गहलोत सरकार लगायेगी प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर रोक, जल्द बनेगा विद्यालय नियामक प्राधिकरण
हाइलाइट्स
कोचिंग संस्थान और निजी कॉलेज भी आएंगे दायरे में
स्कूल प्रबंधन और अभिभावकों के बीच टकराव थमेगा
जयपुर. राजस्थान में निजी स्कूलों की मनमानी (Private schools arbitrariness) पर अंकुश लगाने के लिए नई शिक्षा नीति के तहत अशोक गहलोत सरकार विद्यालय नियामक प्राधिकरण (School Regulatory Authority) का जल्द गठन करने जा रही है. सरकार के स्तर पर प्राधिकरण के शीघ्र गठन को लेकर लगातार तैयारियां जारी हैं. सरकार से जुड़े सूत्रों की मानें तो स्कूल शिक्षा और कोचिंग संस्थानों में फीस निर्धारण एवं अन्य समस्याओं पर इसके जरिये नजर रखी जायेगी. यह प्राधिकरण राज्य सरकार, शिक्षण संस्थानों के प्रबंधन और अभिभावक सहित अन्य सभी स्टेक होल्डर के हितों के संबंध में चर्चा कर उचित निर्णय लेगा.
शिक्षा मंत्री डॉ. बीडी कल्ला की मानें तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के स्तर पर विद्यालय नियामक प्राधिकरण के गठन को लेकर एक्सरसाइज जारी है. इस प्राधिकरण के दायरे में निजी स्कूलों के अलावा कोचिंग संस्थान और निजी कॉलेज भी आएंगे. उनके फीस सहित अन्य विवादों का निस्तारण प्राधिकरण स्तर पर हो सकेगा. प्राधिकरण के गठन से अभिभावकों को काफी राहत मिलने की उम्मीद जताई जा रही है.
अभिभावक बोले-फीस एक्ट-2016 तत्काल लागू करना चाहिये
विद्यालय नियामक प्राधिकरण को लेकर अभिभावकों का कहना है कि सरकार को इसका गठन करने से आगे इस बात का भी विशेष ख्याल रखना चाहिए कि उसे इतना पावरफुल बनाया जाये कि निजी स्कूलों की मनमानियों पर पूरी तरह से अंकुश लग सके. अभिभावकों का कहना है कि सरकार को निजी स्कूलों की फीस बढ़ोतरी वाला फीस एक्ट-2016 तत्काल लागू करना चाहिये. कोरोना के चलते अगले 5 साल तक फीस को नहीं बढ़ाने जैसे सुझाव भी सरकार को दिए गये हैं. इसके साथ ही कोचिंग संस्थानों की मनमानी पर भी अंकुश जरुरी है.
स्कूल प्रबंधन और अभिभावकों के बीच टकराव थमेगा
बहरहाल सरकार की ओर से नई शिक्षा पॉलिसी की पालना में अन्य राज्यों की भांति राजस्थान में भी विद्यालय नियामक प्राधिकरण का गठन किया जा रहा है. उम्मीद जताई जा रही है कि इसके गठन से निजी स्कूल प्रबंधन और अभिभावकों के बीच टकराव थमेगा. इसके साथ ही फीस जैसे मुद्दों को लेकर भविष्य में अभिभावकों को सड़कों पर नहीं आना पड़ेगा. अभी तो इसके गठन का इंतजार है. गठन के बाद प्राधिकरण की कार्यशैली पर निर्भर करेगा कि वह अभिभावकों को राहत दे पाता है या नहीं.
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