झुंझुनूं का वृंदावन धाम, जहां है 1000 वर्ष पुरानी राधा-कृष्ण की मूर्ति, देश के कोने-कोने से आते हैं श्रद्धालु

रविन्द्र कुमार/झुंझुनू:- झुंझुनू के भडौंदा कला गांव में स्थित वृंदावन धाम हजारों वर्ष पुराना है, जहां पर पंच पेड़ आज भी विद्यमान है. इस धाम को राजस्थान का वृंदावन भी कहते हैं. वृंदावन धाम में जन्माष्टमी के अवसर पर भव्य मेले का आयोजन किया जाता है. नए साल के मौके पर यहां पर उपस्थित सभी रूम बुक हो जाते हैं. यहां बाहर से लोग आकर नया साल मनाते हैं और अपनी मन्नते मांगते हैं.
कैसे पहुंचे इस मंदिर में श्रद्धालु?
मन्दिर में पूजा अर्चना कर रहे अशोक शर्मा ने बताया कि यह मंदिर 1000 साल पुराना है, जहां अलग-अलग जगह से श्रद्धालु आते हैं. जिसकी जो मनोकामना या इच्छा पूरी होती है, वह इस मंदिर में आता है. श्रद्धालु मंदिर में आने के लिए चिड़ावा से बस लेकर आते हैं या झुंझुनू से भी बस लेकर यहां आ सकते हैं. उन्होंने बताया कि वृंदावन से झुंझुनू 20 किलोमीटर की दूरी पर है और चिड़ावा 22 किलोमीटर की दूरी पर है. श्रद्धालु अपनी गाड़ी या सार्वजनिक साधनों से इस मंदिर में आ सकते हैं.
क्या है वृंदावन मंदिर की कहानी?
अशोक शर्मा ने मंदिर के इतिहास के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि सिद्धमुख गांव के रहने वाले पुरुषोत्तम दास मथुरा और वृंदावन गए थे. वहां पर पुरुषोत्तम दास ने हरिदास का शिष्य रहकर करीब 20 साल तक उनकी सेवा की. फिर पुरुषोत्तम दास ने हरिदास से पूछा कि आपको क्या गुरु दक्षिणा दूं. तब हरिदास ने अपनी गुरु दक्षिणा के रूप में पुरुषोत्तम दास को कहा कि तुम अब कही भी मेरे नाम का डंका बजाओ. पुरुषोत्तम दास झुंझुनू आए और उन्होंने वृंदावन को बसाया.
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इन राज्यों से आते हैं श्रद्धालु
अशोक ने गांव के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि पूरे वृंदावन गांव में 200 घर हैं, जो पुरुषोत्तम दास की संतान हैं. अशोक शर्मा ने श्रद्धालुओं के बारे में कहा कि यहां पर कोलकाता,मुंबई,रांची, महाराष्ट्र, गुजरात और अन्य कई जगहों से श्रद्धालु आते हैं. उन्होंने बताया कि राजस्थान से तो हर दिन करीब ढ़ाई से तीन हजार लोग आते हैं. बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के रुकने के लिए कमरे बने हुए हैं. श्रद्धालुओं को खाने, नहाने और पीने की सारी व्यवस्थाएं यहां मौजूद हैं.
मंदिर की ये है मान्यता
वृंदावन मंदिर में स्थित पंच पेड़ की मान्यता के बारे में खुलासा करते हुए अशोक ने बताया कि अगर किसी का कोई काम रुका हुआ हो या कोई मनोकामना हो, उसे अपने मन में मांग कर पंच पेड़ पर नारियल बांधा जाता है. जब इच्छा पूरी हो जाती है, तो श्रद्धालु के द्वारा नारियल लाकर मंदिर में चढ़ाया जाता है.
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FIRST PUBLISHED : January 6, 2024, 17:16 IST