Rajasthan

जयकारों के बीच इन्द्र ध्वज विधान में चढ़ाई 371 ध्वजाएं | 371 flags hoisted in Indra flag ceremony amid cheers

acharya chaitanya मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष निहाल चन्द्र पांडया ने बताया कि महोत्सव के तहत आज सुबह नित्याभिषेक के बाद आचार्य के सान्निध्य में श्रीजी की शांतिधारा व अभिषेक की क्रियाएं सम्पन्न हुई। इस अवसर पर कार्यक्रम स्थल कर लो जिनवर का गुणगान…,रोम-रोम पुलकित हो जाए..जैसे भजनों की स्वर लहरियों से गुंजायमान हो उठा। इसके बाद इन्द्रध्वज महामंडल विधान में सौधर्म इन्द्र विनोद कुमार पांडया व सुलोचना पांडया,चक्रवर्ती प्रभाचंद्र-मधु चांदवाड़ सहित अन्य इन्द्र-इन्द्राणियों व श्रद्धालुओं ने 371 मंडल पर ध्वजाएं अर्पित की। इस दौरान इस मौके पर आचार्य विमल सागर जी महाराज का दीक्षा दिवस व आचार्य चैत्य सागर जी महाराज का 18 वां आचार्य पदारोहण दिवस मनाया गया।
msg294089779-38727.jpgइस अवसर पर धर्मसभा को संबोधित करते हुए आचार्य चैत्य सागर जी महाराज ने कहा कि मेरे पूज्य गुरुदेव ने मुझ पर जो उपकार किए है। जिन्होनें हमें मोक्ष मार्ग का रास्ता दिखाया उन्हें भूल पाना मुश्किल है। वैरागी संत रत्नों के पीछे नहीं भागते बल्कि रत्न प्राप्त करने में लग जाते हैं। मेरे गुरु के मुझपर अनंत उपकार हैं, उन्होंने मुझे दीक्षा देकर मेरा मानव जीवन सार्थक कर दिया। जीवन में सर्वोच्च पद प्राप्त करना है तो दिगंबर साधु निर्गंथ मुनि से बढ़कर कोई पद नहीं है। यही परम शाश्वत पद है। उन्होंने यह भी कहा कि जीवन में व्यक्ति को जो भी मिला है, उसमें संतोष धारण करना चाहिए,जो नहीं मिला है,उसके पीछे नहीं भागना चाहिए,जीवन में इच्छाओं की पूर्ति नहीं की जा सकती है।

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