चमत्कारी पौधा, जड़ से लेकर फूल-पत्ती तक रामबाण, सेवन करेंगे तो ब्रेन ट्यूमर भी हो जाएगा छूमंतर
अर्पित बड़कुल/दमोह: मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके में आसानी से मिलने वाला भटकटैया पौधे को आयुर्वेद में कंटकारी के नाम से जाना जाता है. भटकटैया का फूल, फल, पत्ती, तना, जड़-पंचाङ्ग सहित पूरा उपयोगी बताया गया है. इसका सेवन करने से पहले इसे ठीक से धुलें. यह पौधा घनी झाड़ी के रूप में जमीन पर फैला हुआ होता है. जिसे देखने से ऐसा लगता है, जैसे कोई क्रोधित नागिन शरीर पर अनेकों कांटो का वत्र ओढ़े गर्जना करती हुई मानो कहती हो, मुझे कोई छूना मत,कटेरी में इतने कांटे होते हैं कि इसे छूना दुष्कर है. इसीलिए इसे दुस्पर्शा के नाम से भी जाना जाता है. इसकी जड़ का उपयोग दमा, खांसी, ज्वर, कृमि, दांत दर्द, सिर दर्द, मूत्राशय की पथरी नपुंसकता, नकसीर, मिर्गी, उच्च रक्तचाप में गुणकारी है.
भटकटैया का पौधा ब्रेन ट्यूमर के उपचार मे सहायक होता है. पौधे का सार तत्व मस्तिष्क में ट्यूमर द्वारा होने वाले कुशिंग बीमारी के लक्षणों से राहत दिलाता है. मस्तिष्क में पिट्युटरी ग्रंथि में ट्यूमर की वजह से कुशिंग बीमारी होती है. कांटेदार पौधे भटकटैया के दुग्ध युक्त बीज में सिलिबिनिन नामक प्रमुख एक्टिव पदार्थ पाया जाता है, जिसका इसका उपयोग ट्यूमर के उपचार में किया जाता हैं.
ब्रेन ट्यूमर के इलाज मे है लाभकारी
आयुर्वेद चिकित्सक डॉ अनुराग अहिरवार ने कहा कि आयुर्वेद में भटकटैया को कंटकारी कहते हैं. जिसका इस्तेमाल ग्रामीण इलाकों में आज भी खांसी, दमा,ज्वर और दांत दर्द मे किया जाता है. इसके फलों को भूनकर लिया जा सकता है, बड़ी कंटकारी के बीजों का धुआं लेने से दांत के दर्द एवं दांत के कीड़ों में काफी राहत मिलती है. इसकी जड़ का भी कई प्रकार की औषधि में प्रयोग किया जाता है, पथरी में भी इसकी जड़ का उपयोग किया जाता है जिसके अच्छे रिजल्ट मिलते हैं.
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FIRST PUBLISHED : January 5, 2024, 18:56 IST