रानियां न हो परेशान राजा बनवाए खास कमरे, भीषण गर्मी में रहते हैं ठंडे, भूत के डर रुक जाता था काम, जानें इतिहास

जयपुर. गर्मियों के मौसम में देश-विदेश से पर्यटक जयपुर पहुंचते हैं. भीषण गर्मी के बावजूद वे यहां के ऐतिहासिक किलों और महलों का दीदार करते हैं, जिनकी अनूठी वास्तुकला लोगों को आश्चर्यचकित कर देती है. जयपुर के किले इस तरह बनाए गए हैं कि गर्मी और सर्दी का विशेष ध्यान रखा गया. ऐसा ही एक खास किला है नाहरगढ़, जो अरावली पहाड़ियों पर 700 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. इसकी अद्भुत वास्तुकला पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है.
आपको बता दें कि नाहरगढ़ किले को जयपुर के राजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने 1734 में बनवाया था, बाद में 1868 में सवाई राम सिंह ने किले का विस्तार करवाया था, उस समय इसे बनवाने में लगभग 3 लाख रुपए से अधिक खर्च आया था. इस किले की बनावट और डिजाइन में इंडो-यूरोपियन कला देखने को मिलती है, जो बेहद सुंदर है. यह ऐतिहासिक किला 18वीं सदी में मराठा सेनाओं के साथ संधि करने की ऐतिहासिक घटना का भी गवाह रहा है, यह किला इतने विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है कि इसे बारीकी से देखने के लिए पूरा दिन भी कम पड़ता है.
इस किले में सबसे खास किले के अंदर बना माधवेन्द्र महल जिसमें एक जैसे 9 कमरे बने हुए हैं, जिनकी वास्तुकला एक जैसी है. सबसे खास बात भीषण गर्मीयों में ये कमरे बिल्कुल ठंडे रहते हैं और हर कमरे में गर्मियों के लिए खिस झरोखे बने हुए हैं जो उस समय राजा ने अपनी अलग-अलग रानियों के लिए यह कमरे बनवाए थे. किले के एक कमरे से दूसरे कमरे में जाने के लिए एक ही गलियारा हैं जो अलग-अलग कमरों से जुड़ा हुआ है. आपको बता दें यह किला जितना बाहर से सुंदर हैं उतना ही अंदर से भी अद्भुत है. किले के अंदर हर कमरे के दरवाजों खिड़कियों और छत पर बारिक कढ़ाई की शैली है जो देखने लायक है.
हर मौसम के हिसाब से यहां दिखाई देता हैं भव्य नजारानाहरगढ़ किला अपनी अनूठी वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है, जहां इसके प्रत्येक हिस्से में बेजोड़ शिल्पकला झलकती है. शाम के समय पर्यटक यहां के सनसेट पॉइंट को देखने के लिए सबसे अधिक आते हैं, जहां से पूरा जयपुर शहर दिखाई देता है. आपको बता दें कि इस किले के हर हिस्से में कुछ खास है. बॉलीवुड की प्रसिद्ध फिल्में जैसे ‘रंग दे बसंती’, ‘शुद्ध देसी रोमांस’ और ‘जोधा अकबर’ की शूटिंग भी यहां हो चुकी है. कुछ इतिहासकारों के अनुसार, इस किले को सुलक्षण दुर्ग, सुदर्शन गढ़, जयपुर ध्वज गढ़, महलों का दुर्ग, मीठड़ी का किला और यहां तक की हॉन्टेड प्लेस जैसे नामों से भी जाना जाता है. कुछ विदेशी पर्यटक इसे टाइगर फोर्ट भी कहते हैं. यह किला जितना सुंदर है, उतना ही पुराने समय की सुरक्षा और युद्ध नीतियों को ध्यान में रखकर बनाया गया है. एक समय में नाहरगढ़ किला, आमेर और जयगढ़ किलों के साथ मिलकर, जयपुर और आमेर की रक्षा के लिए अभेद्य दुर्ग के रूप में कार्य करता था.
अनोखी हैं इस किले के बनने की कहानीइस किले की बनने की एक रोचक कहानी भी है, जिसे सुनकर लोगों को यकीन नहीं होता है कि ऐसा भी कुछ हुआ होगा. इस किले के बारे में कहां जाता है कि इसकी दिवारे दिन में बनाई जाती थी और रात में वह गिर जाती थी, बाद में राजा ने एक तांत्रिक से मिलकर इसका हल निकाला और फिर किले का निर्माण कार्य शुरू किया गया, इसलिए इस किले को लोग हॉन्टेड प्लेस और डरावना किला भी कहते हैं. किले में सुंदर महल, बावड़ी, मंदिर जैसी तमाम ऐतिहासिक इमारतें हैं जो किसी भव्यता से कम नहीं हैं, साथ ही इस किले की एक बड़ी खासियत यह है कि इस पर कभी हमला नहीं हुआ. कहते हैं कि यह इतनी ऊंचाई पर बना है कि किसी दुश्मन ने इस पर हमला करने के बारे में कभी सोचा भी नहीं, इसलिए इस किले को अजय दुर्ग भी कहा जाता है.
कैसे पहुंचे नाहरगढ़ किलानाहरगढ़ किला जयपुर से लगभग 15 किमी दूर है. जयपुर से किले तक के लिए आसानी से बस, कैब और टैक्सी मिल जाती है. जयपुर शहर रेलवे, वायुमार्ग और रोडवेज के जरिए देश के सभी बड़े शहरों से जुड़ा हुआ है. नाहरगढ़ किला सुबह 10 बजे से लेकर शाम को 5:30 बजे तक खुला रहता है. किले को देखने के लिए भारतीयों को 50 रुपये और विदेशी लोगों को 200 रुपये का टिकट लेना पड़ेगा. साथ ही किले के आसपास और भी मनोरंजन चीजें हैं जिन्हें पर्यटक देख सकते हैं, जिसमें सबसे खास शीश महल, वैक्स म्यूजियम है.