जब मुख्तार अंसारी ने योगी आदित्यनाथ पर कर दिया था हमला, AK-47 लेकर हेलिकॉप्टर से भेजा गया IPS अफसर, बताई पूरी कहानी

हाइलाइट्स
2008 में गोरखपुर के तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ पर कथित रूप से मुख्तार अंसारी गैंग ने हमला कर दिया था.
उनके काफिले पर आजमगढ़ में पथराव किया गया, पेट्रोल बम फेंके गए और गोलीबारी की गई.
हालात को संभालने के लिए तत्कालीन एडीजी लॉ एंड ऑर्डर को हेलिकॉप्टर से वहां भेजा गया था.
ओलिवर फ्रेड्रिक
एक सांसद का काफिला गुजर रहा है, तभी उस पर पत्थर बरसने लगते हैं, उसके बाद पेट्रोल बम फेंका जाता और फिर गोलीबारी शुरू हो जाती है. इसके बाद सांसद के सुरक्षाकर्मी जवाबी फायरिंग करते हैं. एक आईपीएस अधिकारी हालात को संभालने और हमलावरों को खदेड़ने के लिए AK-47 राइफल लेकर हेलिकॉप्टर से घटनास्थल पर पहुंचता है और सांसद को वहां से सुरक्षित निकाल लेता जाता है…
यह सुनने में किसी हिन्दीभाषी राज्य पर आधारित ओटीटी शो की कहानी लग सकती है, लेकिन यह सारी घटनाएं बिल्कुल सच्ची हैं. यह पूरा वाकया वर्ष 2008 का है, जब गोरखपुर के तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ पर कथित रूप से मुख्तार अंसारी के गैंग ने हमला कर दिया था. उस हमले में योगी आदित्यनाथ बाल-बाल बच गए थे.
IPS अधिकारी को किया गया एयरड्रॉप
गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी की मौत के बाद इस तरह के कई प्रकरणों की यादें ताजा हो रही हैं. रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी बृजलाल ने News18 से बातचीत में 7 सितंबर, 2008 को आज़मगढ़ में आदित्यनाथ के काफिले पर हुए हमले का पूरा विवरण सुनाया. बृजलाल तब यूपी में एडीजी कानून और व्यवस्था के पद पर थे. 1977 बैच के इस अधिकारी ने बताया कि उन्हें एके-47 राइफल के साथ हेलिकॉप्टर से एयरड्रॉप करना पड़ा था. इस हमले में योगी आदित्यनाथ तो किसी तरह बाल-बाल बच गए, लेकिन एक व्यक्ति की मौत हो गई और छह अन्य घायल हो गए थे.
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बृज लाल के मुताबिक, दुश्मनी की यह कहानी 2005 से शुरू होती है, जब मऊ में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे थे. उन्होंने कहा, ‘इस दौरान पांच बार के विधायक और माफिया से नेता बने मुख्तार का नाम मऊ में दंगा भड़काने के लिए सामने आया था. उन्हें खुली जीप से एके-47 लहराते देखा गया.’
योगी आदित्यनाथ, जो उस समय गोरखपुर के सांसद थे, खुद मऊ के लिए रवाना हुए, लेकिन उन्हें जिले में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गई. दोहरीघाट पर उन्हें रोककर वापस गोरखपुर भेज दिया गया. तब समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री थे.
आखिरी वक्त में कार बदलने से बची जान!
वर्ष 2008 में योगी आदित्यनाथ ने मुख्तार अंसारी को चुनौती देते हुए कहा था कि वह मऊ दंगे के पीड़ितों को न्याय दिलाएंगे. बृज लाल ने News18 को बताया, ‘योगी जी ने हिंदू युवा वाहिनी के नेतृत्व में आज़मगढ़ में आतंकवाद के खिलाफ एक रैली की घोषणा की थी. रैली के 7 सितंबर, 2008 की तारीख और डीएवी कॉलेज मैदान को रैली स्थल के रूप में चुना गया था.’
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ऐसा माना जाता है कि योगी आदित्यनाथ एक लाल एसयूवी में यात्रा कर रहे थे, जो 40 वाहनों के काफिले का हिस्सा था. इस काफिले के आज़मगढ़ पहुंचने से ठीक पहले उस पर पथराव किया गया, जिसके बाद पेट्रोल बम फेंके गए और गोलीबारी शुरू हो गई. बृज लाल ने कहा, योगी आदित्यनाथ के गनर ने भी गोलियां चलाईं. पूर्व आईपीएस अधिकारी ने कहा, ‘यह महज संयोग की बात थी कि उन्होंने आखिरी समय में वाहन बदल लिया और अपनी लाल एसयूवी छोड़ दी, जिससे उनकी जान बच गई. यह एक सुनियोजित हमला था.’
AK-47 लेकर आजमगढ़ की गलियों में मार्च
बृज लाल ने याद किया कि जैसे ही उन्हें हमले के बारे में पता चला, वह एक हेलिकॉप्टर लेकर आज़मगढ़ के लिए रवाना हो गए और सिविल लाइंस में उतरे. उन्होंने बताया, ‘चूंकि अन्य सभी अधिकारी पहले से ही काम में लगे हुए थे, इसलिए मैंने एक एके-47 लिया और तत्कालीन संभागीय आयुक्त को प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण करने के लिए कहा. मुझे आज एके-47 लेकर आज़मगढ़ की गलियों में घूमना याद है. हमने लगातार छापेमारी की और हिंसा में शामिल कई लोगों पर केस दर्ज किया.’

मऊ सदर सीट से पांच बार के विधायक मुख्तार अंसारी 2005 से सलाखों के पीछे थे. उनके खिलाफ 60 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज थे. बंद जेल में बंद मुख्तार की अचानक तबीयत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई. शनिवार को गाजीपुर के मोहम्मदाबाद दर्जी टोला में भारी सुरक्षा मौजूदगी के बीच उन्हें सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया.
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Tags: Mukhtar ansari, UP news, Yogi adityanath
FIRST PUBLISHED : March 31, 2024, 10:20 IST