाती है. इस विशेष पूजा को सात्तूमुरा कहा जाता है. इसमें बालाजी को विशेष रूप से खिचड़ी का भोग भी लगाया जाता है और 30 दिन के इस महोत्सव में 30 कथा बालाजी सहित भक्तों को सुनाए जाने के साथ प्रतिदिन प्रवचन भी दिए जाते हैं. साथ ही इस महोत्सव के 16 दिन व साल के आखिरी दिन 31 दिसंबर को कौआ पूजन भी किया जाएगा.
उतरी हुई माला पहनने के पीछे छुपी हुई है एक कहानी
इस मंदिर में उतरी हुई माला चढ़ाने के पीछे कहानी छुपी हुई है. जिसके बारे में वेंकटेश बालाजी धाम के प्रमुख सुदर्शनाचार्य महाराज बताते हैं कि विष्णु चित्र स्वामी भगवान रंगनाथ के परम भक्त थे. वह प्रतिदिन भगवान रंगनाथ को तुलसी की माला चढ़ाते थे. इसी वजह से भगवान कृष्ण को दक्षिण भारत में रंगनाथ के नाम से जाना जाता है. बाल्यावस्था में गोदंबा अपने पिता के साथ भगवान के दर्शन करती है और पुष्प माला की सेवा भी करती रही. गोदांबा युवा हुई तो उसने मन ही मन भगवान रंगनाथ को पति के रूप में स्वीकार कर लिया था.इस सब के बाद गोदंबा प्रतिदिन भगवान को पहनाई जाने वाली तुलसी की माला को स्वयं पहनकर शीशे में अपने आप को देखकर विचार करती थी कि मैं भगवान के लायक हूं या नहीं.
भगवान कृष्ण हुए प्रसन्न
एक दिन ऐसा आया कि विष्णुचित्त स्वामी गोदंबा को यह करते देखा काफी नाराज हुए और उन्होंने गोदंबा को फटकार भी लगाई.जिसके बाद गोदंबा ने कहा कि मेरी भक्ति में यदि शक्ति है तो भगवान मेरी झूठी उतरी हुई माल ही स्वीकार करेंगे और उसी वक्त आकाश से एक ऐसी आकाशवाणी हुई की गोदंबा ही साक्षात राधा रानी है और फिर तो कुछ ऐसा चमत्कार हुआ कि सब हैरान रह गए. स्वयं श्री कृष्ण ने कहा कि मैं उतरी हुई माला पहनकर ही प्रसन्न होता हूं.
गोदंबा के साथ भगवान ने रचा विवाह
इसके बाद तो गोदंबा ने 30 दिन भगवान की प्राप्ति के लिए व्रत किए. जिसे कात्यायनी व्रत कहा जाता है. व्रत के 27 वें दिन मंदिर में प्रतिमा से भगवान रंगनाथ प्रकट हुए और गोदंबा के साथ भगवान ने अपना विवाह रचा लिया. इसके बाद गोदंबा और भगवान दोनों ही एक साथ प्रतिमा में समाहित हो गए.मान्यता है कि राधा इस घोर कलयुग में गोदंबा के रूप में दूसरी राधा अवतरित हुई. इसी मान्यता के आधार पर ही अलवर के वेंकटेश बालाजी दिव्यधाम में भी भगवान को उतरी हुई और झूठी माला पहनाई जाती है और हर साल इस मंदिर में गोदंबा कल्याण महोत्सव भी मनाया जाता है.
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FIRST PUBLISHED : December 31, 2023, 09:18 IST