Rajasthan

किसान ने बंजर जमीन पर लगाए आंवले के पेड़, बन गया मालामाल, आज लाखों की हो रही कमाई

 कालूराम जाट/ दौसा.बस्सी के बैनाडा में एक किसान ने यहां खेती करने के लिए 20 बीघा जमीन खरीदी. हालांकि जब किसान ने जमीन खरीदी तब यहां जमीन में कुछ भी फसल नहीं हुआ करती थी और यहां जमीन में कुछ इस तरह के पेड़ हुआ करते थे, जिससे जमीन बंजर रहती थी.जमीन में किसी भी तरह की फसल की पैदावार नहीं हुआ करती थी. लेकिन जब किसान ने यहां पर जमीन खरीद कर फसल करने का विचार किया तो यहां पर पानी का स्तर भी कुछ ज्यादा ही गिरा हुआ पाया गया. जिससे किसान परंपरागत खेती नहीं कर सकता था, क्योंकि परंपरागत खेती में किसान को पानी की ज्यादा जरूरत रहती है. पानी का भू जल स्तर यदि सही तरह से रह पाता है तो किसान किसी भी तरह की फसल कर सकता है, लेकिन यहां किसान पानी की समस्या को देखते हुए भी अपनी पसंद से फसल नहीं कर सकता था.जिस तरह से किसान यहां पर अपने खेतों को देखा तो हालात कुछ इस तरह की थी कि किसान इन खेतों में खेती कर ही नहीं सकता था. तमाम बातोंको ध्यान में रखतेहुए किसान ने कम लागत, पानी की भी बचतऔर ज्यादा मुनाफासहित सभी बातों को ध्यान में रखतेहुए किसान ने अपनी 20 बीघा जमीन में आंवले का बगीचा लगा लिया.

किसान सियाराम गुर्जर ने बताया कि मेरी 20 बीघा जमीन यहां खरीदी हुई जमीन है. यहां पर पहले इस जमीन में किसी भी तरह की फसल नहीं पैदा हुआ करती थी. लेकिन मैं यहां जमीन खरीदने के बाद खेतों को समतल करवा कर और इन खेतों में फसल करने के लिए मैंने यहां अपने खेतों को तैयार किया. लेकिन खेतों को तैयार करने के बाद यहां पर पानी की समस्या बहुत अधिक थी. उसी को देखते हुए मैंने अपनी पूरी जमीन में ही आज से 20 वर्ष पहले अपनी 20 बीघा जमीन में 1200 आंवले के पेड़ों का फॉर्म लगा लिया. इस फॉर्म को जबतैयार किया था तब ₹50 की रेट से यहां पर आंवले के पेड़ लगाए गए थे और फॉर्म में आंवले के पेड़ों को लगाने में सभी तरह से 2 लाख रुपए की लागत आई थी. उसमें 60 हजार रुपए के आंवले के पेड़ आ गए थे.

उसके बाद कुछ समय बगीचे को तैयार करने में लगा अब मैं हर साल मेरे इस बगीचे से 10 से 12 लाख के आंवले की फसल बेच देता हूं.बगीचे में जब पेड़ों को पानी देता हूं तो मैं ड्रिप से पानी देता हूं, जिससे पानी की भी बचत हो जाती है. हर साल फसल तैयार होने पर यहां दूर-दूर से ठेकेदार आते हैं और वह यहां बगीचे की बोली लगातेहैं. बोली के हिसाब सेयहां फसल दे देते हैं.

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FIRST PUBLISHED : August 25, 2023, 14:01 IST

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