जेडीए का प्रयोग फेल…हाइड्रोलिक पार्किंग वर्षों से बंद, गाडि़यां सड़क पर | Jaipur Traffic JDA Easy Transportation Hydraulic Parking Project Traffic Control Board BRTS Traffic Signal
सुझावों पर हो अमल की जरूरत
बीते दिनों ट्रैफिक कंट्रोल बोर्ड की बैठक में सुगम यातायात के लिए कई सुझाव आए। यदि इन सुझावों पर संबंधित विभाग गंभीरता से काम करें तो शहरवासियों को जाम से राहत मिल सकती है।
1. पीपीपी मोड पर बढ़ा जाए आगे
निजी पार्किंग को बढ़ावा दिया जाए। दिल्ली, गुरुग्राम सहित कई शहरों में लोग खाली भूखंडों में पार्किंग करवा रहे हैं। कई जगह तो प्रति माह का एक हजार रुपए तक का किराया भी लिया जा रहा है।
ये हो:
कई कॉलोनियों में भूखंड खाली हैं। यदि जेडीए-नगर निगम ऐसे भूखंडों को चिह्नित कर पीपीपी मोड पर पार्किंग विकसित करवाए तो काफी राहत मिल सकती है। शहर के बीच से गुजरने वाले बड़े नालों के ऊपर भी पार्किंग विकसित की जा सकती है। निगम ने सी-स्कीम में ऐसा प्रयोग किया भी है और वहां 400 चार पहिया वाहन खड़े हो रहे हैं।
2. जिनके पास पार्किंग नहीं, उन पर हो कार्रवाई
राजधानी में कई जगह 30 फीट की सड़कों पर रेस्टोरेंट से लेकर बार चल रहे हैं। इनके पास पार्किंग नहीं है। ऐसे में शाम होते ही सड़कों पर वाहन खड़े हो जाते हैं। गाडिय़ों के निकलने की जगह नहीं बचती। सी-स्कीम, मालवीय नगर, सोडाला, मानसरोवर में सर्वाधिक दिक्कत होती है।
3. ट्रैफिक सिग्नल भी किए जाएं सही
शहर में कई जगह ट्रैफिक सिग्नल लाइट ही स्ट्रीट पोल के पीछे छिप गई हैं। ऐसे में वाहन चालकों को ट्रैफिक सिग्नल ही दिखाई नहीं देते। इनको सही किया जाए। साथ ही शहर के प्रमुख मार्गों पर यातायात संकेतकों की रिपोर्ट तैयार होनी चाहिए। अध्ययन के आधार पर काम हो।
4. अतिक्रमण हटाने की जरूरत
परकोटे के बाजारों से लेकर शहर की प्रमुख सड़कों पर अतिक्रमण है। लक्ष्मी मंदिर अंडरपास के प्रवेश द्वार और सर्विस रोड पर ठेले वालों का कब्जा है। इनकी वजह से वाहनों के चलने में दिक्कत होती है।
5. बीआरटीएस की हो समीक्षा
बीआरटीएस को विकसित करने में करोड़ों रुपए खर्च हो चुके हैं। बीते वर्षों में इसकी उपयोगिता को लेकर रिपोर्ट बनी। रिपोर्ट की सिफारिशों को लागू किया जाए।