Rajasthan

कोटा में मगरमच्छों का आतंक, साधनाें के अभाव में वन विभाग भी है बेबस– News18 Hindi

कोटा. कोटा में पिछले दिनों हुई भारी बारिश का दौर थमने के बाद अब शहर की कई कॉलोनियों के बाशिंदों को मगरमच्छों (Crocodiles) से चुनौती मिल रही है. कोटा के बजरंग नगर क्षेत्र के आदित्य नगर आवास सहित करीब आधा दर्जन कॉलोनियों में खाली पड़े प्लॉट बारिश के पानी से भरे हैं. इनमें क्षेत्रवासियों को मगरमच्छों का अंदेशा डरा रहा है. प्लॉट में पानी भरा होने के कारण हर साल की तरह यहां मगरमच्छों का खतरा बना रहता है. रात के वक्त लोग घरों से बाहर निकलने में डरते हैं. क्योंकि कई बार सड़कों पर मगरमच्छ या उनके बच्चे नजर आ जाते हैं.

क्षेत्र के निवासी राजीव मेहता बताते हैं कि कॉलोनियों में कई खाली पड़े हैं. वन विभाग की टीम को कई बार सूचना देकर मगरमच्छों के रेस्क्यू भी करवाए गए, लेकिन इनकी तादाद कितनी है उसका अंदाज लगाना मुश्किल है. वहीं चंबल नदी से सटे इलाके कुन्हाड़ी के बापू बस्ती में भी आए दिन मगरमच्छों की दस्तक होती है. नगर निगम कोटा उत्तर के वार्ड 49 में बापू बस्ती में भी पिछले कई दिनों से मगरमच्छ के होने की सूचना प्राप्त हो रही है. प्रशासन की मदद ली जा रही थी, लेकिन पानी का भराव अधिक होने के कारण मगरमच्छों को पकड़ने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

पार्षद के सहयोग से मगरमच्छ का किया रेस्क्यू
पार्षद दीपक नागर ने बताया कि पिछले दिनों हुई अतिवृष्टि के कारण कोटा शहर के कई क्षेत्रों में पानी भर गया. इससे जलीय जानवरों का भय क्षेत्रवासियों में बना रहता है. हाल में भी क्षेत्रवासियों में मगरमच्छों को लेकर भय का माहौल था. इस पर तुरंत निगम प्रशासन को अवगत कराया. बाद में पार्षद दीपक नागर, टीकम प्रजापति, सुरेश कुमार एवं स्थानीय निवासियों ने स्वयं ही रेस्क्यू कर मगरमच्छ के बच्चे को पकड़ लिया एवं उसे वन विभाग की टीम को सुपुर्द कर दिया.

जुगाड़ से वन विभाग की टीम करती है काम
कोटा के कई इलाकों में बारिश का दौर थमने के बाद मगरमच्छों की रिहायशी इलाकों में लगातार हो रही दस्तक से एक बार फिर वन विभाग की टीमों को  भी चुनौती मिल रही है. पिछले साल भी करीब 4 दर्जन मगरमच्छों को वन विभाग की टीमों ने अलग-अलग स्थानों पर जाकर रेस्क्यू किया था. विभाग के पास भी मगरमच्छों के रेस्क्यू के लिए कोई आधुनिक साधन नहीं है. रस्सियों की मदद से मगरमच्छों का रेस्क्यू किया जाता है और फिर उनको मगरमच्छों की सेंचुरी में छोड़ा जाता है. इस साल भी लगातार वन विभाग की टीमों को सूचनाएं मिल रही है। स्थानीय लोगों की मदद से टीमें मगरमच्छों का रेस्क्यू कर रही हैं.

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