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जोधपुर के राजेश कोठरी के पास है हर नोट का वीआईपी नंबर, महराजाओं व अंग्रेजों के जमाने की भी मौजूद है करेंसी

कृष्णा कुमार गौड़/जोधपुर. किसी ने सही कहा है कि जुनून और जज्बा लोगों की जिंदगी बदल देता है, अगर ये जज्बा किसी के अंदर हो तो उसके जीने का तरीका और सलीखा लोगों से हटकर हो जाता है और यही तरीका व सलीखा आगे चलकर समाज में एक अलग पहचान दिलाता है. कुछ इसी तरह का जुनून है राजस्थान की सांस्कृतिक राजधानी सूर्यनगरी जोधपुर के राजेश कोठारी को जिन्होने 2005 से नोटों को सहेजने का कार्य शुरू किया. नोटों को सहेजने के अपनी इसी जुनून के कारण ही उन्हें शहर में ख्याति भी मिल रही है.

राजेश कोठारी बताते है कि अलग-अलग जिलो और राज्यों से जब लोग यहां हमारी दुकान पर ज्यूस पीने के लिए पहुंचते है तो वह भी यहां मेरे कलेक्शन को देखकर हैरान रह जाते है और मुझे एग्जीबिशन तक लगाने के लिए ऑफर करते है.

राजेश कोठारी जिन्होंने वर्ष 2005 से पुराने नोटों को जमा करने का जुनून सवार हुआ हो आज उनके पास 1950 से पहले तक के सारे पुराने नोट पड़े है. जिनको उन्होंने अपनी दुकान पर सजाकर रखा है. आइये हम आपको बताते है कि राजेश कोठारी के बारे में जिन्होंने 1950 से लेकर 2023 तक के नोट का कलेक्शन और वह भी वीआईपी नोट सीरीज के साथ.

हर नोट का वीआईपी नम्बर

राजेश कोठारी को नोट कलेक्शन के बाद ऐसा शौक चढा कि उन्होने नोट तो कलेक्शन किए ही मगर इसमें सीरीज वाइस नोट कलेक्शन करना भी शुरू कर दिया जिसमें उनके पास आज की तारीख में उनकी जन्म तारीख से लेकर, मोबाइल नम्बर, गाड़ियों के नम्बर और अपनी शादी की सालगिरह तक की तारीख वाली सीरीज के नोट भी कलेक्शन कर रखे है. यहां तक की उनका जो व्यवसाय है उसकी शुरूआत जब उन्होने की थी उसकी तारीख की सीरीज का भी नोट उन्होने सहेज कर रखा है.

ऐसे चढ़ा नोट कलेक्शन का जुनून

नोट हाथ में आते ही सबसे पहले व्यक्ति उसका रंग, रूप और आकार देखकर सहूलियत से रखने का काम करता है. लेकिन, जोधपुर के राजेश कोठारी हाथों में नोट आते ही, वे सबसे पहले नोट की संख्या देखते हैं.

राजेश कोठारी ने दिल्ली में एक दुकान पर इस तरह का कलेक्शन देखा था तब से उनके सिर पर भी इस तरह नोटों की कलेक्शन करने का जुनून सवार हो गया है और अपनी दुकान पर अंग्रेजों के जमाने से लेकर राजा महाराजाओं के जमाने के नोट उन्होने सहेज के रखे हैं जिनको देखने के लिए उनके दुकान पर भीड़ लगती है और वह प्रतिदिन इन नोटो की पूजा भी करते है.

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आने वाली पीढी को जानकारी देना भी उद्देश्य

व्यवसायी राजेश कोठारी ने बताया कि उनके नोट जमा करने का मुख्य करण यह भी है कि आने वाली पीढ़ी को भी इस बारे में जानकारी मिल सके कि पूर्व में किस तरह के नोट चलते थे और 1000, 500 और 100 के नोट इस तरह बडे-बडे भी हुआ करते थे. यह नोट लोगो का भी आकर्षण बना हुआ है. जब लोग इसको देखकर हैरान रह जाते है और कहते भी है कि इस तरह के नोट भी आते थे तो खुशी भी होती है.

Tags: Jodhpur News, Local18, Rajasthan news

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