Rajasthan

जन्मदिन गायत्रीदेवी : क्या स्कूल के जमाने से शुरू हुई थी राजमाता और इंदिरा की रंजिश

तिहाड़ जेल में हमेशा चोर उचक्कों और अपराधियों का हल्ला-गुल्ला होता रहता है. इसी जेल में आपातकाल के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जयपुर राजघराने की राजमाता गायत्री देवी को बंद कर दिया. उन्हें 06 महीने के लिए कैद किया गया था. लेकिन क्यों? इसके पीछे एक कहानी रही है, जो राजनीतिक इतिहास के साथ ही दो शीर्ष महिलाओं के बीच वर्चस्व की जंग में ईर्ष्या का पहलू भी समेटे हुए है. कुछ लोग इसका सिरा उन दिनों में भी ढूंढते हैं जब दोनों साथ ही शांति निकेतन में पढ़ रही थीं.

उनका जन्म 23 मई 1919 में लंदन में हुआ था. 29 जुलाई 2009 को उनका 90 बरस की उम्र में निधन हुआ. जब तक गायत्री देवी जिंदा रहीं, तब तक उनसे ये जरूर पूछा जाता रहा कि इंदिरा गांधी से उनके रिश्ते इतने खट्टे क्यों हैं.

जब बंबई से दिल्ली पहुंचीं गायत्री देवी
1975 में जब गायत्री देवी बंबई में इलाज करवाने गई थीं, तब उन्हें बताया गया कि इलाज होते ही उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता था. इमरजेंसी का समय था. गायत्री देवी ने घबराए बगैर दिल्ली का रुख किया.  लोकसभा पहुंचीं. वहां जो नज़ारा देखा, वो अवाक करने वाला था. विपक्ष की बेंचें खाली पड़ी थीं. लोकसभा विपक्ष शून्य थी.

maharani gayatri devi, maharani gayatri devi life, gayatri devi indira gandhi, gayatri devi sanjay gandhi, emergency indira gandhi, महारानी गायत्री देवी, महारानी गायत्री देवी जीवनी, गायत्री देवी इंदिरा गांधी, गायत्री देवी संजय गांधी, इमरजेंसी इंदिरा गांधी

फेफड़े के इन्फेक्शन के कारण 2009 में गायत्री देवी का निधन हुआ था. वह अपने पीछे आधा अरब डॉलर की संपत्ति छोड़ गई थीं. उनकी मां इंदिरा देवी बड़ौदा राजघराने की राजकुमारी थी. जो खुद अपनी खूबसूरती और फैशन के लिए चर्चाओं में रही थीं.

गायत्री देवी को गिरफ्तार कर लिया गया
गायत्री देवी औरंगज़ेब रोड स्थित अपने घर पहुंचीं. कुछ ही देर में आयकर विभाग के अफसर वहां पहुंचे. अफसरों ने उनसे कहा कि उन पर आरोप है कि उन्होंने अघोषित सोना और संपत्ति छुपा रखी है. इसी सिलसिले में विदेशी एक्सचेंज व तस्करी से जुड़े एक एक्ट (COFEPOSA) के तहत उन्हें गिरफ्तार किया जा रहा है. गायत्री देवी को तिहाड़ जेल भेज दिया गया.

छह महीने बाद पैरोल पर हुईं रिहा
जेल में साथी कैदियों और उनके बच्चों को पढ़ाने वाली गायत्री देवी की सेहत लगातार बिगड़ रही थी. उन्हें गॉलस्टोन की शिकायत हो रही थी, इसी वजह से उन्हें पैरोल पर रिहा किया गया. हालांकि उन पर पाबंदियां जारी रहीं.

जेल से छूटने पर गायत्री देवी एक छोटा जश्न मनाना चाहती थीं लेकिन उनके करीबी बीजू पटनायक भी जेल में थे इसलिए जश्न नहीं हुआ. उन्हें दूसरा झटका तब लगा जब घर पहुंचते ही उनके सौतेले बेटे ने उन्हें बताया कि उन पर और उनके घर पर नज़र रखी जा रही थी. ‘मैं इंदिरा से बात करना चाहती हूं’, यह सुनकर गायत्री देवी का यही जवाब था.

संजय गांधी की मौत के वक्त भी बनी रही रंजिश
‘जिस देश में लोकतंत्र एक तानाशाह के हाथ में है, वहां मुझे राजनीति से कोई सरोकार नहीं है.’ ये बात कहकर इमरजेंसी के बाद चुनावी राजनीति को अलविदा कह चुकीं गायत्री देवी को लेकर लंबे समय तक अटकलें लगती रहीं कि वह राजनीति में वापसी करेंगी.

इसी बीच 1980 में संजय गांधी की प्लेन दुर्घटना में मौत हुई. संजय के निधन पर शोक जताने के लिए गायत्री देवी ने इंदिरा गांधी को फोन भी किया था लेकिन इंदिरा ने बात करने से मना कर दिया था. यानी मनमुटाव सामान्य नहीं था, रंजिश थी. इसके पीछे आखिर बात क्या थी.

maharani gayatri devi, maharani gayatri devi life, gayatri devi indira gandhi, gayatri devi sanjay gandhi, emergency indira gandhi, महारानी गायत्री देवी, महारानी गायत्री देवी जीवनी, गायत्री देवी इंदिरा गांधी, गायत्री देवी संजय गांधी, इमरजेंसी इंदिरा गांधी

शादी से पहले महारानी गायत्री देवी का ताल्लुक बंगाल के कूचबिहार राजघराने से था.

स्कूल के ज़माने से शुरू हुई थी ईर्ष्या?
गायत्री देवी और इंदिरा गांधी दोनों ही रबींद्रनाथ टैगोर द्वारा स्थापित शांतिनिकेतन के स्कूल पाठ भवन में साथ पढ़ चुकी थीं. तबसे एक दूसरे से परिचय था. तो क्या दोनों के बीच कहा-सुनी या मनमुटाव इसी दौर से शुरू हुआ था? इसका जवाब हां में देना मुश्किल है क्योंकि इससे जुड़ा कोई दस्तावेज़ नहीं मिलता. लेकिन, खुशवंत सिंह ने जो कुछ दोनों को लेकर लिखा या साक्षात्कारों में कहा, उसके अनुसार इंदिरा गांधी आत्ममुग्ध थीं. अपने से ज़्यादा सुंदर या दर्शनीय महिला को आसपास बर्दाश्त नहीं कर सकती थीं.

खुशवंत सिंह ने एक जगह ये ज़िक्र भी किया है कि संसद में जब गायत्री देवी पहुंची थीं, तब उन्हें देखकर इंदिरा गांधी बेहद असहज ही नहीं बल्कि चिढ़ महसूस कर रही थीं. इसी का नतीजा था कि संसद में इंदिरा ने उन्हें इशारों में ‘शीशे की गुड़िया’ तक कहा था. इस पर गायत्री देवी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि यह इंदिरा के भीतर बदले की भावना रही. अब यहां सवाल खड़ा होता है कि अगर सच में ये कोई बदले की भावना थी तो किस बात का बदला इंदिरा लेना चाहती रहीं?

गायत्री देवी ने कांग्रेस को ठेंगा दिखाया था
असल में, हुआ ये था कि सी. राजगोपालाचारी ने स्वतंत्र पार्टी बनाई थी. इसी पार्टी की प्रत्याशी के तौर पर गायत्री देवी ने जयपुर से लोकसभा चुनाव कांग्रेस के खिलाफ लड़ा था. 1962 में इस चुनाव में न केवल गायत्री देवी जीतीं बल्कि उस समय के हिसाब से 1 लाख 92 हज़ार वोटों के अंतर से उन्हें जो जीत मिली, वो तत्कालीन खबरों के अनुसार वर्ल्ड रिकॉर्ड था. इसके बाद 1965 में तत्कालीन प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री ने गायत्री देवी से कांग्रेस पार्टी के साथ आने का प्रस्ताव रखा था.

maharani gayatri devi, maharani gayatri devi life, gayatri devi indira gandhi, gayatri devi sanjay gandhi, emergency indira gandhi, महारानी गायत्री देवी, महारानी गायत्री देवी जीवनी, गायत्री देवी इंदिरा गांधी, गायत्री देवी संजय गांधी, इमरजेंसी इंदिरा गांधी

दुनिया की सबसे खूबसूरत महिलाओं में गायत्री देवी का नाम शुमार रहा. (इस कहानी के सभी चित्र : पिन्ट्रेस्ट से साभार)

क्या प्रिवी पर्स भी गायत्री देवी के चलते बंद हुआ
गायत्री देवी के पति राजा मानसिंह द्वितीय कांग्रेस सरकार के राजनयिक तक बन चुके थे, इसके बावजूद गायत्री देवी ने कांग्रेस के साथ गठजोड़ से इनकार कर दिया. स्वतंत्र पार्टी के साथ अपना रिश्ता बनाए रखा.  लगातार कांग्रेस के खिलाफ लोकसभा चुनाव जीतती रहीं. कहा जाता है कि कांग्रेस की इंदिरा गांधी सरकार ने शाही भत्ते यानी प्रिवी पर्स को संविधान संशोधन कर खत्म करने का जो कदम उठाया था, उसके पीछे गायत्री देवी के साथ चल रही अनबन एक बड़ी वजह थी.

Tags: Indira Gandhi, Jaipur news, Rajasthan Royals

Source link

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Uh oh. Looks like you're using an ad blocker.

We charge advertisers instead of our audience. Please whitelist our site to show your support for Nirala Samaj