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जो डर गया,समझो मर गया…


जयपुर में 12 दिसंबर का आयोजित कांग्रेस की मंहगाई को लेकर राष्ट्रव्यापी रैली निरस्त किए जाने को लेकर पूर्व महापौर ज्योति खण्डेलवाल द्वारा सोनिया गांधी को लिखा पत्र गले की फांस बना नहीं और बाकी कुछ बचा नहीं साबित हुआ है। रैली की तैयारियों को लेकर हौसले की उड़ान भर रहे कांग्रेसजनों में खासा रोष व्याप्त तब हो गया जब रैली की व्यवस्थाओं को लेकर जयपुर शहर कांग्रेस कार्यकर्ताओं की बैठक में ज्योति को आम कार्यकर्ता की जगह प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में आसन के समकक्ष कुर्सी नसीब करवाई गई। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने बैठक के दौरान ज्योति का बहिस्कार ही नहीं किया बल्कि उनके निष्कासन की भी मांग कर डाली। भला हो कांग्रेस आला नेताओं का की उन्होंने मामले को शांत करा बैठक की कार्यवाई सुचारू करवाई लेकिन ज्योति की मनोदशा पर आपातकाल के दौरान 1975 में रिलीज शोले फिल्म में गब्बरसिंह का कहा डायलोग जो डर गया,समझो मर गया… एक दम सटीक बैठता नजर आ रहा है।
आज हम सजगता और सतर्कता के दम पर कोरोना का दूसरा दंश झेल उससे उबर रहे हैं। इस दौर में हमने काफी कुछ खोया भी है। अगर देश कोरोना के दंश में ही डूबा होता तो न तो पश्चिम बंगाल में चुनाव हुए होते और न ही देश के सामने ममता बनर्जी से भाजपा का मात खाया चेहरा नजर आता। आज वहीं भाजपा एक बार फिर पश्चिम बंगाल की हार से उबर कर पांच राज्यों में हाल ही होने वाले चुनावों के लिए अपनी चूले मजबूत कर मैदान में उतरी हुई है।
कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के बीच भाजपा से देश की जनता को जिस तरह उम्मीद थी वह उस पर कितनी खरी उतरी है आज यह सवाल देश की सम्पूर्ण जनता के सामने हैं। मंहगाई से आम आदमी ही नहीं देश का व्यापारी वर्ग भी बुरी तरह त्रस्त है। ऐसे में पब्लिक की आवाज अगर कांग्रेस बन रही है तो क्या गुनाह कर रही है। भाजपा का मूल फोकस उत्तरप्रदेश है 403 सीटें है। दिल्ली में रैली की इजाजत न देने के पीछे हो सकता है यह राज्य भी एक कारण हो,क्योंकि भाजपा की स्थिति पश्चिम बंगाल के बाद दूध का जला छाछ भी फूक मार कर पीना जैसी हुई पड़ी है।
आज पश्चिम बंगाल चुनाव परिणाम के पश्चात डरी हुई भाजपा है लेकिन राजस्थान में अब इस राष्ट्रव्यापी रैली का आयोजन वाकई में प्रदेश के लिए सम्मान की बात है कि देश की जनता की दुखती रग की आवाज मंहगाई के मुद्दे पर राजस्थान प्रदेश की राजधानी जयपुर बनने जा रहा हैं। यह कांग्रेस के लिए ही नहीं बल्कि प्रदेश की जनता के लिए भी सम्मान की बात है कि देश के मूलभूत मंहगाई जैसे मुद्दे पर केन्द्र सरकार को चेताने का बिगुल जयपुर से बज रहा हैं,हालांकि अब ज्योति ने यू टर्न लेकर मंहगाई विरोधी रैली में ज्यादा से ज्यादा लोगों को लेकर पहुंचने की अपील की है,जिसके चलते लगता है कि प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में विरोध के मद्देनजर घर आकर शोले फिल्म देखने के बाद यू टर्न लिया हो वैसे एक बात स्वर्गीय पंडित नवल किशोर शर्मा कहा करते थे,भाया…थारों विरोध होबा लग ग्यों,समझ ल तू नेता बन ग्यों। यानि ज्योति विरोधाभास के बीच कांग्रेस की नेता ही नहीं बनी बल्कि उस डर से भी उपर उठ गई,जिसे लेकर गब्बरसिंह का कहना है कि जो डर गया,समझो मर गया।

  • प्रेम शर्मा

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