दर्द, तड़प और खुदकुशी, पहले पीरियड ने ही ले ली मासूम की जान, उठे कई गंभीर सवाल
Mumbai girl suicide after first period: हर हेल्दी लड़की को अपने जीवन में 11 से 14 साल के बीच पहले पीरियड से गुजरना पड़ता है. इसके बाद 45 से 50 साल तक हर महीने पीरियड्स (गर्भावस्था, बीमारी की स्थिति को छोड़कर) आते हैं. पीरियड शुरू होने का मतलब है कि महिला मां बनने के लिए जैविक रूप से तैयार है. कई संस्कृतियों में इस पहले पीरियड को उत्सव के रूप में मनाया जाता है. पर दुख की बात यह है कि इतनी तरक्की कर लेने के बाद भी भारत में पहले पीरियड के दर्द को झेलने के लिए मासूमों को तैयार नहीं किया जाता है. इसका ताजा उदाहरण मुंबई की 14 साल की एक मासूम लड़की बनी है. इस लड़की ने अपने पहले पीरियड में इस दर्द और पीड़ा और सामाजिक दंश को इस कदर झेला कि आखिरकार इन्होंने खुदकुशी कर ली.
टैबू की स्थिति को बदलने की जरूरत
इस खबर ने सबको यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि अब वक्त आ गया है कि इस टैबू की स्थिति को बदला जाए. मुंबई में मलाड की एक चॉल में रहने वाली एक 14 साल की बच्ची ने पहले पीरियड की तकलीफ के चलते सुसाइड कर ली. वो इस बात को समझ नहीं पा रही थी पीरियड है क्या और क्यों उसे इतनी तकलीफ झेलनी पड़ रही है. डॉक्टरों में इस बात की चिंता है कि आखिर हम इतने एडवांस होने के बावजूद पीरियड्स जैसी कुदरती चीज को टैबू क्यों समझते.
समाज के लिए चिंता की बात
अपोलो अस्पताल, नई दिल्ली की मशहूर गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. नीता मिश्रा कहती हैं कि हमारे लिए यह बहुत ही अफसोस की बात है. इस लड़की की आत्महत्या समाज के लिए बड़ा सवाल है. अगर इस युग में ऐसा हो रहा है तो हमें अपनी सोच को बदलने की जरूरत है. हमें अपनी बच्चियों को बहुत पहले से इस पड़ाव के लिए तैयार करना होगा. डॉ. नीता मिश्रा ने कहा बच्ची को मालूम नहीं था पीरियड क्या होता है और इसमें कितना दर्द होता है, इसे कैसे रोकना है और किस तरह हैंडल करना है. सभी को यह पता होना चाहिए कि यह बेहद नॉर्मल है जिससे हर महिला को गुजरना होता है. अगर कोई बच्ची इस तरह की चीजें नहीं जानती तो यह समाज का यह कर्तव्य है कि हम उसे इन चीजों को सीखाएं.
9 साल से हो ट्रेनिंग
डॉ. नीता मिश्रा ने बताया कि पीरियड्स का दर्द बेहद सामान्य चीज है. इसमें दर्द होता है लेकिन इस दर्द को कम करने के भी उपाय हमारे पास मौजूद है. सबसे पहली बात कि हम इसे गंदी चीज न समझें. अपनी बच्चियों को यह सीखाएं कि बेहद कुदरती और अच्छी चीज है. उन्हें एजुकेट करें. उन्हें समझाएं कि यह क्या है. जब आए तो इससे घबराने की जरूरत नहीं है. 9 साल की उम्र से ही हर बच्चियों को पीरियड्स के बारे में सही जानकारी दें. माता-पिता और स्कूल का यह कर्तव्य है कि इसी उम्र से लड़कियों को पहले पीरियड के लिए मानसिक रूप से तैयार करें. अगर पीरियड का दर्द ज्यादा है तो इसकी दवाइयां भी है. आप डॉक्टर से संपर्क कर सकती हैं. इसके लिए गर्म पानी को बोतल या पैड में रखकर पेट की सिंकाई घरेलू उपचार है. यदि आप डॉक्टर के पास जाएंगे तो दर्द को कम करने के कई तरह के नुस्खे बताएंगे.
स्कूल में हो वर्कशॉप
नई दिल्ली में लेडी इरविन स्कूल की प्रिंसिपर ज्योति सिंह ने बताया कि पहले पीरियड के प्रति मानसिक रूप से तैयार करने के लिए हमें स्कूल और घर दोनों जगहों पर एजुकेट करने की जरूरत है. मां को तो इसकी जानकारी देनी ही चाहिए, स्कूल में भी इसे लेकर सेमिनार और वर्कशॉप कराना चाहिए. यह हमारे लिए जरूरी है. इसी से हमारे समाज में जागरूकता आएगी. साथ ही हमें पीरियड को टैबू नहीं समझना चाहिए. 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों से मैन्सट्रअल हाईजीन पर नीति बनाने का निर्देश दिया था. लेकिन अब तक ऐसा हो नहीं सका.
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FIRST PUBLISHED : April 4, 2024, 16:22 IST