क्या है गर्भनाल ब्लड बैंक, कैसे ब्लड कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों के इलाज में काम आती है अम्बिलिकल कॉर्ड
Uses of Umbilical cord blood: दुनियाभर में बच्चे के जन्म के बाद गर्भनाल को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए गर्भनाल ब्लड बैंक में डिपॉजिट करने का चलन तेजी से बढ़ा है. वहीं, भारत में धीमी रफ्तार से ही सही, लेकिन इसको लेकर जागरूक हो रहे हैं. दुनियाभर में डॉक्टर्स और विशेषज्ञ जोर देकर कह रहे हैं कि गर्भनाल को लंबे समय तक सुरक्षित रखना सभी के लिए फायदे का सौदा साबित हो रहा है. दरअसल, केवल एक रक्त कोशिका से हमारे शरीर में 3.4 लीटर तक रक्त बनता है. वहीं, गर्भनाल ब्लड स्टेम सेल से भरा होता है. वैज्ञानिकों ने ये भी साबित कर दिया है कि स्टेम सेल ब्लड से लाल और श्वेत रक्त कोशिकाएं विकसित की जा सकती हैं.
हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में प्रोफेसर व बोस्टन में स्टेम सेल प्रोग्राम के डायरेक्टर लियोनार्ड जोन ने बीबीसी को बताया कि हर साल स्टेम सेल ब्लड की मदद से हजारों लोगों की जिंदगियां बचाई जा रही हैं. मेडिकल एक्सपर्ट स्टेम सेल ब्लड की मदद से कई तरह की खून से जुड़ी बीमारियों को ठीक करने का दावा करते हैं. डॉक्टर्स का कहना है कि इसे जानलेवा बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल किया जा सकता है. सबसे पहले जानते हैं कि गर्भनाल ब्लड बैंक क्या है? इसमें गर्भनाल को डिपॉजिट करने के लिए आपको हर साल कितना भुगतान करना पड़ेगा? भारत में गर्भनाल ब्लड बैंक कहां है?
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क्या है गर्भनाल ब्लड बैंक, कितना आएगा खर्च?
गर्भनाल ब्लड बैंक ऐसी सुविधा है, जो भविष्य में इस्तेमाल के लिए गर्भनाल रक्त को सुरक्षित करती है. दुनियाभर में निजी और सार्वजनिक दोनों गर्भनाल ब्लड बैंक हैं. सार्वजनिक गर्भनाल रक्त बैंक जरूरतमंदों के लिए उपयोग किए जाने वाले दान को स्वीकार करते हैं. ये पब्लिक बल्ड बैंकों की तरह ही काम करते हैं. सार्वजनिक गर्भनाल रक्त बैंकिंग को मेडिकल सेक्टर में ज्यादा व्यापक रूप से स्वीकार किया गया है. वहीं, प्राइवेट कॉर्ड ब्लड बैंक केवल गर्भनाल दाता या उसके परिवार के संभावित इस्तेमाल के लिए इसे सुरक्षित रखते हैं. अमेरिका में प्राइवेट कॉर्ड ब्लड बैंक इसके लिए करीब 2,000 डॉलर और भंडारण के लिए करीब 200 डॉलर सालाना का शुल्क लेते हैं. वहीं, भारत में इसके लिए 56,500 रुपये से 5,53,000 रुपये तक वसूले जाते हैं.
गर्भनाल ब्लड बैंक ऐसी सुविधा है, जो भविष्य में इस्तेमाल के लिए गर्भनाल रक्त को सुरक्षित करती है.
किन गंभीर बीमारियों का हो सकता है इलाज?
डॉक्टर्स के मुताबिक, गर्भनाल ब्लड के जरिये ब्लड कैंसर, बोनमैरो की बीमारी, सिकिल सेल एनीमिया, प्रतिरक्षा प्रणाली की कमजोरी, मेटाबॉलिज्म से जुड़ी दिक्कतों और दुर्लभ आनुवांशिक बीमारियों का इलाज आसानी से किया जा सकता है. इसके लिए स्टेम सेल को गर्भनाल से इकट्ठा करके लंबी अवधि के लिए कॉर्ड ब्लड बैंक में सुरक्षित रखा जाता है. वैसे तो पूरी दुनिया में कॉर्ड ब्लड बैंक में स्टेम सेल सुरक्षित रखने का चलन काफी कम है, लेकिन इसमें धीरे-धीरे इजाफा हो रहा है. सेल ट्रायल डेटा के मुताबिक, अमेरिका में 3 फीसदी माता-पिता इसे अपना रहे हैं. वहीं, ब्रिटेन में यह 0.3 फीसदी और फ्रांस में 0.08% है.
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भारत में कहां स्टोर की जाती हैं गर्भनाल?
भारत में गर्भनाल को लंबे समय तक सुरक्षित रखने का चलन ब्रिटेन और फ्रांस से ज्यादा 0.4 फीसदी है. हालांकि, ये अब भी काफी कम है. इसकी बड़ी वजह स्टोरेज कॉस्ट का बहुत ज्यादा होना है. कॉर्ड लाइफ साइंसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड का पश्चिम बंगाल में कॉर्ड ब्लड बैंक है. देशभर से स्टेम सेल इकट्ठा कर इसी बैंक में सुरक्षित रखा जाता है. कॉर्ड लाइफ कई पैकेज ऑफर करती है. इसके लिए 56,500 रुपये से 5,53,000 रुपये तक का भुगतान करना होता है. पूरी दुनिया में प्राइवेट कॉर्ड ब्लड बैंक की संख्या में तेजी से इजाफा तो हो रहा है, लेकिन ये अब तक काफी महंगे हैं. भारत में भी कई प्राइवेट कॉर्ड ब्लड बैंक चिकित्सीय इस्तेमाल के वादे के साथ गर्भनाल ब्लड बैंक के विज्ञापन कर रहे हैं.
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फर्जी दावे माता-पिता को कर रहे गुमराह?
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च यानी आईसीएमआर की एक रिपोर्ट कहती है कि प्राइवेट कॉर्ड ब्लड बैंक के विज्ञापन लोगों को गुमराह करने वाले होते हैं. इन विज्ञापनों में लोगों को सटीक जानकारी नहीं दी जा रही है. आईसीएमआर का कहना है कि अब तक भविष्य में इस्तेमाल किए जाने के लिए गर्भनाल रक्त के संरक्षण का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है. इसलिए यह प्रथा नैतिक और सामाजिक चिंताएं पैदा करती है. विज्ञापन में माता-पिता को बच्चे के भविष्य के बारे में बताकर कहा जा रहा है कि स्टेम सेल की मदद से 80 बीमारियों का इलाज किया जा सकेगा. उनका ये दावा वैज्ञानिक रूप से सही नहीं है.
आईसीएमआर का कहना है कि अब तक भविष्य में इस्तेमाल करने के लिए गर्भनाल रक्त के संरक्षण का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है.
कितने बच्चों को पड़ सकती है जरूरत?
कनाडा ब्लड सर्विस के फंड के एक शोध की रिपोर्ट में बताया गया है कि भविष्य में कितने बच्चों को स्टेम सेल ब्लड की जरूरत पड़ सकती है. रिपोर्ट के मुताबिक, 20 हजकर में किसी एक बच्चे यानी 0.005 फीसदी से लेकर ढाई लाख में एक बच्चे यानी 0.0004 फीसदी को स्टेम सेल ब्लड की जरूरत पड़ सकती है. इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स भविष्य के लिए कॉर्ड ब्लड जमा करने का समर्थन नहीं करती है. एकेडमी के मुताबिक, इसके इस्तेमाल की उम्मीद बेहद कम है. इसके मुताबिक स्टेम सेल ब्लड की जरूरत 20 साल में 0.04 फीसदी से लेकर 0.005 फीसदी बच्चों को ही पड़ सकती है. अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिशियन, अमेरिकन सोसाइटी फॉर ब्लड ऐंड मैरो ट्रांसप्लांट, रॉयल कॉलेज ऑफ ऑब्स्ट्रेटिशियन्स ऐंड गायनेकोलॉजिस्ट, यूरोपियन ग्रुप ऑन एथिक्स इन साइंस ऐंड न्यू टेक्नोलॉजीज का भी कुछ ऐसा ही कहना है.
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कहां गर्भनाल सुरक्षित रखना गैरकानूनी?
इंडियन सोसाइटी ऑफ ब्लड एंड मैरो ट्रांसप्लांट के आंकड़े के मुताबिक, भारत में 2012 से 2022 के बीच के 10 साल में महज 60 कॉर्ड ब्लड ट्रांसप्लांट किए गए हैं. अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स की पॉलिसी में कहा गया है कि ‘जैविक बीमा’ के तौर पर गर्भनाल रक्त का निजी भंडारण नासमझी है. अगर आपको लगता है कि भविष्य में आपके परिवार के किसी सदस्य को स्टेम सेल प्रत्यारोपण की जरूरत पड़ सकती है तो ही इसे सुरक्षित करवाएं. इटली और फ्रांस में गर्भनाल रक्त का निजी भंडारण गैरकानूनी है. कुछ दूसरे यूरोपीय देशों में भी इसे हतोत्साहित किया जाता है. हालांकि, यूनिवर्सिटी ऑफ पीट्सबर्ग मेडिकल सेंटर चिल्ड्रेन हॉस्पिटल ने दान किए हुए कॉर्ड ब्लड स्टेम सेल से 44 बच्चों के 20 अलग-अलग कैंसर से अलग आनुवांशिक बीमारियों का सफल इलाज किया. इसमें सिकिल सेल एनीमिया, हंडर सिंड्रोम और शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र की कमी जैसी दिक्कतों का इलाज किया गया.
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स्टेम सेल्स को लेकर ना हों भ्रमित?
गर्भनाल रक्त में हेमेटोपोएटिक स्टेम कोशिकाएं होती हैं, जो केवल रक्त कोशिकाओं में अंतर कर सकती हैं. इसे भ्रूण स्टेम कोशिकाएं या प्लुरिपोटेंट स्टेम कोशिकाएं नहीं माना जाना चाहिए, जो शरीर में किसी भी कोशिका में अंतर कर सकती हैं. गर्भनाल रक्त स्टेम कोशिकाएं रक्त कोशिकाएं बना सकती हैं. ये लाल, श्वेत रक्त कोशिकाएं और प्लेटलेट्स बना सकती हैं. यही कारण है कि वर्तमान में गर्भनाल रक्त कोशिकाओं का इस्तेमाल रक्त व प्रतिरक्षा प्रणाली से जुड़े आनुवंशिक रोगों, कैंसर और रक्त विकारों के इलाज के लिए किया जाता है. गर्भनाल रक्त भी मेसेनकाइमल स्टेम कोशिकाओं का स्रोत है, जिसे आगे संयोजी ऊतकों, हड्डियों और उपास्थि बनाने में इस्तेमाल किया जा सकता है.
गर्भनाल रक्त में हेमेटोपोएटिक स्टेम कोशिकाएं होती हैं, जो केवल रक्त कोशिकाओं में अंतर कर सकती हैं.
कॉर्ड ब्लड बैंक से जुड़ी शिकायत कहां करें?
आपने अपने बच्चे के जन्म के बाद गर्भनाल को सुरक्षित कराने के लिए पैकेज लिया है और आपको कॉर्ड ब्लड बैंक से कोई शिकायत है तो आप केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन यानी सीडीएससीओ के जोनल ऑफिस का दरवाजा खटखटा सकते है. शिकायत की एक कॉपी सीडीएससीओ और आईसीएमआर को भेज सकते हैं. यही नहीं, आप उपभोक्ता फोरम में भी अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं.
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FIRST PUBLISHED : August 29, 2023, 13:16 IST