जलझूलनी एकादशी लक्खी मेला: सोने की पालकी में निकले चारभुजानाथजी, दर्शनों के लिए बेताब हुए श्रद्धालु

हाइलाइट्स
जलझूलनी एकादशी लक्खी मेला
धूमधाम से निकली श्री चारभुजा नाथ की शोभायात्रा
जलझूलनी एकादशी पर उमड़ी श्रद्धालु की जबर्दस्त भीड़
राजसमंद. राजसमंद के प्रसिद्ध तीन दिवसीय जलझूलनी एकादशी लक्खी मेले का सोमवार को समापन हो गया है. इस मौके पर मेवाड़ के चारधाम की प्रमुख पीठ कहे जाने वाले राजसमंद के श्री चारभुजा नाथ की शोभायात्रा जलझूलनी एकादश पर बड़े धूम- धाम से निकाली गई. मेले के अंतिम दिन श्री चारभुजा नाथ के बाल स्वरूप को सोने की पालकी में विराजित कर दूधतलाई ले जाया गया. वहां पर हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में भगवान को शाही स्नान कराया गया.
मंगलवार को सुबह 11.30 बजे भोग आरती के बाद भगवान की बाल प्रतिमा की शोभायात्रा गर्भगृह से सोने की पालकी में विराजमान करके शुरू की गई थी. दोपहर 12 बजे यात्रा गाजे- बाजे के साथ यात्रा मंदिर प्रांगण में पहुंची. मेवाड़ी वेशभूषा में धोती कुर्ता पहने शोभायात्रा के साथ चल रहे पुजारियों के हाथ में ढाल, तलवार, गोटे स्वर्ण जड़ित धातु से निर्मित अस्त्र- शस्त्र मुख्य आकर्षण का केंद्र थे. श्री चारभुजा नाथ के दर्शनों की एक झलक पाने के लिए मंदिर प्रांगण की छतें और पांडाल लोगों से खचाखच भरा हुआ था. श्रद्धालुओं ने जगह- जगह पुष्पवर्षा कर छोगाला छैल की जय हो के नारे लगाए.
भक्तों ने गुलाल- अबीर से खेली होली
शोभायात्रा में गुलाल-अबीर से खेलने की अनूठी परंपरा के चलते मेले में पहुंचा हर शख्स पूरी तरह से लाल रंग में सराबोर हो गया. यात्रा जहां- जहां से गुजरी वहां पर जमकर गुलाल- अबीर की होली खेली गई. शाही स्नान यात्रा दोपहर 2 बजे दूधतलाई पहुंची, उसके पहले दूधतलाई के दूसरे किनारे ठाकुरजी को अल्पविश्राम के दौरान अफीम (अमल) का भोग धराने की रस्म निभाई गई. पारंपरिक रस्मों का निर्वहन करने के बाद शोभायात्रा मंदिर पहुंची जहां पर भगवान की महाआरती की गई.
कई राज्यों से दर्शन करने आते हैं श्रद्धालु
मेले में राजस्थान समेत मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र सहित अन्य कई राज्यों से हजारों दर्शनार्थी दर्शनों के लिए पैदल, साइकिल, मोटरसाइकिल एवं चौपहिया वाहन लेकर आते हैं. जलझूलनी मेला एकादशी पर श्री चारभुजा नाथ के दर्शनों का विशेष महत्व है. एकादशी पर अत्यधिक भीड़ होने के कारण दर्शनार्थी कई दिन पहले चारभुजा में आकर ठहरने की व्यवस्था कर लेते हैं. मेले की व्यवस्थाओं के संचालन के लिए स्थानीय गुर्जर सेवक, विभिन्न संगठनों के कार्यकर्ता एवं पुलिस प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद रहे.
.
Tags: Rajasthan news, Religious Places
FIRST PUBLISHED : September 26, 2023, 16:04 IST