गहलोत की ये बड़ी घोषणा: 31 दिसंबर 1971 तक के शहीदों के आश्रितों को सरकारी नौकरी | Government jobs to the dependents of martyrs till December 31, 1971
जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने देश की सीमाओं की रक्षा करते हुए शहीद हुए प्रदेश के सशस्त्र सेनाओं के अधिकारियों-जवानों के आश्रितों के परिवार के एक सदस्य को नियुक्ति के प्रावधान में 31 दिसंबर, 1971 तक के शहीदों के आश्रितों को भी शामिल करने की घोषणा की। साथ ही उन्होंने शहीदों के आश्रितों की श्रेणी में शहीद की पुत्री के पुत्र एवं पुत्री (नवासा-नवासी), दत्तक नवासा-नवासी एवं शहीद के भाई-बहन के पुत्र एवं पुत्री को भी सम्मिलित करने की घोषणा की।
जयपुर
Published: December 16, 2021 06:09:45 pm
जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने देश की सीमाओं की रक्षा करते हुए शहीद हुए प्रदेश के सशस्त्र सेनाओं के अधिकारियों-जवानों के आश्रितों के परिवार के एक सदस्य को नियुक्ति के प्रावधान में 31 दिसंबर, 1971 तक के शहीदों के आश्रितों को भी शामिल करने की घोषणा की। साथ ही उन्होंने शहीदों के आश्रितों की श्रेणी में शहीद की पुत्री के पुत्र एवं पुत्री (नवासा-नवासी), दत्तक नवासा-नवासी एवं शहीद के भाई-बहन के पुत्र एवं पुत्री को भी सम्मिलित करने की घोषणा की।
cm ashok gehlot
गहलोत गुरूवार को स्वर्णिम विजय दिवस के 50 साल पूरे होने के अवसर पर यहां अमर जवान ज्योति पर आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री की इस घोषणा से 1971 के भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए सैन्य अधिकारियों-जवानों के आश्रितों को नियुक्ति मिलने का मार्ग प्रशस्त होगा। पूर्व के नियमों में 15 अगस्त 1947 से 31 दिसंबर 1970 तक के राजस्थान के शहीदों के आश्रित परिवार के एक सदस्य को नियुक्ति देने का प्रावधान है।
हमारी सेनाओं के पराक्रम के आगे पाकिस्तान ने घुटने टेके कार्यक्रम में मुख्यमंत्री गहलोत ने 16 दिसंबर 1971 के दिन को याद किया और कहा कि देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की मजबूत इच्छा शक्ति एवं दृढ निश्चय के साथ ही हमारी सशस्त्र सेनाओं के पराक्रम के आगे पाकिस्तानी सेना ने घुटने टेक दिए और बांगलादेश का एक अलग राष्ट्र के रूप में उदय हुआ।
राजस्थान के हर घर में शहादत का जज्बा गहलोत ने कहा कि मुझे गर्व है कि में ऎसे प्रदेश का मुख्यमंत्री हूं जहां हर घर में देश की सीमाओं की रक्षा के लिए शहादत का जज्बा है। उन्होंने कहा कि कारगिल युद्ध में शहीद हुए प्रदेश के जवानों के घर जाने का मुझे मौका मिला तो वहां शहीद बेटे की माँ एवं पिता में अपने दूसरे बेटे को भी देश की रक्षा के लिए सीमा पर भेजने का जज्बा नजर आया। हमारी सशस्त्र सेनाओं के इस अदम्य साहस एवं पराक्रम पर हम सभी को गर्व है।
मुल्क को एक और अखण्ड रखना हम सभी की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि अनेकता में एकता वाले इस मुल्क को एक और अखण्ड रखना हम सभी की जिम्मेदारी है। हमारे यहां विभिन्न धर्म, जाति एवं भाषाओं का समावेश है। सभी धर्म दूसरे धर्मों का सम्मान करना एवं सभी के साथ समानता का व्यवहार करना सिखाते हैं। सभी धमोर्ं में प्रेम और भाईचारे की सीख दी गई है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधीजी की शिक्षाओं में भी आपसी प्रेम एवं भाईचारे पर जोर दिया गया है।
शहीदों की वीरांगनाओं का शॉल ओढाकर सम्मान कार्यक्रम में मुख्यमंत्री गहलोत ने 1971 की लड़ाई में शहीद हुए लांस नायक बहादुर सिंह की वीरांगना मिश्री देवी, शहीद रायफलमैन मोहन सिंह की वीरांगना नवल कंवर, शहीद ग्रेनेडियर सरदार सिंह की वीरांगना रूपा देवी, शहीद रायफलमैन रामसिंह के पुत्र नरेन्द्र सिंह, शहीद भारतीय नौसेना के जवान मदन सिंह के पुत्र नरेन्द्र सिंह शेखावत एवं शहीद हुकमाराम के पुत्र बलवीर जितरवाल को शॉल ओढाकर एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। गहलोत ने सेवानिवृत सैन्य अधिकारियों एवं सैनिकों से भी मुलाकात की।
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