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कोरोना की तीसरी लहर की आशंका, मुकाबले के लिये अपने स्तर तैयारी में जुटा यह गांव, जानिये कैसे Rajasthan News-Udaipur News-Innovation Initiative-fear of third wave of Corona, a village preparing for safety

उदयपुर. देश में कोरोना की तीसरी लहर (Third wave of corona) को लेकर आशंका बढ़ने लगी है. तीसरी लहर में सबसे ज्यादा बच्चों के प्रभावित होने की संभावना जताई जा रही है. ऐसे में उदयपुर जिले के काया गांव (Kaya Village) में स्थित सरकारी स्कूल के अध्यापकों ने एक अनूठी पहल शुरू की है. इस स्कूल के अध्यापकों ने ‘मेरा गांव-मेरी जिम्मेदारी’ अभियान का आगाज किया है.

इस अभियान के तहत अब जिला कंट्रोल रूम की तरह काया गांव का भी एक अलग से कंट्रोल रूम चलाया जाएगा. इसमें ग्रामीण इलाकों के सभी बच्चों का रिकॉर्ड मेंटेन किया जाएगा. स्कूल के अध्यापकों की ओर से विभिन्न दल बनाए गए हैं. ये दल काया गांव के 7 वार्डों की निगरानी करेंगे. एक दल में वार्ड पंच, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, 2 युवा कोरोना योद्धा और शिक्षक को शामिल किया गया है.

डाटा एकत्र कर स्वास्थ्य विभाग को दिया जायेगा

सर्वे के लिए सात टीम प्रतिदिन गांव में विजिट करेगी और 3 से 18 वर्ष के बच्चों का डाटा तैयार करेगी. इन बच्चों की जांच भी की जाएगी. इसमें उनका बॉडी का टेंपरेचर, ऑक्सीजन लेवल और पल्स रेट नोट कर यह पूरा डाटा स्वास्थ्य विभाग तक पहुंचाया जाएगा. कोरोना योद्धाओं की यह टीम जब सभी बच्चों का डाटा इकट्ठा कर लेगी तब चिकित्सा विभाग को समय पर इलाज मुहैया कराने में भी आसानी होगी.टीमों को सभी संसाधन उपलब्ध करवाये गये हैं

सर्वे के लिए जाने वाले दलों को सुरक्षा के भी सभी संसाधन मुहैया कराए गए हैं. यह सभी व्यवस्था स्कूल के शिक्षकों द्वारा अपने वेतन और भामाशाह के सहयोग से की गई है. सर्वे टीम को फेस शिल्ड, मेडिकल कैप, N95 मास्क, सेनिटाइजर, ग्लब्स, साबुन, फाइल और पेन दिए गए हैं. यही नहीं बच्चों की सुरक्षा के लिए भी लिंबोनाइजा मशीन, स्टीम, लिंबोनाइज दवा इंजेक्शन आदि भी दिए गए हैं ताकि जरूरत होने पर बच्चों को प्राथमिक इलाज गांव में तुरंत मिल सके.

सर्वे कार्य के उद्देश्य

1. कोरोना की तीसरी लहर की संभावना से पूर्व 3 से 18 वर्ष के बच्चों की स्वास्थ्य जांच करना.

2. कोरोना की विभीषिका से अनाथ बच्चों, अन्य किसी कारण से जिन बच्चों के माता पिता की मृत्यु हो गई हैं उन्हें शिक्षा से जोड़ना और आर्थिक सम्बलन देना.

3. ड्रॉप आउट अथवा प्राइवेट स्कूल में फीस के कारण विद्यालय नहीं जाने वाले बच्चों को राजकीय विद्यालय से जोड़ना.

4. कोरोना के कारण जिन परिवारों को आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है उन्हें सहायता देना.

5. बच्चों के online शिक्षा के बारे में समझाना और परिवार के सदस्यों को active करना.

6. गांव के लोगों को वेक्सिनेशन के लिए जागरूक करना.

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