जनप्रतिनिधि हैं या भांड
शशि थरूर महिला सांसदों के साथ सेल्फी ट्विटर पर ट्वीट कर रहे हैं,राजस्थान में कांग्रेस की गहलोत सरकार के पुनर्गठन के दौरान मंत्री राजेंद्र गुढा सांसद हेमा मालिनी को डोकरी बता उपहास उडाते हुए कह रहे हैं कि उनके इलाके की सड़कें कैटरीना कैफ के गालों जैसी होनी चाहिए। गुढा की बात यही खत्म नहीं हुई दो दिन बाद फिर चटपटा मसखरी भरा बयान दिया कि बसपा से जीतकर कांग्रेस सरकार मे मंत्री बनता हूं, जब बोरिया बिस्तर (दरी समेटने) की बारी आती हैं तो कांग्रेस को ठेंगा बताकर अपना रास्ता पकड लेता हूं। दर्शा रहा है वर्तमान परिप्रेक्ष्य मे राजनीति का स्तर कहा से कहा आ गया हैं। आवश्यकताओं के दौर मे हम जिस तरह आधुनिक हुए हैं उतने ही हमारे संस्कारों मे गिरावट आई हैं और भारतीय संस्कृति फूहड अभिनेत्रियों की तरह निवस्त्र। परिणाम आज संसद हो या विधानसभा हर जगह जरासंध भरे पडे हैं, जिन्हें न तो सदन की गरीमा की खबर और न ही अपने स्टेट्स की परवाह। बस जो जुबान पर आया उगल दिया। परिणाम थूं थूं करते मिले तो क्षमा मांग लेना या जूमला बता चुटकी लेकर चलते बनना। सही हैं या गलत यह तो देश को दशा और दिशा का बोध कराने वाले नेता जाने लेकिन मेरी नजर मे तो देश की शोभा बने इन नेताओं पर आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी संग उन तमाम नेताओं की आंख मे खून के आंसू एक ही जवाब दे रहे है कि अच्छे जाहिलों के लिए हमने देश को आजाद कराया।
– प्रेम शर्मा