चुनावी दंगल में उतरकर इन एक्टर्स ने हासिल की जोरदार जीत, किसी को रास आई सियासत किसी ने खींचे पांव | 70s and 80s actor win elections some doing well left the politics Amitabh bachhan Shatrughan Sinha rajesh khanna dharmendra
कुछ कलाकार राजनीति की दुनिया के तौर-तरीकों को अपना नहीं सके और फिर से फिल्म जगत में वापसी कर दी। आज हम आपको 70 से 80 के दशक के ऐसे ही कुछ एक्टर्स के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने राजनीति का दामन थाम लिया।
अमिताभ बच्चन
मेगा स्टार अमिताभ बच्चन ने बॉलीवुड में ही नहीं बल्कि चुनावी दंगल में भी झंडे गाड़े हैं। एंग्री यंग मैन की शुरुआत से लेकर अब तक तगड़ी फैन फॉलोइंग है। साल 1984 में उन्होंने एक्टिंग से ब्रेक लिया और इलाहाबाद (प्रयागराज) से लोकसभा चुनाव में ताल ठोक दी।
शत्रुघ्न सिन्हा
बॉलीवुड की दुनिया में अपनी एक्टिंग से सभी को खामोश कर देने वाले शत्रुघ्न सिन्हा ने 1984 में भाजपा का दामन थाम लिया। पार्टी ने उनकी लोकप्रियता देखते हुए उन्हें स्टार प्रचारक बनाया। वो तब से लेकर अब तक सियासत की गलियों में एक्टिव हैं। एक्टर भारतीय जनता पार्टी सरकार के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण और जहाजरानी मंत्री के रूप में काम कर चुके हैं। हालांकि 2019 से वो कांग्रेस पार्टी का हिस्सा बने हुए हैं। मौजूदा समय में वो टीएमसी के सांसद भी हैं।
राजेश खन्ना
राजेश खन्ना हिंदी सिनेमा के वो धुरंधर हैं जिन्होंने स्टारडम की एक नई परिभाषा गढ़ दी। केवल एक्टिंग की दुनिया में ही नहीं पॉलिटिक्स में भी अपना जलवा दिखाया। उनकी फिल्मों ने उन्हें देशभर में फेमस कर दिया। राजेश नई दिल्ली लोकसभा सीट से साल 1992-1996 तक कांग्रेस पार्टी के सांसद रहे।
विनोद खन्ना
70-80 के दशक के दमदार एक्टर में से एक विनोद खन्ना भी हैं। उन्होंने भी राजनीति का रुख किया। साल 1997 में विनोद खन्ना ने पहली बार चुनावी मैदान में कदम रखा। बीजेपी से चुनाव लड़कर सांसद बने। साल 1999 में वो दोबारा गुरदासपुर से सांसद चुने गए।
2002 में उन्हें संस्कृति और पर्यटन मंत्री बनाया गया, 2004 में वह दोबारा गुरदासपुर से जीते, 2009 में विनोद खन्ना चुनाव हार गए। वहीं 2014 में मोदी लहर के होते हुए भी उन्होंने जीत हासिल की।
धर्मेंद्र
हिंदी सिनेमा के हीमैन धर्मेंद्र ने बॉलीवुड में अपना लोहा तो मनवा लिया लेकिन राजनीति में वो उतने प्रभावी नहीं रहे। अपनी लोकप्रियता के दम पर वो भारतीय जनता पार्टी से चुनाव तो जीत गए लेकिन राजनीति उन्हें रास नहीं आई। धर्मेंद्र राजनीति से परेशान हो गए थे। जिसके बाद उन्होंने इससे दूरी बना ली।