कॉटन, शिफॉन-सिल्क नहीं यहां मिलते भांग से बने कपड़े! चीन की सेना में भी होता है इस्तेमाल, VIDEO

कृष्णा कुमार गौड़/जोधपुर. अब तक जोधपुर ही नहीं बल्कि सभी को यही जानकारी थी कि भांग का उपयोग केवल नशे के लिए किया जाता है. मगर अब भांग पीने के लिए ही नहीं बल्कि इसके पौधे से बना कपड़ा भी पहन सकते हैं. इस बात को संभव कर दिखाया है जोधपुर के युवाओं ने जिन्होने हेमरिक्स ब्रांड के नाम से भांग के पौधों से बने कपड़ो को बेचने का कार्य किया है.
हेमरिक्स के संस्थापक राहुल सुथार व सुनील सुथार ने बताया, गांजा के पोधे की पत्तियों से भांग बनती है. जबकि गांजे के पौधे के तने से निकलने वाले रेशो से धागा बना उसे प्रोसेस कर कपड़ा बनाया जाता है. यह कपड़ा मेड इन इंडिया ऑर्गेनिक व केमिकल रहित होने के साथ एंटी बैक्टीरियल होता है. इसके साथ ही हर धुलाई के साथ इसकी सॉफ्टनेस बढ़ जाती है.
उत्तराखंड से होती है भांग के पौधो की खेती
पाबूपुरा स्थित पोलो मैदान में चल रहे पोलो मैच के दौरान इन कपड़ों की स्टाल लगाई हुई हैं. जब इस अनूठे कपड़े को लेकर जानकारी ली तो एकबारगी भांग से निर्मित कपड़े की बात सुन समझ ही नहीं पाए. वहां लिखा था भांग से बने कपड़े. इसपर जब स्टॉल ऑनर से इसके बारे में पूरी जानकारी ली तो संशय दूर हुआ. इस अनूठे स्टार्टअप को शुरू करने वाले जोधपुर के युवा उद्यमी राहुल सुथार व सुनील सुथार ने बताया कि भांग के पौधों के खेती उत्तराखंड में होती है. इसके पौधों से कपड़े बनाने से ना सिर्फ इसकी खेती करने वाले किसानों की आय बढ़ी है बल्कि कपड़ों की मांग भी बढ़ने लगी हैं.
चीन के बाद अब जोधपुर में भी इसका प्रयोग
सुनील सुथार बताते है कि अब तक ऐसा प्रयोग सिर्फ चीन में ही होता आया है. मगर अब भारत में भी गांजे के पौधों से कपड़ा उत्पादन शुरु हो चुका हैं. उन्होंने बताया, भांग के पौधे के डंठल से रेशे निकाल उसे कच्चे धागे में बदलने के साथ कपड़ा तैयार करते हैं. इससे तौलिया, चटाई व शर्ट, पैंट भी बनती है. इसमें बांस या कॉटन को भी मिक्स किया जा सकता है. खुद सुनील इससे तैयार कपड़े पहने हुए थे.
ऐसे बनता है भांग के पौधे से कपड़ा
अब तक भांग का उपयोग बतौर नशे के रुप में किया जाता आ रहा हैं. वहीं दवा निर्माण में भी इसका उपयोग होता हैं. मगर अब इससे बने कपड़े भी पहने जा रहे हैं. सर्दी में गर्म व गर्मियों में ठंडा रहना इसकी विशेषता बताई जा रही हैं. यही नहीं ये कपड़े एंटी बैक्टीरियल व एंटी फंगल भी होते हैं.
एंटी फंगल के कारण नही लगते इसमें बैक्टीरियां
इस कपड़े की ड्रेस पहनने पर दूर से ही लीलन क्वालिटी जैसा लुक नजर आता हैं, ये कपड़ा धुलाई में भी आसान रहता है. एक मीटर कपड़े की कीमत 700 से 800 रुपए है. वहीं सिले सिलाए कपड़े 1500 रुपए से शुरू होकर 4000 हजार रुपए तक की कीमत में है. सुनील ने बताया, इससे तैयार कपड़े एंटी फंगल होने से इसमें बैक्टीरिया नहीं लगता है. यह गर्मी में ठंडा व सर्दी में गर्म रहता है. यही वजह है कि चीन की सेना भी इसका प्रयोग करती है.
क्या है इस कपड़े की खासीयत
यह कपड़ा ना सिर्फ इको फ्रेंडली है बल्कि इसकी कई विशेषताएं भी है जहां हर मौसम चाहे सर्दी हो या गर्मी यह टेंपरेचर के अनुसार किसकी तासीर भी बदलती है. इस स्टार्टअप की शुरुआत करने वाले सुनील ने बताया कि वर्तमान में चीन की सेवा भी इस कपड़े का प्रयोग करती है जहां भारत में इसके प्रति जागरूकता काम है जहां अब इसकी शुरुआत हुई है तो उम्मीद है कि आगे यह स्टार्टअप नए आयाम पर पहुंचेगी.उसकी एक विशेषता यह भी है कि यह जितनी बार वॉश होगा उतनी बार यह कपड़ा और अधिक सॉफ्ट होता रहेगा. सुनील सुथार ने आगे बताया कि अगर इस कपड़े की कास्ट की बात करें तो यह 800 रुपये मीटर से शुरू होकर 2000 मीटर तक यह कपड़ा की रेट जाती है ओड़िआ 100 प्रतिशत नेचुरल है और कॉटन कपड़ो से कहीं ज्यादा यह फायदेमंद है.
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FIRST PUBLISHED : December 27, 2023, 10:55 IST