कोविड के बाद अचानक मोटे हो गए लोग, उपवास के बाद भी नहीं घटा वजन, स्टडी में चौंकाने वाला खुलासा
हाइलाइट्स
50 प्रतिशत से ज्यादा लोगों ने माना कि महामारी के बाद वजन में वृद्धि हुई है.
10 में से 6 यह भी मानते हैं कि भारत में मोटापा एक कलंक की तरह है.
Overweight and Obesity: आजकल मोटापा गंभीर बीमारी बन गया है. कोरोना के बाद से तो यह और भी खतरनाक होता जा रहा है. वजन बढ़ने की वजह से डायबिटीज और हार्ट डिजीज सहित कई गंभीर बीमारियां लोगों को घेर रही हैं. हाल ही में प्रिस्टीन डाटा लैब्स की रिपोर्ट में कई ऐसे चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं जो ओवरवेट और ओबेसिटी से ग्रस्त लोगों के लिए चिंताजनक हैं. स्टडी बताती है कि मोटापे से जूझ रहे लोगों को सिर्फ शारीरिक रूप से ही नहीं बल्कि मानसिक रूप से भी कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.
प्रिस्टीन लैब्स की ओर से भारत में 3000 से ज्यादा लोगों पर की गई स्टडी बताती है कि देश में मोटापे से जुड़े मुद्दों से निपटने के लिए ज्यादा जागरूकता और ठोस कदम उठाने की जरूरत है. यह न केवल शारीरिक बीमारी बल्कि मानसिक बीमारी भी बनता जा रहा है.
लोगों को नहीं पता कितना हो वजन
स्टडी बताती है कि 61 प्रतिशत लोगों को अपने बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) के बारे में जानकारी ही नहीं है. उन्हें पता ही नहीं है कि उनकी लंबाई या उम्र के अनुसार उनके शरीर का वजन कितना होना चाहिए. इसके अलावा, प्रत्येक 2 में से एक उत्तरदाता का मानना है कि कोविड महामारी के बाद वजन में बढ़ोत्तरी हुई है जो जीवनशैली और स्वास्थ्य व्यवहार पर महामारी के संभावित असर को दर्शाता है.
ज्यादा मोटापे की वजह से हुए बुली और टीज
स्टडी के अनुसार, 70 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने माना कि मोटापे की वजह से लोगों को वर्कप्लेस या सामाजिक कार्यक्रमों में बुली या टीज का सामना करना पड़ा. उन्हें लोगों द्वारा उनके मोटापे के लिए चिढ़ाया गया.
उपवास भी नहीं हुआ कारगर
जब लोगों से वजन नियंत्रित करने के बारे में पूछा गया तो करीब 60 प्रतिशत लोगों ने बताया कि उन्होंने अपना वजन कम करने या नियंत्रित करने के लिए अनेक कोशिशें की हैं. अपने वजन को कम करने के लिए 61 प्रतिशत लोग खानपान और नियमित व्यायाम पर जोर देते हैं. दिलचस्प बात यह सामने आई कि एक चौथाई लोग तो मोटापे को नियंत्रित करने के लिए उपवास भी रखते हैं जबकि 6 प्रतिशत लोग फैट कम करने वाली गोलियों का इस्तेमाल करते हैं लेकिन मोटापा कम होने का नाम नहीं लेता.
लोग बोले मोटापा है कलंक
मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर मोटापे के महत्वपूर्ण प्रभाव के बावजूद स्टडी से संकेत मिलता है कि सिर्फ 27 प्रतिशत लोगों ने वजन से जुड़े मुद्दों, शरीर की छवि से जुड़ी चिंताओं या खाने की आदतों के लिए पेशेवर सहायता या परामर्श मांगा. इस हिसाब से मोटापे से ग्रस्त लोगों की मदद और संसाधनों तक पहुंच बढ़ाने की जरूरत महसूस हो रही है. 60 प्रतिशत लोगों का मानना है कि भारत में मोटापा एक कलंक की तरह है. इसलिए इस मुद्दे को लेकर अधिक जागरूकता और संवेदनशीलता की जरूरत है.
क्या बीमारी है मोटापा?
जब पूछा गया कि क्या मोटापे को एक बीमारी के रूप में वर्गीकृत किया जाना चाहिए तो 60 प्रतिशत लोगों ने समग्र स्वास्थ्य और कल्याण पर इसके प्रभाव को व्यापक रूप से समझने के महत्व को रेखांकित करते हुए इसे बीमारी के रूप में वर्गीकृत करने की जरूरत बताई.
इन बीमारियों का बढ़ रहा रिस्क
इन आंकड़ों के बावजूद, मोटापे से जुड़े हेल्थ रिस्क के बारे में जागरूकता का एक सकारात्मक संकेत बना हुआ है. अध्ययन में पता चला कि 81 प्रतिशत लोगों को मधुमेह (डायबिटीज), हृदय रोग और उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) सहित मोटापे से जुड़े संभावित स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में जानकारी थी.
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FIRST PUBLISHED : October 24, 2023, 18:47 IST