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‘झोपड़ी में पैदा हुए और निधन तक…’: ऐसी सादगी से भरा था कर्पूरी ठाकुर का जीवन, अब मिलेगा ‘भारत रत्न’

नई दिल्ली. केंद्र की मोदी सरकार ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को ‘भारत रत्न’ देने का ऐलान किया है. भारत सरकार ने उन्हें मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित करने की घोषणा की है. राष्ट्रपति भवन की तरफ से बयान जारी कर कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत ‘भारत रत्न’ से सम्मानित करने की जानकारी दी गई है.

बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके स्वर्गीय कर्पूरी ठाकुर राज्य में दलितों और पिछड़ों के हितों में कदम उठाने वाले बड़े नेता माने जाते हैं, उन्हें जननायक कहा जाता है और राज्य की राजनीति में आज भी उनके समर्थक सभी राजनीतिक दलों में महत्वपूर्ण भूमिका में हैं.

कर्पूरी ठाकुर के कई ऐसे किस्से हैं, जिनसे उनकी सादगी जाहिर होती है, तो चलिए जानते हैं उनकी जिंदगी के उन पहलुओं के बारे में:

* राजनीति में आने से पहले कर्पूरी जी शिक्षक थे. अंत तक उनका जीवन स्तर एक शिक्षक के जीवन स्तर के समान ही रहा.
* कर्पूरी जी झोपड़ी में पैदा हुए थे और निधन तक उनके पास पुश्तैनी झोपड़ी ही रही, महल नहीं बना.
* पटना की विधायक कॉलोनी में उन्हें जमीन मिल रही थी, लेकिन कर्पूरी ठाकुर ने उसे लेने से इनकार कर दिया.
* अपने जीवन काल में अपने परिवार के किसी सदस्य को विधायक तक का टिकट नहीं लेने दिया.

आपको बता दें कि, 24 जनवरी को स्वर्गीय कर्पूरी ठाकुर की जयंती है. केंद्र सरकार बुधवार को उनकी 100वीं जन्म जयंती के अवसर पर दिल्ली के विज्ञान भवन में एक बड़ा कार्यक्रम करने जा रही है, जिसमें केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह भी शामिल होंगे.

‘जननायक’ के रूप में मशहूर ठाकुर दिसंबर 1970 से जून 1971 तक और दिसंबर 1977 से अप्रैल 1979 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे. उनका 17 फरवरी, 1988 को निधन हो गया था. बिहार में राजनीतिक बदलाव की आहट और संभावना को देखते हुए इसे भाजपा सरकार का मास्टरस्ट्रोक बताया जा रहा है.

Tags: Bharat ratna, Republic day

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