टर्बाइन फ्यूल की कीमतों ने घटाई यात्रियों की संख्या, एयरपोर्ट पर हंगामा
जयपुर. जयपुर एयरपोर्ट पर रोज फ्लाइट्स रद्द होने का सिलसिला जारी है. सुबह से लेकर शाम तक करीब 8 से 10 फ्लाइट्स रद्द होने का सिलसिला अब आम है. फ्लाइट्स रद्द होने के पीछे जो सबसे बड़ा कारण टर्बाइन फ्यूल का मंहगा होना माना जा रहा है. दूसरा कारण राजस्थान में पड़ रही भीषण गर्मी भी मानी जा रही है. मंगलवार को भी जयपुर एयरपोर्ट से 5 फ्लाइट्स रद्द हुई हैं. बता दें कि यात्रियों की कमी के कारण दो फ्लाइट्स को मर्ज कर एक फ्लाइट के माध्यम से यात्री भेजे जा रहे हैं. वहीं अनियमितता के कारण यात्री पिछले दिनों से परेशान हैं. महंगी टिकटों के कारण टिकट बुकिंग पर असर पड़ा है और कम तादाद में यात्री हवाई सफर कर रहे हैं. एयरलाइन्स की रनिंग कोस्ट का बहुत बड़ा हिस्सा फ्यूल पर खर्च होता है और इसकी भरपाई एयरलाइन्स टिकटों के दाम बढ़ाकर करती है। ऐसे में एक फ्लाइट्स में अगर 70 से 80 सीट होती है तो बुकिंग महज 15 से 20 सीटों की हो रही है. ऐसे में इतने कम यात्रियों को लेकर एयरलाइन संचालन का वहन करना मुश्किल हो जाता है.
मंगलवार को भी जयपुर एयरपोर्ट पर ऐसा ही नज़ारा देखने को मिला. दोपहर 2 बजकर 10 मिनिट पर जयपुर से गुवाहाटी के लिए स्पाइस जेट की फ्लाइट को उड़ान भरनी थी लेकिन स्पाइसजेट ने कम यात्रियों को देखते हुए फ्लाइट को रद्द कर दिया. अब जो यात्री गुवाहाटी जाने के लिए एयरपोर्ट पहुंच चुके थे उन्होंने एयरलाइन्स मैनेजमेंट से सवाल पूछने शुरू कर दिए और हंगामा खड़ा हो गया. पहले स्पाइसजेट ने बहाने बनाकर फ्लाइट्स के लेट होने के कारण बताने शुरू किए. लेकिन जब यात्रियों ने एक ना सुनी तो पूरे 7 घंटे इंतज़ार करने के बाद स्पाइसजेट ने फ्लाइट को रात 9 बजे के लिए शिड्यूल किया है. लेकिन सवाल ये है कि अब जयपुर एयरपोर्ट पर ये किस्सा रोज़ का है और रद्द होना अब आम बात हो गई है. ऐसे में यात्रियों का कहना है कि फ्लाइट्स के उड़ान ना भरने के पीछे एयरलाइन्स को आर्थिक नुकसान एक वजह है लेकिन उन यात्रियों की क्या गलती जो अपनी बुकिंग करवा चुके हैं. बहरहाल यात्रियों का हंगामा अब जयपुर एयरपोर्ट पर नई बात नहीं रह गई है.
ईंधन बढ़ने से बढ़ी टिकट की कीमतें
पेट्रोल-डीज़ल की बढ़ती कीमतों के साथ साथ हवाईयात्रा भी अब महंगी होने लगी है. हवाई जहाज़ों का ईंधन जिसे एविएशन टर्बाइन फ्यूल कहते है उसकी कीमतों में भी इज़ाफा हुआ है. ऐसे में जब एयरलाइन्स महंगा टर्बाइन फ्यूल खरीद रही है तो जाहिर सी बात है कि हवाई टिकटें भी महंगी हो रही हैं. इस बार सरकार की पैनी नज़र होने के कारण बेतहाशा वृद्धि ना होकर दूरी के आधार पर प्राइस बैंड तय किया जा रहा है.
जानें क्या हैं प्राइस बैंड
पहली श्रेणी में 40 मिनिट की उड़ान का प्राइस बैंड 2500 से 7800 रूपए
दूसरी श्रेणी में 40 से 60 मिनिट की उड़ान 3000 से 9500 रूपए
तीसरी श्रेणी में 60 से 90 मिनिट की उड़ान 3500 से 11800 रूपए
चौथी श्रेणी में 90 से 120 मिनिट की उड़ान 4000 से 13500 रूपए
पांचवी श्रेणी में 120 से 150 मिनिट की उड़ान 5200 से 17000 रूपए
छठी श्रेणी में 150 से 180 मिनिट की उड़ान 6500 से 21000 रूपए
सातवीं श्रेणी में 180 से 210 मिनिट की उड़ान 7500 से 25000 रूपए
फ्यूल पर खर्च होता है बड़ा हिस्सा
दरअसल एयरलाइन्स की रनिंग कॉस्ट का एक बड़ा हिस्सा टर्बाइन फ्यूल पर खर्च होता है जिसकी वजह से लागत निकालने के लिए एयरलाइन्स को टिकटों के दामों में बढ़ोतरी करनी पड़ती है. लेकिन इस बार उड्डयन मंत्रालय की पैनी नज़र और निर्देश में ही प्राइस बैंड तय किया जा रहा है. बढ़ती कीमतों का असर अब हवाई यात्रा पर नज़र आएगा. आम तौर पर मिडिस क्लास बहुत ज़रूरत होने पर ही हवाई यात्रा करता है लेकिन अब टिकटों के बढ़े दामों के कारण वो दूसरे पब्लिक ट्रांसपोर्ट को विकल्प के तौर पर चुनेगा और यात्रीभार कम हो जाएगा. ऐसे में लगातार बढ़ती कीमतों का असर एयरलाइन्स के ऑपरेशन पर भी नज़र आएगा. लिहाजा आप अगर एयरलाइन्स से यात्रा का मन बना रहे है तो पहले टिकटों के दामों पर ज़रूर नज़र डाल लें क्योंकि पेट्रोल और डीज़ल के अलावा एविएशन टर्बाइन फ्यूल भी महंगा हुआ है.
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